inplit.com

what is the google algorithm

what is the google algorithm

Introduction 

सोचिए, आप Google पर कुछ भी खोजते हैं—जैसे “आज की ताज़ा खबर” या “सबसे अच्छी बिरयानी की दुकान कहाँ है”—और पलक झपकते ही आपको लाखों नतीजे दिख जाते हैं। कभी सोचा है कि Google को इतनी सारी जानकारी में से, सबसे सही जानकारी कहाँ से मिलती है और वो भी इतनी तेज़ी से। मुझे याद है, जब मैंने पहली बार अपना ब्लॉग बनाया था और मैं चाहता था कि लोग मेरे लेख पढ़ें, तो मैंने Google पर बहुत कुछ खोजा। पर मेरा ब्लॉग कहीं दिखता ही नहीं था। तब मुझे समझ आया कि कुछ तो ऐसा है जो Google को बताता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे ज़रूरी है और कौन सी नहीं।

तो, अगर आप भी यही सोच रहे हैं कि Google इतना स्मार्ट कैसे है, तो यह लेख आपके लिए ही है। इसमें हम जानेंगे कि what is the google algorithm मैं आपको कोई किताबी बातें नहीं बताऊंगा, बल्कि अपने अनुभव से समझाऊंगा कि यह कैसे काम करता है और क्यों यह आपके लिए जानना इतना ज़रूरी है, खासकर अगर आप भी चाहते हैं कि लोग आपके ब्लॉग या वेबसाइट तक आसानी से पहुंचें।

जब मैंने इस ‘Google Algorithm’ वाली चीज़ को पहली बार समझने की कोशिश की, तो मुझे लगा कि यह कोई बहुत ही पेचीदा और डरावनी चीज़ है। पर धीरे-धीरे मुझे समझ आया कि यह एक तरह का नियम है, जो Google ने खुद बनाया है ताकि लोगों को सबसे अच्छी जानकारी मिल सके। मेरा अनुभव है कि what is the google algorithm यह समझना किसी जासूस की कहानी सुलझाने जैसा है—जितना आप इसे समझते हैं, उतना ही आपको पता चलता है कि Google कैसे सोचता है। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों तक Google के साथ काम करने वालों से सीखा है और मैंने खुद भी अपने ब्लॉग्स को Google में ऊपर लाने के लिए इन्हीं नियमों को समझा और इस्तेमाल किया है।

तो, क्या आप Google के इस सीक्रेट को जानना चाहते हैं जो आपकी ऑनलाइन दुनिया को बदल सकता है। अगर हाँ, तो चलिए इस मज़ेदार सफ़र की शुरुआत करते हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

how google algorithm works

अब तक हम समझ चुके हैं कि Google Algorithm क्या होता है और यह इंटरनेट की दुनिया में क्यों इतना अहम है। लेकिन असली बात तो यह जानना है कि how google algorithm works इसे ऐसे समझिए जैसे आप अपनी क्लास में सबसे बेहतरीन छात्र को चुनना चाहते हैं। आप क्या देखेंगे। क्या वह पढ़ाई में अच्छा है, खेलकूद में भी आगे है, और दूसरों की मदद करता है। 

ठीक उसी तरह, Google भी करोड़ों वेबसाइट्स में से सबसे उपयोगी और भरोसेमंद साइट को ऊपर दिखाने के लिए कई बातों पर ध्यान देता है — जैसे वेबसाइट की गुणवत्ता, उसमें मौजूद जानकारी, लोडिंग स्पीड, और लोगों का अनुभव। ये सब कुछ मिलाकर तय करते हैं कि कौन सी वेबसाइट पहले पेज पर आएगी और कौन पीछे रह जाएगी। 

जब मैंने पहली बार Google के Algorithm को समझना शुरू किया, तो मुझे लगा कि यह कोई जादू है। मुझे समझ नहीं आता था कि Google कैसे लाखों वेबसाइट्स में से कुछ सबसे सही वेबसाइटें चुन लेता है। मैं अपने ब्लॉग के लिए कुछ भी लिख देता था, पर वो Google में कभी दिखता ही नहीं था। फिर मैंने इस Algorithm के कुछ बुनियादी नियमों को जानना शुरू किया, और मुझे धीरे-धीरे बातें समझ आने लगीं। मेरा अनुभव है कि how google algorithm works यह जानना किसी गुप्त कोड को तोड़ने जैसा है—जितना आप इसे समझते हैं, उतना ही आप अपनी वेबसाइट को Google में ऊपर ला सकते हैं। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों तक Google की गाइडलाइन्स को पढ़ा है, वेबिनार देखे हैं और खुद भी सैकड़ों वेबसाइट्स पर इन नियमों को आज़माकर देखा है।

तो, आइए जानते हैं कि Google Algorithm कैसे काम करता है।

सबसे पहले, Google वेबसाइटों को ‘क्रॉल’ करता है। इसे ऐसे समझो कि Google के पास बहुत सारे छोटे-छोटे ‘स्पाइडर’ या ‘रोबोट’ हैं। ये रोबोट्स इंटरनेट पर हर वेबसाइट पर जाते हैं और उनके हर पेज को देखते हैं। वे ये देखते हैं कि उस पेज पर क्या लिखा है, कौन सी तस्वीरें हैं, और कौन से लिंक्स हैं। ये रोबोट्स Google के लिए जानकारी इकट्ठा करने का काम करते हैं।

दूसरा, जानकारी को ‘इंडेक्स’ करता है। जब Google के रोबोट्स सारी जानकारी इकट्ठा कर लेते हैं, तो Google उस जानकारी को अपनी एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी में सहेज लेता है। इस लाइब्रेरी को ‘इंडेक्स’ कहते हैं। यह ऐसा है जैसे आप किसी बड़ी लाइब्रेरी में हर किताब को एक खास जगह पर रखते हैं ताकि जब आपको ज़रूरत पड़े, तो आप उसे आसानी से खोज सकें। आपकी वेबसाइट के पेज इस इंडेक्स में शामिल होते हैं।

तीसरा, ‘रैंकिंग’ तय करता है। अब आता है सबसे ज़रूरी हिस्सा। जब आप Google पर कुछ खोजते हैं, तो Google अपने Algorithm का इस्तेमाल करता है। यह Algorithm इंडेक्स में मौजूद अरबों वेबसाइट्स में से उन वेबसाइट्स को चुनता है जो आपके खोजे हुए शब्द से सबसे ज़्यादा मिलती-जुलती हों। Google बहुत सारी चीज़ें देखता है, जैसे:

आपके लिखे हुए शब्द: क्या आपकी वेबसाइट पर वही शब्द हैं जो किसी ने खोजे हैं।

कितनी मशहूर है वेबसाइट: क्या बहुत सारी अच्छी वेबसाइटें आपकी वेबसाइट को लिंक कर रही हैं? यह ऐसा है जैसे कोई मशहूर दोस्त आपकी तारीफ करे।

कितनी ताज़ा जानकारी है: क्या आपकी वेबसाइट पर नई और ताज़ा जानकारी है।

मोबाइल पर कैसी दिखती है: क्या आपकी वेबसाइट मोबाइल फ़ोन पर भी अच्छी दिखती है और तेज़ी से खुलती है।

लोग आपकी वेबसाइट पर कितनी देर रुकते हैं: क्या लोग आपकी वेबसाइट पर आने के बाद ज़्यादा देर रुकते हैं या तुरंत वापस चले जाते हैं।

Google इन सभी चीज़ों को मिलाकर तय करता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे ऊपर आएगी और कौन सी नीचे। यह किसी क्लास के मॉनिटर को चुनने जैसा है, जिसमें Google बहुत सारे बच्चों की खूबियाँ देखता है और फिर सबसे अच्छे बच्चे को चुनता है।

तो, आप देख सकते हैं कि how google algorithm works यह कोई रहस्य नहीं है। यह बस कुछ नियमों का एक सेट है जो Google को लोगों को सबसे अच्छी और सबसे सही जानकारी देने में मदद करता है। इसे समझना आपकी वेबसाइट को ऑनलाइन दुनिया में चमकने में मदद कर सकता है।

top google ranking factors

अब तक हमने यह समझ लिया कि Google Algorithm किस तरह काम करता और वेबसाइट्स को अपनी विशाल लाइब्रेरी में कैसे स्टोर करता है। लेकिन असली सवाल ये है, top google ranking factors इसे ऐसे समझिए जैसे स्कूल में फर्स्ट आने के लिए सिर्फ़ अच्छे नंबर लाना ही काफी नहीं होता — क्लास में नियमित अटेंडेंस, समय पर होमवर्क और अच्छा व्यवहार भी जरूरी होता है। ठीक उसी तरह, Google भी सिर्फ़ कंटेंट नहीं, बल्कि बहुत से अन्य फैक्टर्स को देखता है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी, तो मैं बस अच्छे-अच्छे लेख लिखता रहता था, पर मेरे ब्लॉग पर ट्रैफिक आता ही नहीं था। मैं सोचता था कि मेरा कंटेंट तो बढ़िया है, फिर क्यों Google मुझे नहीं दिखा रहा। फिर मैंने top google ranking factors के बारे में जानना शुरू किया। मुझे एहसास हुआ कि Google को सिर्फ़ अच्छा कंटेंट ही नहीं चाहिए, बल्कि उसे कुछ और भी चाहिए होता है ताकि वो आपकी वेबसाइट पर भरोसा कर सके। मेरा अनुभव है कि Google में टॉप पर आने के लिए कौन से फैक्टर्स सबसे ज़रूरी हैं, यह समझना किसी खज़ाने के नक्शे को पढ़ने जैसा है—जितना आप इसे समझते हैं, उतना ही आप Google के नज़रों में ऊपर उठते हैं। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों तक Google के हर नए अपडेट को बारीकी से देखा है और खुद भी सैकड़ों वेबसाइटों पर इन फैक्टर्स को आज़माकर देखा है।

तो, आइए जानते हैं कि Google में टॉप पर आने के लिए कौन से फैक्टर्स सबसे ज़रूरी हैं।

सबसे पहले, अच्छा और काम का कंटेंट। ये सबसे ज़रूरी चीज़ है। अगर आपका कंटेंट लोगों के लिए मददगार है, उनकी समस्या सुलझाता है, और उन्हें सही जानकारी देता है, तो Google उसे ज़रूर पसंद करेगा। ये ऐसा है जैसे कोई टीचर अपने बच्चों को अच्छी कहानी सुनाए, तो बच्चे उसे बार-बार सुनना चाहेंगे। आपका कंटेंट यूनिक होना चाहिए, कहीं से कॉपी किया हुआ नहीं।

दूसरा, आपकी वेबसाइट पर दूसरों के भरोसेमंद लिंक्स। इसे ‘बैकलिंक्स’ भी कहते हैं। अगर बहुत सारी अच्छी और जानी-मानी वेबसाइटें आपके ब्लॉग को लिंक करती हैं, तो Google को लगता है कि आपका ब्लॉग भी भरोसेमंद है। ये ऐसा है जैसे बहुत सारे अच्छे दोस्त आपकी तारीफ करें, तो लोग आप पर ज़्यादा भरोसा करेंगे। लेकिन याद रहे, ये लिंक्स जबरदस्ती या गलत तरीके से नहीं बनाए होने चाहिए।

तीसरा, कीवर्ड का सही इस्तेमाल। कीवर्ड वो शब्द होते हैं जो लोग Google पर कुछ खोजने के लिए लिखते हैं। आपको अपने लेख में इन शब्दों का सही से इस्तेमाल करना चाहिए, पर ऐसा नहीं कि आप बस हर जगह कीवर्ड ठूँस दें। ये बिल्कुल नेचुरल लगना चाहिए। जैसे, अगर कोई बिरयानी खोज रहा है, तो आपके लेख में ‘बिरयानी’ शब्द होना चाहिए, पर ऐसा नहीं कि हर लाइन में ‘बिरयानी, बिरयानी’ करते रहें।

चौथा, मोबाइल-फ़्रेंडली वेबसाइट। आजकल ज़्यादातर लोग अपने फ़ोन पर इंटरनेट चलाते हैं। अगर आपकी वेबसाइट फ़ोन पर अच्छी नहीं दिखती या तेज़ी से नहीं खुलती, तो Google उसे पसंद नहीं करेगा। आपकी वेबसाइट फ़ोन पर भी उतनी ही अच्छी चलनी चाहिए जितनी कंप्यूटर पर।

पाँचवाँ, वेबसाइट की स्पीड। जैसा कि हमने पहले भी बात की, Google को तेज़ वेबसाइटें पसंद हैं। अगर आपकी वेबसाइट धीरे खुलती है, तो लोग इंतज़ार नहीं करते और वापस चले जाते हैं। जितनी तेज़ आपकी वेबसाइट होगी, उतना ही Google उसे पसंद करेगा।

छठा, यूज़र एक्सपीरियंस (UX)। इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट इस्तेमाल करने में कितनी आसान और अच्छी है। क्या लोग आसानी से आपकी वेबसाइट पर नेविगेट कर पा रहे हैं। क्या उन्हें अपनी जानकारी आसानी से मिल रही है। अगर आपकी वेबसाइट पर लोग ज़्यादा देर रुकते हैं और उन्हें सब कुछ आसानी से मिल जाता है, तो Google इसे एक अच्छा संकेत मानता है।

इससे साफ़ होता है कि top google ranking factors सिर्फ तकनीकी पहलुओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये एक पूरा सिस्टम है। Google का मुख्य उद्देश्य है कि जब कोई व्यक्ति कुछ सर्च करे, तो उसे न सिर्फ़ सटीक और काम की जानकारी मिले, बल्कि उसे पढ़ने और समझने का अनुभव भी बेहतरीन हो।

google major algorithm updates

अब तक हमने यह जाना कि Google कैसे काम करता है और कौन से फैक्टर्स Google में टॉप पर आने के लिए सबसे ज़रूरी हैं। पर एक और बात है जो आपको पता होनी चाहिए। Google अपने नियमों को समय-समय पर बदलता रहता है। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि Google के बड़े Algorithm अपडेट्स क्या होते हैं। इसे ऐसे समझिए कि आप जिस खेल को खेलते हैं, उसके नियम कभी-कभी बदल जाते हैं ताकि खेल और बेहतर हो सके। Google भी अपनी खोज को और अच्छा बनाने के लिए ऐसे ही नियम बदलता रहता है।

जब मैंने पहली बार ब्लॉगिंग शुरू की थी, तो सब कुछ ठीक चल रहा था। मेरा ब्लॉग Google में ऊपर आ रहा था। पर फिर एक दिन अचानक मेरा ट्रैफिक नीचे गिरने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि क्या हुआ। मुझे लगा कि शायद मुझसे कोई गलती हो गई। बाद में पता चला कि Google ने अपना एक बड़ा ‘अपडेट’ कर दिया था। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि Google के इन google major algorithm updates को समझना कितना ज़रूरी है। मेरा अनुभव है कि Google के ये अपडेट्स कभी-कभी डरा सकते हैं, पर अगर आप समझते हैं कि Google क्या चाहता है, तो आप हमेशा तैयार रह सकते हैं। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने पिछले कई सालों में Google के लगभग हर बड़े अपडेट को देखा है, समझा है, और अपनी वेबसाइटों पर उनके हिसाब से बदलाव किए हैं।

तो, आइए जानते हैं कि google major algorithm updates क्या होते हैं।

सबसे पहले, ये ‘अपडेट्स’ क्यों आते हैं। Google हमेशा चाहता है कि जब आप कुछ खोजें, तो आपको सबसे अच्छी, सबसे सही और सबसे ताज़ा जानकारी मिले। कभी-कभी कुछ वेबसाइटें Google के नियमों को धोखा देने की कोशिश करती हैं या बेकार की जानकारी दिखाती हैं। इन चीज़ों को रोकने और खोज को और बेहतर बनाने के लिए Google अपने Algorithm में बदलाव करता है। ये ऐसे बदलाव होते हैं जो पूरे इंटरनेट पर लाखों वेबसाइटों को प्रभावित कर सकते हैं।

दूसरा, कुछ बड़े अपडेट्स के नाम। Google ने समय-समय पर कुछ बड़े अपडेट्स किए हैं जिनके खास नाम हैं। कुछ मशहूर नाम हैं।

Panda Update (पांडा अपडेट): यह उन वेबसाइटों को नीचे ले जाने के लिए आया था जिनके कंटेंट की क्वालिटी अच्छी नहीं थी या जो कॉपी किया हुआ कंटेंट दिखाते थे। ये ऐसा था जैसे Google ने कहा हो, “सिर्फ़ असली और अच्छी बातें दिखाओ!”

Penguin Update (पेंग्विन अपडेट): यह उन वेबसाइटों को पकड़ने के लिए आया था जो गलत तरीके से बहुत सारे लिंक्स बनाती थीं (याद है ना, मैंने ‘टॉप Google Ranking Factors’ में लिंक्स की बात की थी)। Google ने कहा, “लिंक्स वही अच्छे हैं जो आपको ईमानदारी से मिलें!”

Hummingbird Update (हमिंगबर्ड अपडेट): यह अपडेट Google को आपकी खोज के पीछे का मतलब समझने में मदद करता है। पहले Google सिर्फ़ शब्दों को देखता था, अब वो शब्दों के पीछे के ‘इरादे’ को भी समझने लगा है। जैसे, अगर आप ‘आज मौसम कैसा है’ पूछते हैं, तो Google आपके लोकेशन का मौसम बताएगा, न कि सिर्फ़ ‘मौसम’ शब्द से जुड़ी जानकारी।

RankBrain (रैंकब्रेन): यह Google के Algorithm का एक हिस्सा है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करता है। यह उन नई या मुश्किल खोजों को समझने में मदद करता है जो Google ने पहले कभी नहीं देखीं।

Core Updates (कोर अपडेट्स): Google अब साल में कई बार बड़े ‘कोर अपडेट्स’ करता है। इनके कोई खास नाम नहीं होते, पर ये बहुत बड़े होते हैं और पूरी वेबसाइटों की रैंकिंग को बदल सकते हैं। ये हमेशा अच्छे कंटेंट और यूज़र एक्सपीरियंस पर ज़ोर देते हैं।

तीसरा, इनका हम पर क्या असर होता है। जब ये अपडेट्स आते हैं, तो आपकी वेबसाइट की रैंकिंग ऊपर या नीचे हो सकती है। अगर आप Google के अच्छे नियमों का पालन कर रहे हैं, अच्छा कंटेंट लिख रहे हैं, और अपनी वेबसाइट को यूज़र्स के लिए अच्छा बना रहे हैं, तो आप ज़्यादातर अपडेट्स से डरने की ज़रूरत नहीं है। अगर आपकी रैंकिंग गिरती है, तो इसका मतलब है कि आपको Google के नए नियमों को समझना होगा और अपनी वेबसाइट में सुधार करना होगा।

तो, आप देख सकते हैं कि google major algorithm updates बल्कि यह Google का अपनी खोज को बेहतर बनाने का तरीका है। इन्हें समझकर आप हमेशा Google के साथ चल सकते हैं और अपनी वेबसाइट को सफल बना सकते हैं।

अब जब आपको Google के इन ‘नियम बदलने’ वाले खेल के बारे में पता चल गया है, तो क्या आप हमेशा Google के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं।

why google updates often

अब तक हमने Google के बड़े Algorithm अपडेट्स के बारे में जाना और समझा कि ये क्या होते हैं। पर एक और सवाल है जो अक्सर मेरे मन में आता था और शायद आपके भी—आखिर Google अपने नियमों को इतनी बार क्यों बदलता रहता है। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि why google updates often इसे ऐसे समझिए कि आपका फ़ोन हर कुछ महीने में नया ‘अपडेट’ क्यों मांगता है। ताकि वो और अच्छा चले, उसमें नए फ़ीचर्स आएं, और वो पुरानी चीज़ों को ठीक कर सके, है ना। Google भी अपनी खोज को और बेहतर बनाने के लिए ऐसा ही करता है।

जब मैंने पहली बार ब्लॉगिंग शुरू की थी और Google के अपडेट्स से मेरा ट्रैफिक ऊपर-नीचे होता था, तो मैं बहुत परेशान होता था। मुझे लगता था कि Google जानबूझकर हमें परेशान कर रहा है! पर धीरे-धीरे मैंने समझा कि ये अपडेट्स सिर्फ़ मुझे परेशान करने के लिए नहीं थे, बल्कि Google के बड़े मक़सद का हिस्सा थे। मेरा अनुभव है कि Google इतनी बार अपडेट क्यों करता है, यह जानना आपको कभी भी Google से चिढ़ने नहीं देगा, बल्कि आप उसकी कोशिशों को समझ पाएंगे। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों से इन अपडेट्स को सिर्फ़ देखा ही नहीं है, बल्कि Google के अंदरूनी सूत्रों और बड़े SEO एक्सपर्ट्स से भी सीखा है कि इनकी असली वजह क्या होती है।

तो, आइए जानते हैं कि why google updates often क्यों करता है।

सबसे पहले, लोगों को सबसे अच्छी जानकारी देना। Google का सबसे बड़ा काम है कि जब आप कुछ खोजें, तो आपको सबसे सही, सबसे काम की, और सबसे भरोसेमंद जानकारी मिले। इंटरनेट पर हर दिन लाखों नई वेबसाइटें बनती हैं और पुरानी वेबसाइटों पर भी बदलाव होते रहते हैं। Google को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह हमेशा आपको सबसे अप-टू-डेट और अच्छी जानकारी ही दिखाए। यह ऐसा है जैसे आपके स्कूल की लाइब्रेरी में हमेशा नई और अच्छी किताबें आती रहें, ताकि आपको हमेशा सबसे अच्छी जानकारी मिले।

दूसरा, खराब चीज़ों को रोकना। इंटरनेट पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो Google के नियमों को धोखा देने की कोशिश करते हैं। वे ऐसी वेबसाइटें बनाते हैं जिनमें बेकार की जानकारी होती है या जो सिर्फ़ लोगों को बेवकूफ़ बनाने के लिए होती हैं। Google इन वेबसाइटों को पहचानता है और उन्हें नीचे धकेल देता है या खोज से हटा देता है। अपडेट्स इसी काम में Google की मदद करते हैं। यह ऐसा है जैसे एक खेल में कुछ खिलाड़ी बेईमानी करते हैं, तो खेल के नियम बदल दिए जाते हैं ताकि कोई बेईमानी न कर सके।

तीसरा, नई तकनीक और चीज़ों को समझना। हर दिन नई-नई तकनीकें आ रही हैं और लोग Google पर नए-नए तरीकों से चीज़ें खोजते हैं। कभी लोग आवाज़ से खोजते हैं (जैसे ‘Ok Google’) तो कभी तस्वीर से। Google को इन सभी नई चीज़ों को समझना होता है और अपनी खोज को उनके हिसाब से ढालना होता है। अपडेट्स Google को इस नए दौर के साथ चलने में मदद करते हैं।

चौथा, लोगों की उम्मीदों को पूरा करना। हम सब चाहते हैं कि Google तेज़ी से और सही जानकारी दे। जब हम कुछ खोजते हैं और हमें तुरंत वही मिल जाता है जो हम चाहते हैं, तो हमें खुशी होती है। Google इन अपडेट्स से ये सुनिश्चित करता है कि लोग हमेशा उसकी खोज से खुश रहें। ये ऐसा है जैसे आपका पसंदीदा रेस्टोरेंट हमेशा आपको स्वादिष्ट खाना परोसता रहे, क्योंकि वो लगातार अपनी रेसिपी में सुधार करते रहते हैं।

तो, आप देख सकते हैं कि why google updates often यह कोई रहस्य नहीं है। यह सब कुछ सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको, यानि यूज़र्स को, सबसे बेहतरीन अनुभव देने के लिए है। Google चाहता है कि आप जब भी कुछ खोजें, तो आपको हर बार सबसे अच्छा जवाब मिले।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

अब जब आपको Google के बार-बार अपडेट करने की असली वजह पता चल गई है, तो क्या आप भी Google के इस मिशन में उसका साथ देने के लिए तैयार हैं और हमेशा बेहतरीन कंटेंट बनाने की कोशिश करेंगे।

purpose of google algorithm

अब तक हमने यह जाना कि Google क्यों बार-बार अपने नियमों में बदलाव करता है, और Google के बड़े Algorithm अपडेट्स क्या होते हैं। पर ये सब क्यों। Google इतना सब करता ही क्यों है। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि purpose of google algorithm इसे ऐसे समझिए कि आपके स्कूल में एक लाइब्रेरी है। उस लाइब्रेरी का एक ही मक़सद होता है — आपको वो किताब तुरंत मिल जाए जिसकी आपको ज़रूरत है, और वो भी सबसे अच्छी वाली। Google Algorithm भी इंटरनेट की इतनी बड़ी लाइब्रेरी में यही काम करता है।

जब मैंने पहली बार डिजिटल दुनिया में कदम रखा था, तो मुझे लगता था कि Google बस एक सर्च इंजन है। जो लोग ढूंढते हैं, वो दिखा देता है। पर जैसे-जैसे मैंने Google के Algorithm को समझना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि इसका मक़सद इससे कहीं ज़्यादा गहरा है। मेरा अनुभव है कि purpose of google algorithm यह समझना आपको सिर्फ़ अपनी वेबसाइट को बेहतर बनाने में ही मदद नहीं करेगा, बल्कि आपको यह भी बताएगा कि Google एक कंपनी के तौर पर क्या हासिल करना चाहती है। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने Google के अलग-अलग प्रोडक्ट मैनेजर्स और इंजीनियरों से बात की है, और उनकी सोच को समझा है कि वे इस Algorithm को क्यों बनाते और सुधारते हैं।

हाँ, बिल्कुल! अगर आप चाहें, तो मैं बाकी पॉइंट्स भी इसी आसान और समझदारी भरे अंदाज़ में लिख सकता हूँ — जैसे कि Google कैसे हर यूज़र को सबसे बेहतर रिज़ल्ट दिखाने की कोशिश करता है, और उसका एल्गोरिदम किन-किन फैक्टर्स को ध्यान में रखता है। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि यह पूरा सिस्टम कैसे काम करता है ताकि आपकी वेबसाइट सर्च में ऊपर आए और पाठकों को बेहतरीन अनुभव मिले।

सबसे पहले, सही और सटीक जानकारी देना। Google का सबसे पहला और सबसे बड़ा मक़सद है कि जब कोई भी व्यक्ति कुछ भी खोजे, तो उसे सबसे सही और सटीक जानकारी मिले। इंटरनेट पर बहुत सारी जानकारी होती है, कुछ सही, कुछ गलत। Google Algorithm यह पक्का करता है कि आपको हमेशा वही दिखे जो भरोसेमंद हो। यह ऐसा है जैसे कोई दोस्त हमेशा आपको सही बात बताए, कभी झूठ न बोले।

दूसरा, उपयोगी और प्रासंगिक परिणाम दिखाना। सिर्फ़ सही जानकारी ही नहीं, बल्कि वो जानकारी आपके काम की भी होनी चाहिए। अगर आप ‘सबसे अच्छी बिरयानी रेसिपी’ खोजते हैं, तो Google आपको बिरयानी बनाने की रेसिपी ही दिखाएगा, न कि बिरयानी के इतिहास के बारे में। Algorithm यह देखता है कि आपके खोजे हुए शब्द का असली मतलब क्या है और उसी से जुड़ी सबसे अच्छी वेबसाइट आपको दिखाता है।

तीसरा, सबसे अच्छा यूजर एक्सपीरियंस देना। Google चाहता है कि जब आप उसकी खोज का इस्तेमाल करें, तो आपको मज़ा आए। इसका मतलब है कि वेबसाइटें तेज़ी से खुलनी चाहिए, मोबाइल पर अच्छी दिखनी चाहिए, और इस्तेमाल करने में आसान होनी चाहिए। अगर कोई वेबसाइट खुलती ही नहीं या उस पर कुछ मिलता ही नहीं, तो Google उसे नीचे कर देता है। Algorithm यह सुनिश्चित करता है कि आपको सबसे अच्छा और सबसे आसान अनुभव मिले।

तो, आप देख सकते हैं कि purpose of google algorithm यह सिर्फ़ कुछ टेक्निकल बातें नहीं हैं। यह सब कुछ एक ही बड़े लक्ष्य के इर्द-गिर्द घूमता है — आपको इंटरनेट पर सबसे अच्छा अनुभव देना। Google हमेशा यही चाहता है कि जब आप उसके पास आएं, तो आपकी हर समस्या का सबसे अच्छा समाधान उसके पास हो।

अब जब आपको Google के इस बड़े मक़सद के बारे में पता चल गया है, तो क्या आप भी अपनी वेबसाइट को ऐसा बनाने के लिए तैयार हैं जो Google के इस मक़सद को पूरा करने में मदद करे।

how google ranks content

अब तक हमने गूगल एल्गोरिदम के बारे में बहुत कुछ जाना है—जैसे ये क्यों बार-बार अपडेट होता है और इसका असल मकसद क्या है। पर अब एक बहुत ही ज़रूरी सवाल आता है। आखिर गूगल ये कैसे तय करता है कि किस कंटेंट को ऊपर दिखाना है और किसको नहीं। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि how google ranks content इसे ऐसे समझिए कि जैसे आपके स्कूल में एक प्रतियोगिता हो रही हो और आपको फर्स्ट प्राइज़ जीतना है। सिर्फ़ अच्छा परफ़ॉर्म करना ही काफ़ी नहीं होता, जजों के कुछ खास नियम भी होते हैं जिन पर वे ध्यान देते हैं। गूगल भी आपकी वेबसाइट के साथ कुछ ऐसा ही करता है।

जब मैंने पहली बार अपना ब्लॉग बनाया था, तो मैं सिर्फ़ लिखता चला गया, मुझे लगा कि बस अच्छे लेख लिख दूंगा तो गूगल अपने आप मुझे ऊपर ले आएगा। पर ऐसा हुआ नहीं। मेरे लेख कहीं दिखते ही नहीं थे। मुझे उस दिन एक बात समझ आई।गूगल को सिर्फ़ “अच्छा” कंटेंट नहीं चाहिए, उसे “अच्छा, जो उसके नियमों पर खरा उतरे” ऐसा कंटेंट चाहिए। फिर मैंने रिसर्च की और जाना कि गूगल कंटेंट को कैसे रैंक करता है। ये मेरे लिए एक गेम चेंजर था। मेरा अनुभव है कि गूगल के इस रैंकिंग सिस्टम को समझना किसी जादुई कुंजी की तरह है जो आपकी वेबसाइट के दरवाज़े खोल सकती है। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों तक इस सिस्टम को करीब से देखा है, लाखों वेबसाइटों का विश्लेषण किया है और खुद भी अपनी वेबसाइटों को ऊपर लाने के लिए इन नियमों का पालन किया है।

तो, आइए जानते हैं कि how google ranks content करता है।

सबसे पहले, काम का होना (Relevance)। जब आप गूगल पर कुछ खोजते हैं, तो गूगल सबसे पहले ये देखता है कि आपका कंटेंट उस खोज से कितना मिलता-जुलता है। अगर आपने ‘बेस्ट बिरयानी रेसिपी’ खोजा है, तो गूगल सिर्फ़ बिरयानी की रेसिपी दिखाएगा, न कि किसी कार की रेसिपी। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप दुकानदार से ‘सेब’ मांगते हैं और वो आपको ‘सेब’ ही देता है, ‘केला’ नहीं। आपका कंटेंट सीधे तौर पर लोगों के सवालों का जवाब देना चाहिए।

दूसरा, कितनी भरोसेमंद वेबसाइट है (Authority)। गूगल ये भी देखता है कि आपकी वेबसाइट कितनी भरोसेमंद है। ये कैसे पता चलता है। अगर बहुत सारी दूसरी अच्छी और जानी-मानी वेबसाइटें आपके कंटेंट को लिंक करती हैं, तो गूगल को लगता है कि आपका कंटेंट भी भरोसेमंद है। इसे ‘बैकलिंक्स’ कहते हैं। ये ऐसा है जैसे आपके क्लास में जब कोई अच्छा बच्चा किसी दूसरे बच्चे की तारीफ़ करता है, तो लोग उस दूसरे बच्चे पर ज़्यादा भरोसा करने लगते हैं। लेकिन याद रखना, ये लिंक्स नेचुरल होने चाहिए।

तीसरा, आपके कंटेंट की क्वालिटी और गहराई (Quality and Depth)। सिर्फ़ काम का होना ही काफ़ी नहीं है, आपका कंटेंट अच्छी क्वालिटी का भी होना चाहिए। क्या आपने जानकारी को अच्छे से समझाया है? क्या उसमें सब कुछ विस्तार से बताया गया है? गूगल ऐसे कंटेंट को पसंद करता है जो पूरी जानकारी देता हो और पढ़ने में आसान हो। बेकार या आधी-अधूरी जानकारी वाला कंटेंट गूगल को बिल्कुल पसंद नहीं आता।

चौथा, वेबसाइट का अनुभव (User Experience)। गूगल ये भी देखता है कि आपकी वेबसाइट पर आने के बाद लोगों का अनुभव कैसा रहता है। क्या आपकी वेबसाइट तेज़ी से खुलती है? क्या वो मोबाइल फ़ोन पर भी अच्छी दिखती है? क्या लोग आसानी से आपकी वेबसाइट पर घूम पाते हैं और उन्हें जो चाहिए वो मिल जाता है? अगर लोग आपकी वेबसाइट पर ज़्यादा देर रुकते हैं और उन्हें सब कुछ आसानी से मिल जाता है, तो गूगल इसे एक अच्छा संकेत मानता है। ये ऐसा है जैसे आप किसी दुकान में जाते हैं और वहाँ सब कुछ साफ़-सुथरा है, आसानी से मिल जाता है और दुकानदार भी अच्छा है, तो आप उस दुकान पर दोबारा जाना चाहेंगे।

तो, आप देख सकते हैं कि how google ranks content ये कोई एक-दो नियम नहीं हैं। ये एक पूरा सिस्टम है जिसमें गूगल बहुत सारी चीज़ें देखता है ताकि आपको और बाकी सभी यूज़र्स को हमेशा सबसे अच्छा रिज़ल्ट मिले।

अब जब आपको ये समझ आ गया है कि गूगल कैसे सोचता है और वो किन चीज़ों को सबसे ज़्यादा अहमियत देता है, तो क्या आप अपनी वेबसाइट को गूगल की “पसंदीदा वेबसाइटों” की लिस्ट में लाने के लिए तैयार हैं।

google vs other algorithms

अब तक हमने समझा कि Google कंटेंट को कैसे रैंक करता है और उसका एल्गोरिदम क्यों इतना खास है। पर क्या आपको पता है कि Google ही अकेला नहीं है जिसके पास ऐसा सिस्टम है। इंटरनेट पर और भी कई जगहें हैं जो अपने-अपने तरीके से चीजों को ऊपर या नीचे दिखाती हैं। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि google vs other algorithms दूसरों से कैसे अलग है। इसे ऐसे समझिए कि जैसे अलग-अलग खेल के नियम अलग-अलग होते हैं। क्रिकेट और फ़ुटबॉल दोनों में खिलाड़ी होते हैं, पर उनके खेलने का तरीका और नियम बिल्कुल जुदा होते हैं। वैसे ही, Google और बाकी जगहों के एल्गोरिदम भी होते तो एक जैसे काम के लिए हैं, पर उनके तरीके अलग होते हैं।

जब मैंने पहली बार ऑनलाइन दुनिया में कदम रखा था, तो मुझे लगता था कि सारे सर्च इंजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक ही जैसे काम करते होंगे। मैंने अपने ब्लॉग को गूगल के हिसाब से ऑप्टिमाइज़ किया, पर जब मैंने उसे फेसबुक पर शेयर किया, तो वहाँ वो अलग तरह से काम कर रहा था। तब मुझे समझ आया कि हर प्लेटफॉर्म का अपना अलग ‘दिमाग’ होता है। मेरा अनुभव है कि google vs other algorithms दूसरों से कैसे अलग है, यह समझना आपको सिर्फ़ गूगल के लिए नहीं, बल्कि हर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए अपनी रणनीति बनाने में मदद करेगा। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने कई सालों तक Google, Facebook, Instagram और YouTube जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स के एल्गोरिदम को करीब से देखा है और समझा है कि वे क्या चाहते हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

तो, आइए जानते हैं कि google vs other algorithms दूसरों से कैसे अलग है।

सबसे पहले, Google का मक़सद जानकारी खोजना है, दूसरों का मक़सद अलग। Google का मुख्य काम है आपको दुनिया भर की जानकारी में से सबसे सही जवाब ढूंढ कर देना। जब आप कुछ खोजते हैं, तो Google की पूरी कोशिश होती है कि वो आपको वो वेबसाइट दिखाए जहाँ आपको अपने सवाल का सबसे अच्छा जवाब मिले।

वहीं, दूसरे प्लेटफॉर्म्स का मक़सद थोड़ा अलग हो सकता है।

Facebook/Instagram: इनका एल्गोरिदम ये देखता है कि आपको अपने दोस्तों और परिवार से क्या पसंद है, और कौन से पोस्ट आपको सबसे ज़्यादा देर तक रोक सकते हैं। ये आपके दोस्तों की पोस्ट और विज्ञापनों को ज़्यादा दिखाते हैं, ताकि आप प्लेटफॉर्म पर ज़्यादा समय बिताएं। ये आपकी ‘पसंद’ और ‘जुड़ाव’ पर ज़्यादा ध्यान देते हैं।

YouTube: YouTube का एल्गोरिदम इस बात पर ध्यान देता है कि कौन-से वीडियो आपको ज़्यादा समय तक प्लेटफॉर्म पर बनाए रख सकते हैं। यह आपके द्वारा पहले देखे गए वीडियोज़, आपकी रुचियों और आपके watch time के आधार पर नए वीडियो सजेस्ट करता है। YouTube यह भी देखता है कि किन वीडियो पर लोग ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं — जैसे लाइक, कमेंट या शेयर करते हैं। यही वजह है कि यह एल्गोरिदम उन वीडियो को प्राथमिकता देता है जो दर्शकों को न सिर्फ़ आकर्षित करते हैं, बल्कि उन्हें ज़्यादा देर तक जुड़े भी रखते हैं।

दूसरा, Google बाहरी लिंक्स पर ज़्यादा ध्यान देता है। Google के लिए, अगर बहुत सारी अच्छी वेबसाइटें आपकी वेबसाइट को लिंक कर रही हैं (जिन्हें हम ‘बैकलिंक्स’ कहते हैं), तो Google को लगता है कि आपकी वेबसाइट भरोसेमंद और काम की है। ये एक तरह का वोट है।

वहीं, दूसरे प्लेटफॉर्म्स के लिए लिंक्स उतने मायने नहीं रखते। Facebook पर अगर कोई आपकी पोस्ट लाइक या शेयर करता है, तो वो ज़्यादा ज़रूरी होता है। YouTube पर आपके वीडियो पर कितने व्यूज़ आए या लोग कितनी देर तक रुके, ये ज़्यादा मायने रखता है।

तीसरा, Google की स्पीड और मोबाइल पर दिखने पर जोर। Google चाहता है कि आपकी वेबसाइट तेज़ी से खुले और मोबाइल पर अच्छी दिखे। ये उसके लिए बहुत बड़े फैक्टर हैं।

दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर, हालांकि स्पीड मायने रखती है, पर उनका मुख्य ध्यान आपके कंटेंट को सीधे अपने प्लेटफॉर्म पर ही दिखाना होता है (जैसे Facebook पर वीडियो या Instagram पर फोटो)। उन्हें आपकी वेबसाइट की स्पीड की उतनी चिंता नहीं होती, जितनी खुद उनके प्लेटफॉर्म पर कंटेंट की परफॉर्मेंस की।

तो, आप देख सकते हैं कि google vs other algorithms दूसरों से कैसे अलग है, ये समझना बहुत ज़रूरी है। हर प्लेटफॉर्म के अपने नियम और अपना मक़सद होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका कंटेंट हर जगह चमके, तो आपको हर प्लेटफॉर्म के ‘दिमाग’ को समझना होगा।

optimizing for google SEO

अब तक आप जान चुके हैं कि Google का एल्गोरिदम किस तरह काम करता है, इसे बार-बार अपडेट करने की ज़रूरत क्यों पड़ती है, और यह अन्य सर्च इंजनों से किस तरह अलग है। लेकिन असली बात यह है कि इससे हमें क्या फ़ायदा मिलता है? असल मकसद तो यही है कि हम अपनी वेबसाइट को इस तरह तैयार करें कि Google उसे पसंद करे और उसे सर्च रिज़ल्ट्स में ऊपर रैंक दे।

इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे आपने कोई दुकान खोली है। अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी दुकान तक आएं और वहाँ से कुछ खरीदें, तो आपको उस दुकान की जगह सही चुननी होगी, उसे साफ-सुथरा रखना होगा और वहाँ ऐसा सामान रखना होगा जिसकी मांग हो। ठीक उसी तरह, SEO आपकी वेबसाइट को एक डिजिटल दुकान की तरह बेहतर बनाता है—जहाँ लोग आसानी से पहुँच सकें, रुचि लें और ज़्यादा समय बिताएँ। 

जब मैंने अपना पहला ब्लॉग शुरू किया, तो मैं बस लिखता रहता था और सोचता था कि लोग अपने आप आ जाएंगे। पर ऐसा हुआ नहीं। मुझे एहसास हुआ कि सिर्फ़ अच्छा कंटेंट होना ही काफ़ी नहीं है, उसे Google को दिखाना भी ज़रूरी है। तब मैंने ‘SEO’ के बारे में सीखना शुरू किया। ये ऐसा था जैसे मुझे एक गुप्त कोड मिल गया हो, जिससे मैं Google को बता सकता था कि मेरी वेबसाइट कितनी अच्छी है। मेरा अनुभव है कि optimizing for google SEO के लिए अपनी वेबसाइट को बेहतर बनाना एक लगातार चलने वाला काम है, पर इसके नतीजे बहुत शानदार होते हैं। मेरी विशेषज्ञता इसी बात में है कि मैंने सालों तक Google की सभी गाइडलाइन्स को पढ़ा है, सैकड़ों वेबसाइटों पर इसे आज़माया है, और मैं आपको बता सकता हूँ कि कौन से तरीके सच में काम करते हैं।

तो, आइए जानते हैं कि Google SEO के लिए अपनी वेबसाइट को कैसे बेहतर बनाएँ।

सबसे पहले ज़रूरी है सही कीवर्ड्स को पहचानना और उनका समझदारी से इस्तेमाल करना। कीवर्ड वो शब्द या वाक्यांश होते हैं जिन्हें लोग Google पर सर्च करते हैं, जब वे किसी जानकारी की तलाश में होते हैं। आपको पहले यह जानना होगा कि आपके टॉपिक से जुड़ी कौन-सी चीज़ें लोग सबसे ज़्यादा खोज रहे हैं। उसके बाद उन शब्दों को अपने कंटेंट में स्वाभाविक और सटीक तरीके से शामिल करना चाहिए। ध्यान रहे, कीवर्ड्स को जबरन हर जगह भरने से बचें। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे आप अपनी दुकान में वही चीज़ें रख रहे हैं, जिनकी माँग ज़्यादा है, और हर चीज़ पर साफ़-सुथरा नाम लिखा हुआ है जिससे ग्राहक को ढूँढने में आसानी हो।

दूसरा, अच्छी क्वालिटी का और लंबा कंटेंट लिखें। Google ऐसे कंटेंट को पसंद करता है जो लोगों के लिए सच में मददगार हो और पूरी जानकारी देता हो। अगर आप किसी टॉपिक पर लिख रहे हैं, तो उसे गहराई से समझाएँ। अधूरा या सतही कंटेंट Google को पसंद नहीं आता। आपका कंटेंट ऐसा होना चाहिए जिसे पढ़ने के बाद लोगों के मन में कोई सवाल न बचे।

तीसरा, वेबसाइट को तेज़ और मोबाइल-फ़्रेंडली बनाएँ। हमने पहले भी बात की है कि Google को तेज़ वेबसाइटें पसंद हैं। साथ ही, आपकी वेबसाइट मोबाइल फ़ोन पर भी अच्छी दिखनी चाहिए और आसानी से इस्तेमाल होनी चाहिए। अगर आपकी वेबसाइट धीमी है या फ़ोन पर खराब दिखती है, तो लोग तुरंत वापस चले जाएंगे, और Google इसे अच्छा नहीं मानेगा।

चौथा, अपनी वेबसाइट पर दूसरे अच्छे लिंक्स बनाएँ (बैकलिंक्स)। अगर बहुत सारी दूसरी भरोसेमंद वेबसाइटें आपके ब्लॉग को लिंक करती हैं, तो Google को लगता है कि आपका ब्लॉग भी भरोसेमंद और काम का है। ये लिंक्स ऐसे होने चाहिए जो आपको नेचुरल तरीके से मिलें, न कि आप उन्हें खरीदें या गलत तरीके से बनाएँ। ये ऐसा है जैसे जब बहुत सारे लोग आपकी दुकान की तारीफ़ करें, तो दूसरे लोग भी उस पर भरोसा करने लगते हैं।

पाँचवाँ, वेबसाइट का स्ट्रक्चर साफ़ रखें। आपकी वेबसाइट इस तरह से बनी होनी चाहिए कि Google के रोबोट्स उसे आसानी से पढ़ सकें और समझ सकें। इसमें आपकी वेबसाइट के पेज कैसे जुड़े हैं, हेडिंग (H1, H2) का सही इस्तेमाल, और साफ़ URL (वेबसाइट का पता) जैसी चीज़ें आती हैं। ये ऐसा है जैसे आपकी दुकान में हर सामान करीने से लगा हो, ताकि कोई भी ग्राहक आसानी से उसे ढूंढ सके।

छठा, नियमित रूप से नया कंटेंट डालें। Google को ताज़ा कंटेंट पसंद है। अगर आप नियमित रूप से नए और अच्छे लेख डालते रहते हैं, तो Google आपके ब्लॉग को ज़्यादा बार देखेगा और उसे लगेगा कि आप एक एक्टिव और अपडेटेड सोर्स हैं।

तो, आप देख सकते हैं कि optimizing for google SEO के लिए अपनी वेबसाइट को बेहतर बनाना कोई एक बार का काम नहीं है। यह एक लगातार चलने वाली यात्रा है जिसमें आपको अपनी वेबसाइट को Google और उसके यूज़र्स, दोनों के लिए बेहतर बनाते रहना होगा।

अब जब आपको पता चल गया है कि Google को खुश कैसे करें और अपनी वेबसाइट को कैसे चमकाएँ, तो क्या आप अपनी ऑनलाइन यात्रा में एक नई छलांग लगाने के लिए तैयार हैं।

google penalty triggers

अब तक हमने सीखा कि Google कैसे काम करता है, कैसे कंटेंट को रैंक करता है, और अपनी वेबसाइट को Google के लिए कैसे ऑप्टिमाइज़ करें। पर Google की दुनिया में एक ऐसी चीज़ भी है जिससे आपको बचना चाहिए, और वो है ‘पेनल्टी’ (Penalty)। इसे समझने के लिए, हम बात करेंगे कि google penalty triggers किन वजहों से मिलती है। इसे ऐसे समझिए कि आप स्कूल में कोई खेल खेल रहे हैं, और उसके कुछ नियम होते हैं। अगर आप उन नियमों को तोड़ते हैं, तो आपको ‘फाउल’ या ‘पेनल्टी’ मिलती है, जिससे आपकी टीम को नुकसान होता है। Google भी अपनी वेबसाइटों के लिए ऐसा ही करता है—अगर आप उसके नियमों को तोड़ते हैं, तो आपकी वेबसाइट को सज़ा मिलती है।

जब मैंने ब्लॉगिंग की शुरुआत की, तब मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी कि मेरी वेबसाइट जल्द से जल्द Google पर रैंक करे। इसी उत्साह में मैंने कुछ ऐसे शॉर्टकट्स अपनाए जो उस वक्त तो सही लगे, लेकिन वे Google की गाइडलाइंस के खिलाफ थे। नतीजा ये हुआ कि मेरी साइट पर पेनल्टी लग गई और सारा ट्रैफिक अचानक गायब हो गया। उस अनुभव ने मुझे सिखाया कि सिर्फ़ टॉप रैंकिंग पाना ही काफी नहीं होता, बल्कि यह समझना भी ज़रूरी है कि Google किन चीज़ों को नकारात्मक मानता है।

उस पेनल्टी के बाद मैंने न सिर्फ़ अपनी साइट को रिकवर किया, बल्कि कई दूसरी वेबसाइट्स को भी बाहर निकालने में मदद की। आज मुझे यह अच्छी तरह मालूम है कि Google पेनल्टी किन वजहों से लगती है और उनसे कैसे बचा जा सकता है — ताकि आपकी मेहनत बेकार न जाए। 

तो, आइए जानते हैं कि Google पेनल्टी किन वजहों से मिलती है।

सबसे पहली गलती होती है – कमजोर या कॉपी किया गया कंटेंट (Thin or Duplicated Content)। अगर आपकी वेबसाइट पर ऐसा कंटेंट है जो बहुत कमज़ोर है, ज़रूरत की जानकारी नहीं देता या कहीं और से हूबहू उठाया गया है, तो Google उसे नज़रअंदाज़ कर सकता है। Google हमेशा चाहता है कि यूज़र को ओरिजिनल और उपयोगी जानकारी मिले। इसे ऐसे समझिए जैसे आपने होमवर्क में किसी और की कॉपी पेस्ट कर दी — टीचर तुरंत पकड़ लेती हैं और आपको नंबर नहीं मिलते। ठीक वैसा ही Google भी करता है, और ऐसी वेबसाइट्स को नीचे रैंक करता है या पेनल्टी भी दे सकता है। 

दूसरा, छिपे हुए कीवर्ड या टेक्स्ट (Hidden Keywords or Text)। कुछ लोग चालाकी करने की कोशिश करते हैं। वे अपने पेज पर बहुत सारे कीवर्ड सफेद टेक्स्ट में या बहुत छोटे फ़ॉन्ट में छिपा देते हैं ताकि लोग उसे देख न सकें, पर Google के रोबोट उसे पढ़ लें। Google ये सब पहचान लेता है और इसे गलत मानता है। ये ऐसा है जैसे आप परीक्षा में कोई नकल की चिट छुपा कर ले जाओ।

तीसरा, गलत तरीके से लिंक बनाना (Spammy Link Building)। हमने पहले बात की थी कि अच्छे लिंक्स Google के लिए कितने ज़रूरी हैं। पर अगर आप गलत तरीके से बहुत सारे लिंक्स बनाते हैं—जैसे लिंक्स खरीदना, बेकार की वेबसाइटों से लिंक लेना, या सिर्फ़ लिंक बनाने के लिए वेबसाइटें बनाना—तो Google इसे पेनल्टी मानता है। Google चाहता है कि लिंक्स आपको नेचुरल तरीके से मिलें, क्योंकि आपका कंटेंट सच में अच्छा है।

चौथा, बहुत ज़्यादा कीवर्ड इस्तेमाल करना (Keyword Stuffing)। जब आप अपने लेख में एक ही कीवर्ड को बार-बार, बिना मतलब के इस्तेमाल करते हैं, तो Google इसे बुरा मानता है। जैसे, अगर आप ‘दिल्ली में सबसे अच्छी बिरयानी’ पर लेख लिख रहे हैं और हर लाइन में ‘दिल्ली में सबसे अच्छी बिरयानी, दिल्ली में सबसे अच्छी बिरयानी’ लिखते हैं, तो ये Google को पसंद नहीं आएगा। इसे ‘कीवर्ड स्टफिंग’ कहते हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

पाँचवाँ कारण है – खराब यूज़र एक्सपीरियंस (Poor User Experience)। अगर आपकी वेबसाइट बहुत धीरे लोड होती है, मोबाइल पर ठीक से काम नहीं करती, या उस पर बार-बार पॉप-अप्स आकर विज़िटर्स को परेशान करते हैं, तो Google इसे पसंद नहीं करेगा। यह Google की नज़र में एक बड़ी कमी है। Google हमेशा ऐसे पेज को प्राथमिकता देता है जो यूज़र्स को आसान और साफ़ अनुभव दें। अगर विज़िटर बार-बार वेबसाइट से जल्दी बाहर निकलते हैं या कोई भी इंटरैक्शन नहीं करते, तो यह संकेत Google को मिलता है कि आपकी साइट यूज़र के लिए फ़ायदेमंद नहीं है — और इससे आपकी रैंकिंग पर सीधा असर पड़ सकता है।

तो, आप देख सकते हैं कि google penalty triggers किन वजहों से मिलती है, ये सब Google के नियमों को तोड़ने से होता है। Google हमेशा चाहता है कि लोग ईमानदारी से काम करें और सबसे अच्छा कंटेंट दिखाएं। इन गलतियों से बचकर आप अपनी वेबसाइट को सुरक्षित रख सकते हैं और Google में ऊपर आ सकते हैं।

conclusion

तो दोस्तों, ये था Google Algorithm का पूरा माजरा हमने देखा कि Google कैसे सोचता है, कैसे अपनी वेबसाइटों को ऊपर-नीचे करता है, और किन चीज़ों से उसे खुशी मिलती है और किनसे गुस्सा। मेरे लिए तो सबसे ज़्यादा काम की चीज़ ये रही कि Google सिर्फ़ किताबों की बातें नहीं समझता, वो असली मेहनत और अच्छे इरादे को पहचानता है। जब मैंने ये समझा कि मुझे सिर्फ़ Google के लिए नहीं, बल्कि अपने पाठकों के लिए कंटेंट बनाना है, तो सच कहूँ मेरी सारी मुश्किलें हल हो गईं।

अगर मैं ये बात अपने छोटे भाई को समझा रहा होता, तो मैं यही कहता: “देख भाई, Google किसी सख्त लेकिन समझदार टीचर की तरह है। अगर तू सही से मेहनत करेगा, दूसरों की मदद करेगा और ईमानदारी से अपना काम करेगा, तो वो खुद ही तुझे सबसे ऊपर ले आएगा। लेकिन अगर तू शॉर्टकट अपनाएगा, नकल करेगा या चीटिंग करेगा, तो हो सकता है एक बार बच जाए, लेकिन पकड़ा जरूर जाएगा – और फिर नम्बर तो क्या, इज़्ज़त भी चली जाएगी।”

मुझे पूरी उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपको Google की दुनिया को समझने में बहुत मदद मिली होगी। याद रखना, SEO कोई एक दिन का काम नहीं है, ये एक दोस्ती जैसी है—आपको इसे लगातार निभाना पड़ता है।

तो अब बताओ, Google Algorithm के बारे में सबसे दिलचस्प चीज़ तुम्हें क्या लगी। और हाँ, अगर कुछ नया सीखा हो तो कमेंट्स में ज़रूर बताना।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *