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what is conflict resolution skills

what is conflict resolution skills

Introduction 

आप अपनी कंपनी के एचआर हेड से एक छोटी सी बातचीत करने गए थे, पर पता नहीं कब बात गरमा-गरम बहस में बदल गई और आप अपना सिर खुजाते रह गए।या हो सकता है कि आपने अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ किसी बात पर सिर्फ़ मज़ाक किया हो, पर वो इसे दिल पर ले बैठा. ऐसी सिचुएशन हम सभी की ज़िंदगी में आती रहती हैं, है ना।

मुझे आज भी याद है, मेरे एक दोस्त की शादी में खाने की प्लेट्स को लेकर इतना बड़ा बवाल हो गया था कि लगा सब कुछ कैंसिल ही न हो जाए. उस दिन मुझे पहली बार सच में समझ आया कि what is conflict resolution skills और ये कितनी ज़रूरी हैं। ये सिर्फ़ किसी बड़ी लड़ाई को सुलझाने के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये रोज़मर्रा की छोटी-मोटी नोक-झोंक को भी संभालने के काम आती हैं ताकि रिश्ते ख़राब न हों।

एक ज़माने में, जब मैं एक टीम लीडर के तौर पर काम करता था, तो मेरा मानना था कि ‘कॉन्फ़्लिक्ट’ मतलब ‘समस्या। मैं हमेशा उनसे दूर भागता था, पर धीरे-धीरे मुझे ये बात समझ आई कि अगर सही तरीक़े से निपटा जाए, तो मतभेद असल में ग्रोथ का ज़रिया बन सकते हैं। तब से मेरा नज़रिया ही बदल गया इस ब्लॉग पोस्ट में, मैं आपको सिर्फ़ किताबी बातें नहीं बताऊंगा, बल्कि अपने सालों के प्रैक्टिकल अनुभव से ये सिखाऊंगा कि कैसे आप न सिर्फ़ झगड़ों को सुलझा सकते हैं, बल्कि उन्हें अपने फ़ायदे में बदल सकते हैं।

इस लेख में हम समझेंगे कि what is conflict resolution skills यानी टकराव को सुलझाने की कला आखिर होती क्या है, इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है, और सबसे अहम बात — इन्हें अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और कामकाज में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। यकीन मानिए, ये स्किल्स सिर्फ़ ऑफिस या पेशेवर माहौल के लिए ही नहीं हैं, बल्कि आपकी निजी ज़िंदगी को भी कहीं ज़्यादा शांत और संतुलित बना सकती हैं। तो चलिए, इस दिलचस्प और ज्ञान से भरपूर सफर की शुरुआत करते हैं।

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conflict resolution definition

आज के समय में, जब हम डिजिटल दुनिया से इतने जुड़े हुए हैं, तब भी छोटी-छोटी बातों पर लोगों के बीच मतभेद या बहस हो ही जाती है। कई बार तो हमें ये भी समझ नहीं आता कि झगड़ा हुआ क्यों। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आप और आपका दोस्त टीवी देख रहे हैं — आप कार्टून लगाना चाहते हैं जबकि आपका दोस्त वीडियो गेम खेलना चाहता है। इस तरह की स्थिति को ही ‘कॉन्फ्लिक्ट’ या टकराव कहा जाता है।

जब मैं छोटा था, तब मुझे लगता था कि झगड़ा मतलब कोई बुरी चीज़ है, जिससे दूर भागना चाहिए पर फिर जब मैंने टीम्स के साथ काम करना शुरू किया, तब मुझे ये बात अच्छे से समझ आई कि कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन डेफिनेशन का मतलब सिर्फ झगड़ों को खत्म करना नहीं है, बल्कि उन्हें इस तरह से सुलझाना है कि सब खुश रहें।मेरा अपना अनुभव कहता है कि जब लोग मिलकर किसी बात पर सहमत नहीं होते, तो उसे अच्छे से सुलझाने का तरीका ढूंढना ही कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन है।

आसान शब्दों में कहें तो, conflict resolution definition तब ज़रूरी होता है जब दो या दो से ज़्यादा लोग किसी बात पर सहमत नहीं होते। ऐसे में कोशिश की जाती है कि सभी की बात सुनी जाए और एक ऐसा समाधान निकाला जाए जो सबके लिए ठीक हो। यह सिर्फ़ बहस ख़त्म करने का तरीका नहीं, बल्कि एक ऐसी कला है जिसमें धैर्य रखना, सामने वाले की बात समझना और मिलकर किसी नतीजे तक पहुँचना शामिल होता है। अपने अनुभव से मैंने जाना है कि ये स्किल न सिर्फ़ टकराव को सुलझाती है, बल्कि रिश्तों को भी मजबूत बनाती है और ज़िंदगी की बड़ी समस्याओं को भी आसान कर देती है। यह कोई सिर्फ़ किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि एक ज़रूरी जीवन-कौशल है।

conflict resolution techniques

अब जब हमने यह समझ लिया है कि आखिर झगड़ा सुलझाने का मतलब क्या है, तो अगला सवाल आता है कि ये करते कैसे हैं। क्या कोई खास जादू की छड़ी है जिससे सारे झगड़े खत्म हो जाते हैं। असल में, ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है, बल्कि कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें हम conflict resolution techniques कहते हैं। ये वो खास तरीके हैं जो हमें सिखाते हैं कि कैसे हम मुश्किल बातों को भी आसानी से सुलझा सकते हैं।

मुझे आज भी याद है जब मैं पहली बार किसी टीम का हिस्सा बना था। हम सब दोस्त थे, पर काम के दौरान बहुत बहस होती थी। तब मुझे लगा कि आखिर इन बातों को कैसे संभाला जाए। धीरे-धीरे मैंने खुद ही कुछ तरीके आज़माए कभी किसी को शांत होकर सुनना, तो कभी खुद अपनी बात को इस तरह रखना कि किसी को बुरा न लगे। इन्हीं सब अनुभवों से मैंने सीखा कि कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन टेक्निक्स कोई मुश्किल चीज़ नहीं है, बस कुछ आसान से कदम हैं जिन्हें हमें सही समय पर उठाना होता है।

तो फिर सवाल ये उठता है कि conflict resolution techniques असल में होती क्या हैं।  चलिए, मैं आपको कुछ बेहद अहम और आसान तरीके बताता हूँ जो मैंने अपने अनुभव से सीखे हैं। और जो वास्तव में असरदार साबित होते हैं।

बातचीत करना (Communication): सबसे पहले तो शांति से बैठकर बात करना बहुत ज़रूरी है अपनी बात बताएं, पर दूसरे की बात भी ध्यान से सुनें मान लीजिए, दो दोस्त एक ही खिलौना चाहते हैं, तो दोनों को अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए।

सक्रिय रूप से सुनना (Active Listening): केवल सुनना काफी नहीं होता, बल्कि सामने वाले की बात को पूरी गंभीरता और ध्यान से समझना ज़रूरी होता है। जब कोई बोल रहा हो, तो उसे बीच में न रोकें और न ही जवाब देने की जल्दी करें। उसकी बात को पूरे मन से समझने की कोशिश करें। ऐसा करने से सामने वाला महसूस करता है कि उसकी बात को महत्व दिया जा रहा है, जिससे आपसी भरोसा और समझ बेहतर होती है।

समझौता करना (Compromise): कभी-कभी न तो आप पूरी तरह जीत सकते हैं और न ही दूसरा व्यक्ति ऐसे में, बीच का रास्ता निकालना ही सबसे अच्छा होता है, जैसे, अगर एक दोस्त को फुटबॉल खेलना है और दूसरे को वीडियो गेम, तो आधे घंटे फुटबॉल और आधे घंटे वीडियो गेम खेलना एक अच्छा समझौता हो सकता है।

भावनाओं को समझना (Understanding Emotions): झगड़े में अक्सर लोग गुस्से में होते है ऐसे में, सामने वाले के गुस्से या उदासी को समझना ज़रूरी है अगर कोई गुस्से में है, तो उसे शांत होने का समय दें, फिर बात करें।

व्यक्ति नहीं, समस्या को सुलझाएं (Address the Issue, Not the Person): जब दो लोगों के बीच किसी बात पर मतभेद होता है, तो ज़रूरी है कि हम मुद्दे पर फोकस करें, न कि एक-दूसरे पर आरोप लगाएं। किसी पर ऊँगली उठाने से हालात और बिगड़ सकते हैं। बेहतर यह है कि ठंडे दिमाग से यह सोचें कि असली समस्या क्या है और उसे कैसे हल किया जा सकता है। यही तरीका समझदारी से टकराव सुलझाने में मदद करता है।

ये सारी conflict resolution techniques आपको सुनने में शायद बहुत आसान लगें, पर इन्हें सही समय पर और सही तरीके से इस्तेमाल करना ही असली चुनौती है। मैंने इन तरीकों को अनगिनत बार आज़माया है और हर बार इसने मुझे बेहतर परिणाम दिए हैं। ये सिर्फ़ बातें नहीं हैं, बल्कि आजमाए हुए तरीके हैं जो वाकई काम करते हैं। 

importance of conflict resolution skills

हमने अब तक ये समझ लिया है कि झगड़े सुलझाने के तरीके क्या होते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब सीखना इतना ज़रूरी क्यों है। आखिर क्यों हमें इन बातों पर इतना ध्यान देना चाहिए। असल में importance of conflict resolution skills इतनी ज़्यादा है कि ये आपकी ज़िंदगी को कई तरीकों से बदल सकती हैं।

मुझे आज भी याद है जब मैं कॉलेज में था मेरे दो बहुत अच्छे दोस्त थे, पर उनके बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर मनमुटाव हो जाता था, कभी खाने को लेकर, तो कभी कहीं घूमने जाने को लेकर वो एक-दूसरे से बात करना ही बंद कर देते थे और मुझे बीच में पड़कर उन्हें समझाना पड़ता था। तब मुझे लगा कि अगर ये लोग खुद ही झगड़ों को सुलझाना सीख जाएं, तो कितना अच्छा हो उस दिन मुझे पहली बार importance of conflict resolution skills का असली मतलब समझ आया ये सिर्फ़ बड़ी-बड़ी कंपनियों या ऑफ़िस के झगड़ों के लिए नहीं हैं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए भी उतनी ही ज़रूरी हैं।

तो आखिर क्यों ज़रूरी हैं ये स्किल्स। चलिए, मैं आपको बताता हूँ कि मेरे इतने सालों के अनुभव में मैंने क्या सीखा है और क्यों ये स्किल्स आपके लिए इतनी काम की हैं।

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रिश्ते मज़बूत होते हैं: सबसे पहली बात, ये आपके रिश्तों को मज़बूत बनाती हैं चाहे दोस्त हों, परिवार वाले हों, या फिर दफ़्तर के साथी, जब आप झगड़ों को अच्छे से सुलझाना सीख जाते हैं, तो रिश्ते टूटने की बजाय और गहरे होते हैं लोग एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं।

तनाव कम होता है: झगड़े अक्सर बहुत तनाव देते हैं, है ना। जब आप जानते हैं कि झगड़े को कैसे सुलझाना है, तो ये तनाव कम हो जाता है आपको चिंता नहीं होती कि अब क्या होगा, बल्कि आप समाधान पर ध्यान दे पाते हैं।

काम में मन लगता है: अगर आप दफ़्तर में काम करते हैं और टीम में झगड़े होते रहते हैं, तो काम में मन नहीं लगता पर जब झगड़ों को तुरंत और अच्छे से सुलझा लिया जाता है, तो सब मिलकर अच्छे से काम कर पाते हैं और प्रोडक्टिविटी बढ़ती है। मैंने कई बार देखा है कि एक सुलझा हुआ झगड़ा पूरी टीम को और भी बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करता है।

आत्मविश्वास बढ़ता है: जब आप किसी मुश्किल स्थिति को संभालना सीख जाते हैं, तो आपका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। आपको लगता है कि हां, मैं चीज़ों को संभाल सकता हूँ। ये मेरे लिए एक बहुत बड़ी सीख थी कि हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।

आप एक बेहतर इंसान बनते हैं: ये स्किल्स आपको सिर्फ़ झगड़े सुलझाना ही नहीं सिखातीं, बल्कि आपको धैर्यवान, समझदार और दूसरों की बात सुनने वाला इंसान भी बनाती हैं ये गुण आपको ज़िंदगी के हर मोड़ पर काम आते हैं।

मेरे अनुभव ने मुझे ये सिखाया है कि importance of conflict resolution skills ये एक ऐसी अहम स्किल है जो आपकी निजी ज़िंदगी और प्रोफेशनल करियर दोनों में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। सही तरीके से इस्तेमाल की जाए तो ये किसी जादू से कम नहीं लगती।

active listening conflict resolution

हमने अब तक कई तरीक़े देखे जिनसे झगड़ों को सुलझाया जा सकता है, लेकिन एक तरीका ऐसा है जिसे मैं सबसे अहम मानता हूँ। और वो है ध्यान से सुनना। अब आप कहेंगे, इसमें नया क्या है, हम तो रोज़ सुनते ही हैं। लेकिन यहां बात सिर्फ कानों से सुनने की नहीं है, बल्कि दिल से समझने की है – जिसे हम active listening conflict resolution और जब बात झगड़ों को सुलझाने की हो, तो ये तकनीक सबसे असरदार साबित होती है।

मुझे याद है, एक बार मेरे घर में एक बड़ा झगड़ा हो गया था मेरी छोटी बहन और भाई किसी बात पर बहुत बहस कर रहे थे। दोनों चिल्ला रहे थे और कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था मैंने कोशिश की उन्हें शांत करने की, पर बात बढ़ती जा रही थी। तब मैंने फैसला किया कि मैं कुछ नहीं बोलूंगा, बस उन्हें सुनूंगा मैंने उन्हें एक-एक करके अपनी बात कहने दी और मैंने उन्हें बिना टोके, बिना कोई जवाब सोचे सिर्फ सुना। जब मैंने ऐसा किया, तो मुझे हैरानी हुई. उन्हें बस कोई ऐसा चाहिए था जो उन्हें सुन सके उस दिन मैंने समझा कि active listening conflict resolution में कितनी ताकत है।

तो, एक्टिव लिसनिंग का मतलब क्या है जब हम झगड़ों को सुलझाने की बात करते हैं। इसका मतलब है।

पूरा ध्यान देना: जब सामने वाला बोल रहा हो, तो अपना पूरा ध्यान उसी पर रखो फ़ोन मत देखो, कहीं और मत देखो ऐसे दिखाओ कि आप उसकी बात में सच में दिलचस्पी ले रहे हो।

समझने की कोशिश करना: सिर्फ़ शब्द मत सुनो, बल्कि उसकी भावनाओं को भी समझो वो क्यों नाराज़ है, क्यों दुखी है, या क्यों परेशान है। उसके कहने का मतलब क्या है, ये समझने की कोशिश करो।

बीच में न टोकना: जब तक सामने वाला अपनी बात पूरी न कर ले, उसे बीच में मत टोको भले ही आपको लगे कि आपको जवाब पता है या आप सहमत नहीं हो, फिर भी इंतज़ार करो।

सवाल पूछना (अगर ज़रूरत हो): अगर कोई बात समझ नहीं आई, तो सवाल पूछो जैसे, “क्या तुम ये कहना चाहते हो कि ” या “क्या तुम्हें इस बात से बुरा लगा। ” इससे सामने वाले को लगता है कि आप उसकी बात समझने की कोशिश कर रहे हो।

भावनात्मक प्रतिक्रिया देना (चेहरे के हाव-भाव से): जब आप सुन रहे हो, तो अपने चेहरे से या सिर हिलाकर दिखाओ कि आप उसकी बात पर ध्यान दे रहे हो इससे सामने वाले को अच्छा लगता है।

ये active listening conflict resolution के कुछ ऐसे आसान से तरीके हैं जिन्हें मैंने खुद अपनी ज़िंदगी में बार-बार आज़माया है, मैंने देखा है कि जब लोग ये महसूस करते हैं कि उन्हें सुना जा रहा है, तो उनका गुस्सा अपने आप कम हो जाता है और वे समाधान के लिए तैयार हो जाते हैं ये सिर्फ़ सुनना नहीं है, बल्कि एक पुल बनाना है जो दो लोगों को जोड़ता है ये सबसे असरदार कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन टेक्नीक में से एक है।

emotional intelligence conflict resolution

हमने अब तक ये बात की कि कैसे झगड़ों को सुलझाना है और दूसरों की बात ध्यान से सुनना कितना ज़रूरी है पर एक और चीज़ है जो इन सबमें बहुत मदद करती है, और वो है आपकी अपनी भावनाओं को समझना और दूसरों की भावनाओं को महसूस करना इसे ही हम इमोशनल इंटेलिजेंस कहते हैं, और emotional intelligence conflict resolution के लिए एक सुपरपावर की तरह है।

मुझे याद है, एक बार मेरे एक दोस्त को किसी बात पर बहुत गुस्सा आ गया था वो बहुत चिल्ला रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैंने पहले सोचा कि मैं भी उससे बहस करूं, पर फिर मैंने एक गहरी सांस ली मैंने अपने गुस्से को समझा और सोचा कि आखिर वो इतना नाराज़ क्यों है। जब मैंने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और उसकी परेशानी को समझने की कोशिश की, तो धीरे-धीरे वो शांत हो गया उस दिन मुझे सच में अहसास हुआ कि emotional intelligence conflict resolution में कितनी अहमियत रखती है ये सिर्फ़ होशियार होना नहीं है, बल्कि अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझना और उन्हें अच्छे से संभालना है।

तो फिर सवाल ये उठता है कि इमोशनल इंटेलिजेंस झगड़ों को सुलझाने में कैसे काम आती है। आइए जानते हैं कुछ जरूरी गुण, जो इस स्किल का हिस्सा हैं और जिन्हें सीखकर आप बेहतर तरीके से किसी भी टकराव को संभाल सकते हैं।

अपनी भावनाओं को समझना: सबसे पहले तो ये जानो कि जब कोई झगड़ा होता है, तो आपको कैसा महसूस होता है क्या आपको गुस्सा आता है। डर लगता है। या आप उदास होते हो। जब आप अपनी भावनाओं को समझते हो, तो उन्हें कंट्रोल करना आसान हो जाता है।

दूसरों की भावनाओं को समझना: ये समझना कि सामने वाला क्या महसूस कर रहा है, बहुत ज़रूरी है अगर कोई गुस्से में है, तो ये मत सोचो कि वो जानबूझकर तुम्हें परेशान कर रहा है, बल्कि ये सोचने की कोशिश करो कि उसके गुस्से के पीछे क्या वजह हो सकती है।

अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना: जब गुस्सा आए या मन अस्थिर हो, तो तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय थोड़ा रुकें, गहरी सांस लें और खुद को शांत करें। ऐसे हालात में सोच-समझकर बात करना जरूरी होता है। अपनी भावनाओं को काबू में रखना, इमोशनल इंटेलिजेंस और कॉन्फ्लिक्ट सुलझाने की प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है।

सही तरीके से बात करना: जब आप अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझते हैं, तो आप अपनी बात को ज़्यादा अच्छे तरीके से रख पाते हैं, आप ऐसे शब्द चुनते हैं जिससे सामने वाले को बुरा न लगे और बात आसानी से सुलझ जाए।

मैंने अपने काम और ज़िंदगी में हमेशा पाया है कि ये इमोशनल इंटेलिजेंस ही है जो मुझे मुश्किल स्थितियों में भी शांत और सुलझा हुआ रहने में मदद करती है, ये कोई जादुई मंत्र नहीं है, बल्कि एक हुनर है जिसे सीखा जा सकता है। जब आप इसे अपनी आदतों में शामिल कर लेते हैं, तो झगड़ों को सुलझाना बहुत आसान हो जाता है आप खुद देखोगे कि कैसे लोग आपकी बात सुनते हैं और आप पर भरोसा करते हैं।

conflict resolution statements

अब तक हमने यह समझा कि झगड़े सुलझाने में दूसरों को ध्यान से सुनना और अपनी भावनाओं को संभालना कितना ज़रूरी है। लेकिन जब बोलने की बारी आती है, तो हम क्या कहें। क्या कुछ खास तरह के शब्द होते हैं जो तनाव को कम कर सकते हैं।  बिल्कुल। ऐसे कुछ असरदार वाक्य होते हैं जिन्हें हम conflict resolution statements कहते हैं। ये खास बातें मुश्किल हालात में बातचीत को सहज बनाने में मदद करती हैं और रिश्तों में तनाव को कम कर देती हैं।

मुझे याद है, मेरे ऑफ़िस में एक बार दो टीम में बहुत बड़ी गलतफहमी हो गई थी दोनों टीमें एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगा रही थीं, कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था तब मैंने बीच-बचाव किया और उन्हें कुछ खास बातें कहने को कहा मैंने उन्हें सिखाया कि अपनी बात ऐसे रखें जिससे सामने वाले को बुरा न लगे और वो भी सुनने को तैयार हो जाए। जब उन्होंने उन conflict resolution statements का इस्तेमाल किया, तो मुझे हैरानी हुई कि कैसे पल भर में ही माहौल शांत हो गया और सब मिलकर समाधान खोजने लगे मेरा सालों का अनुभव कहता है कि सही शब्द सही समय पर किसी भी मुश्किल को आसान बना सकते हैं।

तो चलिए जानते हैं कि ये conflict resolution statements असल में होते क्या हैं। मैं आपके साथ कुछ ऐसे आसान और असरदार वाक्य साझा कर रहा हूँ, जिन्हें मैंने खुद कई बार आजमाया है – और सच मानिए, इन्होंने मुश्किल से मुश्किल बातचीत को भी शांत और सकारात्मक बना दिया।

मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है। ये वाक्य तब बोलो जब सामने वाला गुस्से में हो या दुखी हो इससे उसे लगता है कि आप उसकी परेशानी समझ रहे हो जैसे, अगर आपका दोस्त नाराज़ है कि आप उसके साथ खेलने नहीं गए, तो आप कह सकते हो, मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हें बुरा लग रहा है कि मैं नहीं आ पाया। मेरी तरफ से, मुझे लगता है कि अपनी बात हमेशा ‘मैं’ से शुरू करो, तुम’ से नहीं। इससे सामने वाले को लगता है कि आप इल्ज़ाम नहीं लगा रहे, बल्कि अपनी भावना बता रहे हो। जैसे, मुझे लगता है कि हम इस बात को अलग तरीके से भी कर सकते थे, न कि तुमने ये गलत किया।

जब आपको किसी की बात पूरी तरह समझ न आए, तो ऐसे में यह पूछना कि क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आपको ऐसा क्यों महसूस हुआ। बहुत फ़ायदेमंद होता है। यह सवाल सामने वाले को अपनी भावनाएँ और सोच ज़्यादा अच्छे से बताने का मौका देता है, और इससे आप हालात को बेहतर तरीक़े से समझ पाते हैं, जब दोनों तरफ की बातें सुन ली गई हों और मामला साफ़ हो जाए, तब समाधान की तरफ बढ़ना ज़रूरी होता है।

मैं चाहता हूँ कि हम इस बात को ठीक कर लें। यह वाक्य दिखाता है कि आप रिश्ते को महत्व देते हो और उसे बिगाड़ना नहीं चाहते इससे सामने वाले को भी लगता है कि आप समझौते के लिए तैयार हो।

ये conflict resolution statements सिर्फ कुछ शब्द नहीं हैं, बल्कि ये एक तरीका है जिससे आप अपनी बात को प्यार और समझदारी से रख पाते हो मैंने देखा है कि जब लोग इन वाक्यों का इस्तेमाल करते हैं, तो वे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाते हैं और दूसरों को भी समझते हैं। ये आपके बोलने का तरीका ही है जो किसी भी बहस को बातचीत में बदल सकता है।

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problem solving conflict

हमने अब तक झगड़ों को सुलझाने के लिए सुनना, अपनी भावनाओं को समझना और सही बातें बोलना सीख लिया है, पर इन सब का असली मक़सद क्या है। आखिर ये सब करके हम कहाँ पहुँचना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य हमेशा समस्या को हल करना होता है। इसी को हम problem solving conflict कहते हैं इसका मतलब है कि झगड़े को सिर्फ़ शांत करना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि उसकी जड़ तक जाकर उसे हमेशा के लिए ख़त्म करना है।

मुझे याद है, मेरे बचपन में मेरे भाई और मेरी साइकिल को लेकर बहुत झगड़ा होता था कभी वो पहले लेता, तो कभी मैं हर दिन यही बहस होती थी हम लड़ते, मम्मी डांटतीं, और थोड़ी देर बाद फिर वही ये तब तक चलता रहा जब तक एक दिन पापा ने हम दोनों को बिठाया और कहा, ये हर दिन की लड़ाई अच्छी नहीं है तुम दोनों को एक ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे ये झगड़ा हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए। तब हमने मिलकर तय किया कि एक दिन मैं साइकिल चलाऊंगा और एक दिन वो ये एक छोटा सा उदाहरण है problem solving conflict का, जहाँ हमने सिर्फ़ झगड़े को रोका नहीं, बल्कि उसकी वजह को ही हटा दिया। सालों से लोगों के साथ काम करते हुए मैंने सीखा है कि अगर समस्या की जड़ पर काम न किया जाए, तो वह बार-बार सिर उठाती रहेगी।

तो, जब बात किसी टकराव को हल करने की हो, तो problem solving conflict असल में क्या मायने रखती है। आइए जानते हैं कुछ आसान और असरदार स्टेप्स, जिन्हें मैंने हर बार अपनाया है और जो हमेशा मददगार साबित हुए हैं।

समस्या को पहचानो: सबसे पहले ये पता लगाओ कि असली झगड़ा किस बात पर है क्या वो सिर्फ़ बहस है या उसके पीछे कोई बड़ी वजह छिपी है। जैसे, साइकिल वाला झगड़ा सिर्फ़ साइकिल का नहीं था, बल्कि कौन पहले चलाएगा, इस बात का था।

सभी विकल्पों पर सोचो: जब समस्या समझ आ जाए, तो उसके जितने भी हल हो सकते हैं, उन सब पर एक साथ सोचो कोई भी विचार बुरा नहीं होता, हर सुझाव को लिखो जैसे, साइकिल के लिए हमने सोचा, एक और साइकिल खरीद लें, बड़े होकर चलाएं या बारी-बारी से चलाएं।

मिलकर सबसे अच्छा हल चुनो: अब जितने भी हल सोचे हैं, उनमें से सबसे अच्छा कौन सा है जो सबके लिए सही हो। उस पर बात करो और मिलकर तय करो इसमें समझौता करना पड़ सकता है, पर सबका भला होना चाहिए।

उस हल को करके देखो: जो हल चुना है, उसे करके देखो क्या वो काम कर रहा है।अगर नहीं, तो वापस जाओ और कोई दूसरा हल सोचो।

बातचीत करते रहो: हल निकलने के बाद भी, एक-दूसरे से बात करते रहो अगर कोई नई परेशानी आती है, तो उसे भी मिलकर सुलझाओ।

मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया है कि problem solving conflict सिर्फ़ किसी झगड़े को ख़त्म करना नहीं है, बल्कि भविष्य के झगड़ों को भी रोकना है। ये एक ऐसा तरीका है जिससे लोग एक-दूसरे को समझते हैं, मिलकर काम करना सीखते हैं, और उनके रिश्ते और भी मज़बूत होते हैं। जब आप इस तरीके से सोचते हैं, तो हर झगड़ा एक मौका बन जाता है कुछ नया सीखने का और बेहतर बनने का अब जब हमने झगड़ों को जड़ से सुलझाना सीख लिया है।

conflict resolution styles

हमने अब तक ये तो जान लिया कि झगड़े क्या होते हैं, उन्हें सुलझाते कैसे हैं, और ये क्यों ज़रूरी हैं। पर क्या आपको पता है कि अलग-अलग लोग झगड़ों को अलग-अलग तरीकों से सुलझाते हैं। बिलकुल। इसे ही हम conflict resolution styles

कहते हैं, जैसे हम सब की पसंद अलग होती है, वैसे ही झगड़े सुलझाने का तरीका भी सबका अपना होता है।

मुझे याद है, जब मैं पहली बार कॉलेज के एक ग्रुप प्रोजेक्ट में काम कर रहा था हमारे ग्रुप में चार लोग थे और हम किसी एक बात पर सहमत नहीं हो पा रहे थे, एक दोस्त तो बस झगड़े से बचना चाहता था और कहता था, जो मन करे वो कर लो दूसरा सिर्फ़ अपनी बात मनवाना चाहता था। मैं चाहता था कि सब मिलकर हल निकालें, और चौथा दोस्त तो चुप ही रहता था उस दिन मुझे समझ आया कि हर कोई झगड़े को अलग तरह से देखता है और अलग तरह से ही सुलझाने की कोशिश करता है। इन conflict resolution styles को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि आप जान सकें कि कौन कब कैसा व्यवहार करेगा मेरे इतने सालों के अनुभव में, मैंने ये स्टाइल्स अलग-अलग लोगों में साफ़ तौर पर देखी हैं।

तो, ये कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन स्टाइल्स आखिर होती क्या हैं। चलिए, मैं आपको कुछ सबसे आम स्टाइल्स के बारे में बताता हूँ जो आपको अक्सर देखने को मिलेंगी।

बचना (Avoiding): कुछ लोग झगड़े से बस दूर भागना चाहते हैं जैसे, जब कोई बहस हो रही हो, तो वो चुप हो जाएंगे या उस जगह से चले जाएंगे उन्हें लगता है कि झगड़ा करने से अच्छा है कि उसे इग्नोर कर दो मेरा एक दोस्त था जो हमेशा ऐसा ही करता था।

समझौता करना (Accommodating): इस स्टाइल वाले लोग दूसरों को खुश करने के लिए अपनी बात छोड़ देते हैं, उन्हें लगता है कि अगर वो मान जाएंगे, तो झगड़ा खत्म हो जाएगा जैसे, अगर दो दोस्त एक ही टीवी शो देखना चाहते हैं और एक कहता है, ठीक है, तुम अपना देख लो, तो ये एकॉमोडेटिंग स्टाइल है।

मुकाबला करना (Competing): ये वो लोग होते हैं जो सिर्फ़ अपनी बात मनवाना चाहते हैं उन्हें जीतना पसंद होता है और वो चाहते हैं कि उनकी बात ही चले ये अक्सर बहस को आगे बढ़ाते हैं और दूसरों की बात कम सुनते हैं।

समझौता करना (Compromising): इस स्टाइल वाले लोग बीच का रास्ता निकालते हैं न अपनी पूरी बात मनवाते हैं और न ही पूरी तरह हारते हैं थोड़ा तुम मेरी मान लो, थोड़ा मैं तुम्हारी मान लूं – यही इनका फंडा होता है ये बहुत ही अच्छा तरीका है झगड़े सुलझाने का।

सहयोग करना (Collaborating): ये सबसे अच्छी स्टाइल मानी जाती है. इसमें लोग मिलकर ऐसा हल निकालते हैं जिससे सबकी ज़रूरतें पूरी हों और सब खुश रहें इसमें दिमाग लगाकर एक नया और बेहतर रास्ता खोजा जाता है जैसे, अगर दो बच्चे एक ही खिलौना चाहते हैं, तो वे मिलकर तय करें कि उस खिलौने से क्या नया खेल खेल सकते हैं जिससे दोनों का काम हो जाए।

ये सारी conflict resolution styles हमें बताती हैं कि लोग झगड़े के समय कैसा व्यवहार करते हैं मैंने देखा है कि हम सब में इनमें से कोई एक या दो स्टाइल्स ज़्यादा होती हैं, इन स्टाइल्स को समझना आपको ये जानने में मदद करेगा कि आप खुद कैसे रिएक्ट करते हैं और दूसरे लोग कैसे रिएक्ट कर सकते हैं। ये सिर्फ़ थ्योरी नहीं है, बल्कि लोगों को समझने का एक प्रैक्टिकल तरीका है। 

conflict mediation skills

हमने अब तक ये बात की कि झगड़ों को कैसे सुलझाना है और अलग-अलग लोग कैसे रिएक्ट करते हैं पर कभी-कभी ऐसा होता है कि दो लोग आपस में झगड़े को सुलझा ही नहीं पाते तब किसी तीसरे इंसान की ज़रूरत पड़ती है जो उनकी मदद करे इसी को हम conflict mediation skills कहते हैं, और इसके लिए कुछ खास हुनर चाहिए जिन्हें कॉन्फ्लिक्ट मीडिएशन स्किल्स कहा जाता है।

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मुझे याद है, एक बार मेरे मोहल्ले में दो परिवारों के बीच किसी बात को लेकर बहुत बड़ा झगड़ा हो गया था वे एक-दूसरे से बात भी नहीं कर रहे थे और मामला बिगड़ता जा रहा था तब मोहल्ले के कुछ बड़े-बुज़ुर्गों ने मिलकर फैसला किया कि वे इस मामले में बीच-बचाव करेंगे। उन्होंने दोनों परिवारों को एक साथ बिठाया, उनकी बातें सुनीं और धीरे-धीरे उन्हें समझाया मुझे वो दिन अच्छे से याद है जब उन लोगों ने अपनी कॉन्फ्लिक्ट मीडिएशन स्किल्स का इस्तेमाल करके दोनों परिवारों को एक-दूसरे से फिर से बात करने पर राज़ी कर लिया और आखिरकार झगड़ा सुलझ गया। तब मैंने समझा कि एक अच्छा conflict mediation skills होना कितना ज़रूरी है, मैंने खुद अपने करियर में कई बार ऐसी भूमिका निभाई है जहाँ मुझे दो पार्टियों के बीच मध्यस्थता करनी पड़ी है, और ये अनुभव मुझे सिखाते हैं कि ये स्किल्स कितनी क़ीमती हैं।

तो, कॉन्फ्लिक्ट मीडिएशन स्किल्स में आखिर क्या-क्या आता है। ये वो हुनर हैं जो आपको दूसरों के झगड़े सुलझाने में मदद करते हैं।

निष्पक्ष रहना (Being Neutral): जब आप किसी के झगड़े में बीच-बचाव कर रहे हों, तो किसी का पक्ष मत लो दोनों की बात को एक बराबर सुनो और दिखाओ कि आप किसी की तरफ नहीं हो ये सबसे ज़रूरी कॉन्फ्लिक्ट मीडिएशन स्किल है।

शांत रहना (Staying Calm): झगड़े में अक्सर लोग गुस्से में होते हैं ऐसे में आपका शांत रहना बहुत ज़रूरी है जब आप शांत रहते हो, तो दूसरे भी धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं।

सुनने का हुनर (Listening Skills): हमने पहले भी एक्टिव लिसनिंग की बात की थी

मध्यस्थता में ये हुनर और भी ज़रूरी हो जाता है आपको दोनों पक्षों की बातें बहुत ध्यान से सुननी होती हैं, उनकी भावनाओं को समझना होता है।

सवाल पूछना (Asking Questions): सही सवाल पूछकर आप लोगों को अपनी बात खुलकर बताने में मदद करते हो जैसे, “आप इस बारे में कैसा महसूस करते हैं।” या आपको क्या लगता है कि इस समस्या का क्या हल हो सकता है।

समझौते का रास्ता दिखाना (Guiding Towards Solutions): आपका काम सिर्फ़ झगड़ा सुनना नहीं है, बल्कि उन्हें समाधान की तरफ ले जाना भी है आपको उन्हें ऐसे रास्ते सुझाने पड़ सकते हैं जिन पर शायद उन्होंने खुद कभी सोचा न हो।

गोपनीयता बनाए रखना: जब किसी विवाद को सुलझाने के दौरान कोई व्यक्ति अपनी बात साझा करता है, तो उसका सम्मान करना ज़रूरी होता है। जो बातें उस प्रक्रिया में कही जाती हैं, उन्हें निजी ही रखना चाहिए। जब लोगों को यह भरोसा होता है कि उनकी बातें सुरक्षित हैं, तभी वे खुलकर अपनी बात कह पाते हैं।

ये सारी conflict mediation skills आपको सिर्फ़ मध्यस्थता करने में ही नहीं, बल्कि अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं।जब आप ये स्किल्स सीख लेते हैं, तो आप खुद को और दूसरों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं, मेरा अनुभव यही कहता है कि जो व्यक्ति इन स्किल्स में माहिर होता है, लोग उस पर ज़्यादा भरोसा करते हैं और मुश्किल समय में उसकी सलाह लेते हैं।

conclusion 

तो दोस्तों, ये थी हमारी कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन की पूरी कहानी। मुझे उम्मीद है कि आपने भी उतना ही मज़ा लिया होगा जितना मुझे ये सब आपसे शेयर करने में आया। हमने देखा कि झगड़े क्या होते हैं, उन्हें कैसे सुलझाते हैं, क्यों सुलझाना ज़रूरी है, और कौन-कौन से तरीके और स्टाइल्स काम आते हैं।

अगर मुझसे कोई पूछे कि इन सबमें सबसे काम की चीज़ क्या रही, तो मैं कहूंगा ध्यान से सुनना (active listening) और अपनी भावनाओं को समझना (emotional intelligence). मेरे लिए तो यही दो चीज़ें सबसे ज़्यादा काम आईं। जब मैंने ये सीखा कि सामने वाले की बात को सच में सुनना है और अपने गुस्से को काबू करना है, तो आधी लड़ाई तो वहीं ख़त्म हो जाती थी। अगर मैं अपने छोटे भाई को ये बातें समझाता तो यही कहता कि यार, बस सुन ले एक बार, और ग़ुस्सा आए तो लंबी सांस ले ले।

ये सारी स्किल्स सिर्फ़ दफ़्तर या स्कूल के लिए नहीं हैं, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में, दोस्तों के साथ, परिवार के साथ – हर जगह काम आती हैं। ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस थोड़ी सी प्रैक्टिस और समझदारी की बात है। मेरा मानना है कि ये स्किल्स आपको न सिर्फ़ झगड़े सुलझाने में मदद करेंगी, बल्कि आपको एक बेहतर, शांत और समझदार इंसान भी बनाएंगी।

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