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business skills for managers

business skills for managers

Introduction 

मुझे अच्छी तरह याद है, जब मैंने पहली बार एक टीम की कमान संभाली थी, तो सब कुछ बिल्कुल नया और कहीं-कहीं थोड़ा मुश्किल भी लग रहा था। कभी प्रेजेंटेशन तैयार करनी होती, तो कभी टीम के सदस्यों के बीच की अनबन सुलझानी पड़ती, और इन सबके ऊपर, मैनेजमेंट की तरफ से लगातार बढ़ती उम्मीदें सच कहूँ तो, उस समय ऐसा महसूस होता था जैसे किसी अथाह सागर में छलांग लगा दी हो और मुझे तैरना आता ही न हो। वहीं मुझे एक बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई। अपने काम की तकनीकी जानकारी होना तो ज़रूरी है, लेकिन सिर्फ़ यही काफ़ी नहीं है, आपको business skills for managers में भी महारत हासिल करनी पड़ती है, तभी आप एक सामान्य बॉस से ऊपर उठकर एक सच्चे लीडर बन पाते हैं।

कभी-कभी लगता है कि मैनेजमेंट की दुनिया भी किसी दोस्ती जैसी चीज़ है—जितना आप इसे समझते हैं, उतना ही यह आपको खुलकर जीने का मौका देती है। जैसे मेरा एक दोस्त है, वो हमेशा कहता है, “जब तक तेरे पास वो ‘मैनेजर वाले गुर’ नहीं होंगे, तब तक तू बस कागज़ों का खेल खेलता रहेगा और सच कहूँ, उसने सही कहा था। जब मैंने पहली बार कुछ नई चीजें अपनाईं, तो लगा जैसे कोई जादू हो गया। मीटिंग्स कम बोरिंग लगने लगीं, टीम ज़्यादा खुश रहने लगी, और सबसे बड़ी बात, मुझे खुद पर कॉन्फिडेंस आने लगा।

इस ब्लॉग पोस्ट में, मैं आपसे business skills for managers बाँटने वाला। मैं आपको वो प्रैक्टिकल बातें बताऊंगा जो मैंने अपने एक्सपीरियंस से सीखी हैं, जो सच में काम करती हैं, हम बात करेंगे कि कैसे आप अपनी लीडरशिप को धार दे सकते हैं, टीम को मोटिवेट कर सकते हैं, और मुश्किल फैसलों को भी आसानी से ले सकते हैं। अगर आप भी अपने करियर में एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं और एक ऐसे मैनेजर बनना चाहते हैं जिसके अंडर काम करना हर कोई पसंद करे, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।

top 10 manager skills

कभी-कभी हम सोचते हैं कि एक टीम को अच्छे से चलाने के लिए, या किसी बड़े काम को सही से पूरा करने के लिए किन खासियतों की ज़रूरत होती है। यह ठीक वैसा ही है जैसे किसी खेल की टीम को जीतने के लिए एक अच्छे कप्तान की ज़रूरत होती है। जैसे एक अच्छे कप्तान के पास कुछ खास खूबियां होती हैं, वैसे ही जब बात top 10 manager skills की होती है, तो ये वही हुनर होते हैं जो किसी भी काम को आसान और बेहतर बना देते हैं। 

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सोचिए, जैसे आपको अपनी क्लास का मॉनिटर बनना है मॉनिटर को क्या-क्या आना चाहिए। उसे सबको साथ लेकर चलना आना चाहिए, यह देखना चाहिए कि सब अपना काम कर रहे हैं या नहीं, और जब कोई परेशानी आए तो उसे सुलझाना भी आना चाहिए। ठीक ऐसे ही, जब हम किसी कंपनी में मैनेजर बनते हैं, तो हमें भी कई चीज़ें आनी चाहिए।

सबसे पहले, एक अच्छे मैनेजर को साफ़-साफ़ बात करना आना चाहिए यानी, वह अपनी बात ऐसे समझाए कि सबको समझ आ जाए, और दूसरों की बात भी अच्छे से सुन सके। दूसरा, उसे फ़ैसले लेना आना चाहिए. जैसे, जब कोई मुश्किल आ जाए, तो सही और जल्दी से यह तय कर पाए कि क्या करना है।

तीसरा, उसे समस्याओं को सुलझाना आना चाहिए अगर कहीं कोई दिक्कत आ रही है, तो उसे कैसे ठीक करें, यह पता होना चाहिए। चौथा, उसे अपनी टीम को संभालना आना चाहिए, मतलब, सबको साथ लेकर चलना, उन्हें काम देना और यह देखना कि वे खुश हैं या नहीं पाँचवा, उसे समय को अच्छे से इस्तेमाल करना आना चाहिए, ताकि सारे काम समय पर पूरे हों।

छठा, उसे लोगों को प्रेरित करना आना चाहिए, ताकि सब अपना काम दिल लगाकर करें सातवाँ, उसे बदलावों के साथ चलना आना चाहिए। अगर काम करने का तरीका बदल जाए, तो उसे जल्दी से सीख लेना चाहिए और अपनी टीम को भी सिखाना चाहिए आठवाँ, उसे सही लोगों को काम सौंपना आना चाहिए, ताकि हर काम सही व्यक्ति करे नौवाँ, उसे सबके साथ मिलकर काम करना आना चाहिए, ताकि सब एक टीम की तरह रहें और दसवाँ, उसे लगातार सीखते रहना आना चाहिए, क्योंकि दुनिया हमेशा बदलती रहती है।

मैंने अपने 5 सालों से ज़्यादा के काम में, सैकड़ों मैनेजर्स के साथ काम किया है मैंने देखा है कि कैसे कुछ मैनेजर्स तो अपनी टीम को चांद तक ले जाने की हिम्मत देते हैं, और कुछ अपनी ही जगह पर खड़े रह जाते हैं, मेरा अनुभव यही कहता है कि ये दस गुण सिर्फ़ किताबी बातें नहीं हैं, बल्कि ये वो चाबियाँ हैं जो किसी भी मैनेजर को सफल बनाती हैं। मैंने खुद इन गुणों पर काम किया है, गलतियाँ की हैं, और फिर सीखा है कि इन्हें कैसे अपनी आदत बनाया जाए मुझे याद है एक बार हमारी टीम एक बड़े प्रोजेक्ट में फंस गई थी, और हमारा मैनेजर सिर्फ़ ऑर्डर दे रहा था। फिर एक ऐसा मैनेजर आया जिसने इन सभी स्किल्स का इस्तेमाल किया – उसने सबको सुना, सही फैसले लिए, समस्याओं को सुलझाया और पूरी टीम को साथ लेकर चला नतीजा हमने वो प्रोजेक्ट समय से पहले और बहुत अच्छे से पूरा कर लिया।

ये top 10 manager skills जो किसी भी टीम और कंपनी को ऊँचाईयों तक ले जाते हैं ये सिर्फ़ काम करने के तरीके नहीं हैं, बल्कि एक तरह से ज़िंदगी जीने के तरीके भी हैं अगर हम इन पर ध्यान दें, तो हम सिर्फ़ काम में ही नहीं, बल्कि अपनी ज़िंदगी में भी एक बेहतर लीडर बन सकते हैं।

communication skills for managers

मुझे याद है, एक बार मेरी टीम में एक बहुत अच्छी इंजीनियर थी, पर वो अपनी बात ठीक से कह नहीं पाती थी जब भी उसे कुछ समझाना होता, तो वो अटक जाती या उसकी बात कोई समझ ही नहीं पाता। नतीजा ये हुआ कि अच्छा काम करने के बाद भी उसे वो पहचान नहीं मिली जो उसे मिलनी चाहिए थी उस दिन मुझे समझ आया कि सिर्फ काम करना ही काफी नहीं, अपनी बात को सही ढंग से कहना भी उतना ही ज़रूरी है। इसी को हम communication skills for managers कहते हैं – वो कला जिससे आप अपनी बात दूसरों तक पहुंचाते हैं और उनकी बात समझते भी हैं।

मैंने अपने करियर में बहुत सारे लोगों को देखा है, कुछ ऐसे जो बहुत काबिल थे पर बोल नहीं पाते थे, और कुछ ऐसे जो शायद उतने काबिल न हों पर अपनी बातों से सबका दिल जीत लेते थे। मैंने खुद भी कई बार गलतफहमी का शिकार हुआ हूँ, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं अपनी बात सही से बता नहीं पाया, इन सब अनुभवों से मैंने एक बात सीखी है कि एक मैनेजर के लिए लोगों से सही तरह से बात करना कितना अहम है। ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे एक अच्छे खिलाड़ी के लिए बॉल को सही जगह मारना ज़रूरी होता है।

सोचो, अगर आप किसी को कोई काम समझा रहे हो और वो समझ ही न पाए, तो क्या होगा। काम गलत होगा, समय बर्बाद होगा, और सब परेशान होंगे यही तो होती है अच्छी बातचीत की ताकत। जब आप अपनी बात साफ-साफ कहते हो, तो लोग आपको समझते हैं, आप पर भरोसा करते हैं, और टीम में सब मिलकर अच्छे से काम कर पाते हैं, ये सिर्फ बोलना नहीं है, ये लोगों को समझना भी है, उनकी बात सुनना भी है। मैंने अपनी टीम में इस बात पर बहुत ज़ोर दिया है और इसका फायदा मुझे हमेशा मिला है मेरी टीम के लोग खुलकर अपनी बात कहते हैं और मुझे भी उनकी परेशानी समझने में आसानी होती है।

तो, अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी टीम में हर कोई मिलकर बेहतर काम करे, और आप एक ऐसे मैनेजर के तौर पर जाने जाएँ जिसकी बात हर कोई ध्यान से सुनता हो, तो यह समझना बेहद ज़रूरी है कि communication skills for managers को कैसे निखारा जाए और अपनी बात को सबसे सही ढंग से कैसे पेश किया जाए।

strategic thinking in management

मुझे याद है, एक बार हम एक बहुत बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन फिर अचानक बाजार में कुछ बदलाव आया और हमें लगा कि अब हमारा प्लान काम नहीं करेगा। उस वक्त मैं सोच रहा था, अब क्या करें। सब बेकार हो जाएगा क्या तभी मेरे एक सीनियर ने मुझसे कहा, देखो, हम आज के बारे में तो सोच ही रहे हैं, पर हमें कल के बारे में भी सोचना होगा, और परसों के बारे में भी यही तो होता है strategic thinking in management का मतलब है आगे की सोचना, और ऐसे बड़े प्लान बनाना ताकि भविष्य में आने वाली किसी भी मुश्किल के लिए हम पहले से तैयार रहें।

मैंने अपने इतने सालों के काम में एक बात अच्छे से सीख ली है जो लोग सिर्फ आज का सोचते हैं, वो आगे नहीं बढ़ पाते। मैंने ऐसे कई मैनेजर्स को देखा है जो बस दिन-प्रतिदिन के काम में लगे रहते हैं, और जब कोई बड़ी चुनौती आती है, तो वे घबरा जाते हैं। पर मैंने खुद यह भी पाया है कि जब हम दूर का सोचते हैं, तो छोटे-मोटे झगड़े या दिक्कतें हमें परेशान नहीं करतीं यह ठीक वैसे ही है जैसे कोई शतरंज का खिलाड़ी अपनी हर चाल बहुत सोच-समझकर चलता है, ताकि वह अपने दुश्मन को मात दे सके।

यह कोई मुश्किल रॉकेट साइंस नहीं है, इसे ऐसे समझो कि आप अपनी टीम के लिए एक बड़ा नक्शा बना रहे हो इस नक्शे में आप बताते हो कि हम कहाँ जाना चाहते हैं, वहाँ कैसे पहुँचेंगे, और रास्ते में अगर कोई रुकावट आई, तो उससे कैसे निपटेंगे। मैंने अपनी टीम को हमेशा यह सिखाया है कि हमें सिर्फ आज का काम खत्म करने के बारे में नहीं सोचना है, बल्कि यह भी सोचना है कि हमारा यह काम हमें हमारे बड़े सपने तक कैसे पहुंचाएगा। जब मैंने अपनी टीम के साथ मिलकर इस तरह से सोचना शुरू किया, तो हमने कई बार ऐसी मुश्किलों को भी पार कर लिया जो पहले नामुमकिन लगती थीं।

तो, अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी टीम सिर्फ आज नहीं, बल्कि आने वाले समय में भी कमाल करे, और आप हर मुश्किल के लिए पहले से तैयार रहें, तो यह समझना बहुत ज़रूरी है कि strategic thinking in management. 

finance skills for non finance managers

मुझे याद है, मेरे एक दोस्त की कंपनी में एक मैनेजर था वो अपने काम में बहुत अच्छा था, पर जब बात पैसे की आती थी, तो वो घबरा जाता था। उसे समझ ही नहीं आता था कि कंपनी को कितना फायदा हो रहा है या कहाँ पैसे ज़्यादा खर्च हो रहे हैं। एक बार उसने एक प्रोजेक्ट में बहुत पैसा लगा दिया, पर उसे पता ही नहीं चला कि उससे कंपनी को कितना नुकसान हो रहा है, उस दिन मुझे लगा कि यार, finance skills for non finance managers होना कितना ज़रूरी है। इसका मतलब है कि अगर आप फाइनेंस के एक्सपर्ट नहीं भी हैं, तब भी आपको पैसे के बारे में कुछ बेसिक बातें ज़रूर पता होनी चाहिए।

मैंने खुद भी शुरुआती दिनों में पैसों की बातों को लेकर थोड़ी झिझक महसूस की है, मुझे लगता था कि ये तो फाइनेंस वालों का काम है, मेरा इससे क्या लेना-देना। पर धीरे-धीरे मैंने सीखा कि अगर मुझे अपनी टीम और प्रोजेक्ट्स को सही से चलाना है, तो मुझे ये समझना होगा कि कहाँ से पैसा आ रहा है और कहाँ जा रहा है। मैंने ऐसे कई मैनेजर्स को देखा है जो सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं और पैसों की बातों को छोड़ देते हैं, पर फिर उन्हें बाद में पता चलता है कि उनके फैसलों की वजह से कंपनी को नुकसान हो गया। मेरा मानना है कि ये बातें इतनी मुश्किल नहीं होतीं जितनी लगती हैं।

इसे ऐसे समझो जैसे आप अपने घर का बजट बनाते हो, आपको पता होता है कि कितने पैसे आ रहे हैं, कितने खर्च हो रहे हैं, और कितने बचाने हैं। कंपनी में भी कुछ ऐसा ही होता है, एक मैनेजर के तौर पर, आपको पता होना चाहिए कि आपका प्रोजेक्ट कंपनी के लिए पैसा कैसे कमाएगा या उसे कहाँ और कितने पैसे खर्च करने होंगे। जब आपको ये सब पता होता है, तो आप बेहतर फैसले ले पाते हो और अपनी टीम को भी सही दिशा दे पाते हो, मैंने खुद अपनी टीम में इस बात पर जोर दिया है कि हर कोई अपने काम से जुड़े पैसों को समझे, ताकि हम सब मिलकर कंपनी को आगे बढ़ा सकें।

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यदि आप चाहते हैं कि आप अपने काम के साथ-साथ कंपनी के वित्तीय निर्णयों में भी समझदारी से योगदान दें, तो आपके लिए finance skills for non finance managers की जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है।

leadership vs management skills

एक बार की बात है, एक टीम थी जिसमें बहुत सारे लोग एक साथ मिलकर काम करते थे कभी-कभी उन्हें लगता था कि उनका काम बहुत अच्छा चल रहा है, और कभी-कभी लगता था कि चीज़ें थोड़ी उलझी हुई हैं असल में, यह सब इस बात पर निर्भर करता था कि उनके साथ कौन खड़ा है – leadership vs management skills. सोचिए, जैसे आप अपने खिलौनों को सही जगह पर रखते हैं, स्कूल के काम का टाइम-टेबल बनाते हैं, या फिर दोस्तों के साथ मिलकर कोई खेल खेलते हैं। इन सब में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चीज़ों को व्यवस्थित रखते हैं, और कुछ ऐसे होते हैं जो सबको प्रेरित करते हैं।

एक मैनेजर ठीक उस बड़े भाई-बहन की तरह होता है जो आपको बताता है कि होमवर्क कैसे करना है, कब खेलना है और कब सोना है। वे यह देखते हैं कि सब कुछ सही तरीके से हो रहा है या नहीं उनका काम होता है कि जो नियम बने हैं, उनका पालन हो वे ध्यान रखते हैं कि काम समय पर पूरा हो जाए और कोई गलती न हो। वे ‘कैसे’ और ‘कब’ पर ध्यान देते हैं जैसे, अगर आपको एक प्रोजेक्ट बनाना है, तो मैनेजर आपको बताएगा कि कौन सा सामान लाना है, उसे कैसे जोड़ना है, और कब तक इसे पूरा करना है उनकी नज़र हर छोटी चीज़ पर होती है ताकि सब कुछ तय प्लान के हिसाब से चले।

अब कल्पना कीजिए कि आपके स्कूल में कोई नया खेल शुरू हुआ है, और कोई आपको सिखाता है कि इसे कैसे खेलना है, लेकिन साथ ही आपको यह भी बताता है कि इस खेल को खेलने से आपको कितना मज़ा आएगा और आप कितने अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं। वह व्यक्ति जो आपको अंदर से उत्साहित करता है, वह एक लीडर है लीडर आपको यह नहीं बताता कि क्या करना है, बल्कि वह आपको दिखाता है कि ‘क्यों’ करना है वे आपको एक बड़ा सपना दिखाते हैं और उस सपने को पूरा करने के लिए आपको प्रेरित करते हैं।

एक लीडर एक बड़े दोस्त की तरह होता है जो कहता है, “चलो, हम मिलकर एक किला बनाते हैं, जो दुनिया का सबसे शानदार किला होगा। वे आपको सिर्फ ईंटें जोड़ने के लिए नहीं कहते, बल्कि वे आपको उस किले की खूबसूरती और उसे बनाने के मज़े के बारे में बताते हैं लीडर दूसरों को यह महसूस कराता है कि वे भी कुछ बड़ा कर सकते हैं, वे बदलाव लाने और नई चीज़ें सोचने में मदद करते हैं वे लोगों को यह बताते हैं कि उनका काम सिर्फ काम नहीं, बल्कि एक बड़े सपने का हिस्सा है।

तो, आप देख सकते हैं कि दोनों ही बहुत ज़रूरी हैं. एक तरफ, हमें चीज़ों को सही तरीके से करने के लिए मैनेजमेंट स्किल्स की ज़रूरत होती है – जैसे कि एक स्कूल बस को सही रास्ते पर चलाना, ताकि सब बच्चे स्कूल पहुँच सकें। और दूसरी तरफ, हमें सबको आगे बढ़ाने और एक बड़ा लक्ष्य पाने के लिए लीडरशिप स्किल्स की ज़रूरत होती है – जैसे एक स्पोर्ट्स टीम का कप्तान जो सबको प्रेरित करता है कि वे मैच जीत सकते हैं।

मेरी 5  सालों की यात्रा में, मैंने बहुत सी कंपनियों और टीमों के साथ काम किया है मैंने देखा है कि जब लोग सिर्फ़ आदेशों का पालन करते हैं, तो काम हो तो जाता है, पर उसमें वो जान नहीं होती। लेकिन जब उन्हें कोई ऐसा मिलता है जो उन्हें विश्वास दिलाता है कि वे कुछ बड़ा कर सकते हैं, तो वही लोग नामुमकिन को भी मुमकिन बना देते हैं, मैंने सैकड़ों टीमों को देखा है जो बस काम कर रही थीं, और फिर मैंने उन्हें देखा है जब उनमें एक लीडर आया और उन्होंने इतिहास रच दिया। मेरा यही अनुभव मुझे बताता है कि यह समझना कितना ज़रूरी है कि कैसे ये दोनों, leadership vs management skills अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हुए भी एक साथ मिलकर काम को आगे बढ़ाते हैं।

अगली बार जब आप किसी को काम करते हुए देखें, तो ज़रा सोचिएगा क्या वे सिर्फ़ चीज़ों को व्यवस्थित कर रहे हैं, या वे आपको एक बड़े सपने की ओर खींच रहे हैं। यह समझना हमें सिर्फ़ काम में ही नहीं, बल्कि ज़िंदगी में भी बेहतर फैसले लेने में मदद करता है।

time management tips for managers

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग एक ही दिन में बहुत सारा काम कैसे कर लेते हैं, और कुछ लोग हमेशा पीछे रह जाते हैं। यह जादू नहीं है, बस समय को अच्छे से इस्तेमाल करने का तरीका है। खासकर जब आप किसी टीम के लीडर हों, तब तो यह और भी ज़रूरी हो जाता है।

कल्पना कीजिए कि आपके पास एक बड़ा बक्सा है और उसमें बहुत सारे अलग-अलग खिलौने भरने हैं, अगर आप बिना सोचे-समझे बस सब कुछ उसमें डालते जाएंगे, तो कुछ भी ठीक से फिट नहीं होगा और कुछ खिलौने बाहर ही रह जाएंगे। लेकिन अगर आप पहले बड़े खिलौने रखें, फिर छोटे, और सबको सही जगह पर जमाएँ, तो सब कुछ अच्छे से समा जाएगा ठीक इसी तरह, एक मैनेजर को अपने दिन को ‘जमाना’ पड़ता है ताकि सब काम सही से हो जाए।

जब बात आती है कि time management tips for managers बेहतर इस्तेमाल करें, तो कुछ आसान बातें हैं जिन्हें हम सब सीख सकते हैं सबसे पहले, यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आपका सबसे ज़रूरी काम क्या है। जैसे, अगर आपको स्कूल का प्रोजेक्ट कल जमा करना है, तो पहले वही करेंगे न, बजाय इसके कि कार्टून देखें। तो, अपने कामों को उनकी अहमियत के हिसाब से लिस्ट करें जो काम सबसे ज़रूरी हैं, उन्हें पहले करें।

फिर, अपने दिन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें जैसे, सुबह का नाश्ता, फिर स्कूल का काम, फिर खेलने का समय  इसी तरह, मैनेजर को भी अपने दिन को मीटिंग, ईमेल और टीम के लोगों से बात करने के लिए अलग-अलग समय में बांटना चाहिए। इससे पता रहता है कि कब क्या करना है और काम में उलझन नहीं होती।

मेरी 5 साल से ज़्यादा के अनुभव में, मैंने बहुत से मैनेजर्स को देखा है – कुछ ऐसे जो हमेशा बिज़ी रहते थे, पर उनका काम खत्म ही नहीं होता था, और कुछ ऐसे जो शांत रहकर भी बहुत कुछ कर जाते थे। मैंने खुद कई बार गलतियाँ कीं, समय बर्बाद किया, और फिर सीखा कि कैसे हर मिनट का सही इस्तेमाल किया जाए मैंने पाया है कि जो लोग अपने समय को ‘मैनेज’ करना सीख जाते हैं, वे न सिर्फ अपना काम बेहतर करते हैं, बल्कि उनकी टीम भी ज़्यादा खुश रहती है और ज़्यादा अच्छे से काम करती है यह कोई जादू नहीं, बल्कि कुछ आसान आदतें हैं।

यह समझना कि time management tips for managers सिर्फ आपके काम के लिए ही नहीं, बल्कि आपकी ज़िंदगी के लिए भी बहुत ज़रूरी है। जब आप समय को अच्छे से इस्तेमाल करते हैं, तो आप कम तनाव महसूस करते हैं और आपके पास अपनी पसंद की चीज़ें करने के लिए भी ज़्यादा समय होता है।

problem solving and decision making skills

क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम किसी मुश्किल में होते हैं, तो उससे बाहर कैसे निकलें। या जब हमारे सामने दो रास्ते हों, तो कौन सा चुनें। ये सब हमारी problem solving and decision making skills से जुड़ा है, ये ऐसी बातें हैं जो हमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काम आती हैं, चाहे हम बच्चे हों या बड़े।

ज़रा सोचिए, आप एक खेल खेल रहे हैं और अचानक आपकी गेंद झाड़ियों में अटक जाती है ये एक ‘प्रॉब्लम’ है अब आप क्या करेंगे क्या आप रोना शुरू कर देंगे, या झाड़ियों में हाथ डालेंगे, या फिर किसी डंडे से निकालने की कोशिश करेंगे यही है प्रॉब्लम सॉल्विंग, यानी किसी समस्या का हल ढूंढना आप अलग-अलग तरीके सोचते हैं और फिर सबसे अच्छा तरीका चुनते हैं।

और फिर आता है डिसीजन मेकिंग, यानी फैसला लेना मान लीजिए आपके पास दो आइसक्रीम के फ्लेवर हैं – चॉकलेट और स्ट्रॉबेरी। आपको दोनों पसंद हैं, पर आप एक ही ले सकते हैं अब आप कौन सा लेंगे। आप शायद सोचेंगे कि आज आपका मन क्या खाने का है, या कौन सा फ्लेवर आपने ज़्यादा दिन से नहीं खाया यही है फैसला लेना हम अपने सामने मौजूद विकल्पों में से सबसे अच्छा चुनते हैं।

एक मैनेजर के तौर पर, ये दोनों चीज़ें बहुत ज़रूरी हो जाती हैं, क्योंकि जब आप एक टीम को संभालते हैं, तो रोज़ नई-नई दिक्कतें आती हैं। कभी कोई काम अटक जाता है, कभी दो लोगों में बात बिगड़ जाती है, तो कभी कोई नया रास्ता चुनना पड़ता है कि आगे कैसे बढ़ें ऐसे में, सही तरीके से प्रॉब्लम को समझना और फिर ठीक फैसला लेना बहुत ज़रूरी होता है।

मैंने अपने 5 साल से ज़्यादा के काम में, कई बार ऐसे पल देखे हैं जहाँ एक छोटी सी प्रॉब्लम को ठीक से न समझ पाने की वजह से बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई और ऐसे भी पल देखे हैं जहाँ एक सही फैसले ने पूरी टीम को कामयाबी दिलाई। मुझे याद है एक बार हमारी टीम एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी और अचानक एक मशीन खराब हो गई सब घबरा गए ये एक बड़ी प्रॉब्लम थी। अगर हम तुरंत सही फैसला नहीं लेते, तो बहुत नुकसान हो जाता मैंने पहले आराम से समझा कि दिक्कत कहाँ है, फिर टीम के साथ बैठकर सारे रास्ते सोचे – क्या मशीन ठीक करवाएं, नई खरीदें, या काम को किसी और तरीके से करें। हमने हर विकल्प के अच्छे और बुरे पहलुओं पर बात की और फिर मिलकर सबसे अच्छा फैसला लिया और जानते हैं क्या। हमने समय पर अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लिया मेरा अनुभव यही कहता है कि अगर आप शांत दिमाग से प्रॉब्लम को देखेंगे और फिर सोच-समझकर फैसला लेंगे, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं लगेगी।

problem solving and decision making skills लेने की कला न सिर्फ काम में, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी बहुत काम आती है। इससे हम सीखते हैं कि हर मुश्किल के पीछे कोई न कोई हल जरूर होता है, और किसी भी स्थिति में आगे बढ़ने का एक सही रास्ता हमेशा मौजूद रहता है। 

emotional intelligence at work

कभी-कभी हम देखते हैं कि कुछ लोग सबके साथ कितनी आसानी से घुल-मिल जाते हैं, सबको समझते हैं, और जब कोई नाराज़ होता है तो उसे शांत भी कर देते हैं। ये कोई जादू नहीं, बल्कि एक खास तरह की समझ है जिसे हम काम पर इमोशनल इंटेलिजेंस emotional intelligence at work कहते हैं, ये हमारी भावनाओं को समझने और उन्हें सही तरीके से संभालने की काबिलियत है। 

सोचिए, आप स्कूल में हैं और आपका दोस्त अचानक उदास हो जाता है, आपको पता चल जाता है कि उसे क्या चाहिए—शायद उसे बस कोई सुनने वाला चाहिए, या थोड़ी देर शांति। आप उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ देते हैं, या फिर उससे प्यार से बात करते हैं यही है दूसरों की भावनाओं को समझना जब हम बड़े होकर काम करने जाते हैं, तो ये चीज़ें और भी ज़्यादा ज़रूरी हो जाती हैं। 

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emotional intelligence at work का मतलब है, सबसे पहले अपनी भावनाओं को समझना जैसे, जब आप नाराज़ होते हैं, तो क्या आपको पता चलता है कि आप क्यों नाराज़ हैं। या जब आप खुश होते हैं, तो क्या आप समझते हैं कि किस बात से आप खुश हैं। जब आप अपनी भावनाओं को समझते हैं, तो आप उन्हें बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं, आप बेवजह गुस्सा नहीं करते, या बिना बात के परेशान नहीं होते।

फिर आता है दूसरों की भावनाओं को समझना जब आपके साथ काम करने वाला कोई उदास होता है, तो क्या आप उसकी मदद कर पाते हैं। या जब कोई बहुत उत्साहित होता है, तो क्या आप उसकी खुशी में शामिल हो पाते हैं। ये सब हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें, खासकर जब हम किसी टीम में काम कर रहे हों।

अपनी 5 सालों से ज़्यादा की यात्रा में, मैंने अनगिनत बार देखा है कि कैसे सिर्फ़ अच्छे दिमाग वाले लोग भी पीछे रह जाते हैं अगर वे अपनी और दूसरों की भावनाओं को नहीं समझते। वहीं दूसरी तरफ, मैंने ऐसे लोगों को भी देखा है जो शायद सबसे स्मार्ट नहीं थे, पर क्योंकि वे लोगों को समझते थे, उनकी भावनाओं का ख्याल रखते थे, इसलिए वे बहुत आगे निकल गए। मुझे याद है एक बार हमारी टीम में एक बहुत होशियार इंजीनियर था, पर वह लोगों से सही से बात नहीं कर पाता था वह अपनी बात समझा नहीं पाता था और दूसरों की भावनाओं को भी नहीं समझता था।नतीजतन, उसकी टीम उससे दूर रहने लगी और काम में भी दिक्कत आने लगी मुझे उसे यह समझाना पड़ा कि सिर्फ़ काम ही नहीं, लोगों को समझना भी उतना ही ज़रूरी है. जब उसने इस पर काम किया, तो न सिर्फ उसका काम बेहतर हुआ, बल्कि वह टीम का एक अहम हिस्सा बन गया मेरा अनुभव यही कहता है कि ये कोई ‘सॉफ्ट स्किल’ नहीं, बल्कि कामयाबी की एक नींव है।

emotional intelligence at work का मतलब सिर्फ अपने काम में अच्छा होना नहीं है, बल्कि लोगों से सही तरीके से जुड़ पाना भी है। यह हमें सिखाता है कि मुश्किल हालात में भी कैसे शांत रहें, दूसरों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें, और मिलकर एक मजबूत टीम बनाएं। यही हमें एक बेहतर इंसान भी बनाता है। 

tech trends changing skill requirements

जरा सोचिए, कुछ साल पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल सिर्फ बात करने के लिए होता था। फिर ऐसे फोन आए जिनमें हम गेम खेलने लगे, फोटो खींचने लगे, और आज तो पढ़ाई तक उन्हीं पर हो रही है। ये सब तकनीक में हुए बदलाव हैं, यानी tech trends changing skill requirements  और जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बदल रही है, वैसे-वैसे हमें क्या-क्या सीखना चाहिए, ये भी लगातार बदलता जा रहा है। 

पहले के समय में अगर किसी को एक काम अच्छे से आता था, तो वही काफी होता था ज़िंदगी चलाने के लिए। मगर अब हालात बदल गए हैं। जैसे-जैसे नई मशीनें और कंप्यूटर आ रहे हैं, हमें भी उनके साथ चलने के लिए नई चीज़ें सीखनी पड़ रही हैं। सोचिए, पहले आप साइकिल से स्कूल जाते थे, लेकिन अब अगर स्कूटर मिल गया है, तो उसे चलाना भी तो आना चाहिए ना ठीक वैसे ही, जब टेक्नोलॉजी बदलती है, तो हमें भी अपने स्किल्स उसी के हिसाब से बदलने पड़ते हैं। 

आजकल, हर जगह कंप्यूटर और स्मार्ट मशीनें हैं, वे हमारा बहुत सा काम आसान कर देती हैं जैसे, बैंक में अब कागज़ों पर बहुत कम काम होता है, सब कुछ कंप्यूटर पर हो जाता है। तो अगर किसी को कंप्यूटर चलाना नहीं आता, तो उसके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि अब हमें सिर्फ़ अपने काम में ही नहीं, बल्कि नई-नई टेक्नोलॉजी को समझने में भी स्मार्ट बनना होगा।

उदाहरण के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा साइंस जैसी बातें अब हर जगह सुनाई देती हैं, ये वो तकनीकें हैं जो कंप्यूटर को सोचने और सीखने में मदद करती हैं, जैसे हम इंसान करते हैं। इसकी वजह से अब हमें सिर्फ़ यह नहीं सीखना कि कोई बटन कैसे दबाना है, बल्कि यह भी समझना है कि वह मशीन कैसे काम करती है, और हम उससे और क्या-क्या काम ले सकते हैं।

अपने 5 साल से ज़्यादा के पेशेवर सफ़र में मैंने देखा है कि कैसे एक कंपनी जो कल तक कागज़ पर काम करती थी, आज पूरी तरह से डिजिटल हो गई है मैंने खुद अपनी आँखों से ऐसे लोगों को देखा है जिन्होंने नई तकनीक नहीं सीखी और वे बाज़ार में पीछे रह गए। और ऐसे भी लोगों को देखा है जिन्होंने हमेशा कुछ नया सीखने की चाह रखी, और आज वे बहुत आगे निकल गए हैं मुझे याद है एक बार हमारी टीम में एक सीनियर व्यक्ति थे जिन्हें कंप्यूटर से थोड़ा डर लगता था। लेकिन जैसे-जैसे नई तकनीकें आती गईं, उन्होंने हार नहीं मानी उन्होंने वीडियो देखे, ट्रेनिंग ली, और धीरे-धीरे कंप्यूटर पर काम करना सीख लिया, आज वे अपनी टीम को भी नई तकनीकें सिखाते हैं। मेरा अनुभव यही कहता है कि इस बदलती दुनिया में, सबसे बड़ी शक्ति यह है कि आप कितनी जल्दी कुछ नया सीख सकते हैं।

तो, यह समझना कि tech trends changing skill requirements किन नए कौशलों की ज़रूरत पैदा कर रहा है, बहुत ज़रूरी है। यह हमें तैयार करता है आने वाले समय के लिए अगर हम नई-नई चीज़ें सीखते रहेंगे, तो हम हमेशा आगे रहेंगे और किसी भी बदलाव से डरेंगे नहीं।

courses skills

क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमें कितनी खुशी मिलती है। जैसे जब आप साइकिल चलाना सीखते हैं, या कोई नया खेल खेलना सीखते हैं। ठीक वैसे ही, जब हम बड़े होते हैं और काम करने लगते हैं, तो भी हमें हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहना पड़ता है। इसी सीखने के रास्ते को अक्सर हम courses skills के ज़रिए पूरा करते हैं, जिनसे हमें नई स्किल्स (skills) मिलती हैं।

सोचिए, जैसे आपको अपनी पसंदीदा डिश बनानी है आप पहले मम्मी से पूछते हैं कि क्या-क्या सामान चाहिए, फिर कैसे बनाना है, और कब तक बनाना है। यह भी एक तरह का छोटा-सा कोर्स ही है, और इससे आपको खाना बनाने की नई स्किल मिलती है ठीक इसी तरह, बड़े लोगों को भी अपने काम में और बेहतर होने के लिए या कोई नया काम सीखने के लिए अलग-अलग कोर्स करने पड़ते हैं।

आजकल की दुनिया तो बहुत तेज़ी से बदल रही है जो काम कल होता था, शायद आज उसे करने का तरीका बदल गया हो इसलिए, हमें भी अपने आप को बदलते रहना पड़ता है। जैसे, अगर आपको कंप्यूटर पर कुछ लिखना सीखना है, तो आप शायद एक कंप्यूटर क्लास ज्वाइन करेंगे, जहाँ आपको टाइपिंग और प्रोग्राम सीखने को मिलेंगे यह एक तरह का कोर्स है जो आपको कंप्यूटर पर काम करने की स्किल सिखाता है।

ये courses skills सिखाते हैं जो आज के समय में नौकरी पाने और अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए बहुत काम आते हैं। जैसे कि अगर आप किसी कंपनी में काम करना चाहते हैं जहाँ बहुत सारे ग्राहक आते हैं, तो आपको उनसे अच्छे से बात करना आना चाहिए। इसके लिए आप ‘कम्युनिकेशन स्किल्स’ का कोर्स कर सकते हैं या फिर, अगर आपको कंप्यूटर पर तस्वीरें बनानी हैं, तो आप ‘ग्राफिक डिजाइनिंग’ का कोर्स कर सकते हैं।

अपनी 5 साल से ज़्यादा की पेशेवर यात्रा में, मैंने अनगिनत बार देखा है कि कैसे ‘सही’ कोर्स करके लोग अपनी ज़िंदगी बदल लेते हैं मुझे याद है एक बार मेरे साथ एक साथी काम करते थे, जो बहुत मेहनती थे लेकिन उन्हें नई तकनीक सीखने में थोड़ी हिचकिचाहट होती थी। जब हमने उन्हें समझाया कि कैसे कुछ ऑनलाइन कोर्सेज करके वे अपने काम को और बेहतर ढंग से करने के लिए उन्होंने ‘डिजिटल मार्केटिंग’ का कोर्स किया। कुछ ही महीनों में उन्होंने इतनी चीज़ें सीख लीं कि अब वह

अपनी टीम के लिए नए आइडियाज़ लाते हैं और हमारी कंपनी को भी फायदा पहुंचाते हैं। मेरे अनुभव ने मुझे यही सिखाया है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, और सही कोर्स चुनकर आप अपने करियर में नई ऊँचाईयाँ छू सकते हैं, यह सिर्फ डिग्री हासिल करने की बात नहीं है, बल्कि नए हुनर सीखकर खुद को और बेहतर बनाने की बात है।

तो, courses skills हमें वो स्किल्स देते हैं जिनकी मदद से हम आज की दुनिया में आगे बढ़ पाते हैं ये हमें सिर्फ़ काम में ही नहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी में भी एक बेहतर इंसान बनाते हैं। ये हमें सिखाते हैं कि हमेशा कुछ नया सीखते रहना कितना ज़रूरी है।

Conclusion

तो दोस्तों, देखा न आपने, कैसे कुछ बातें जो हमें पहले शायद सिर्फ़ किताबी लगती थीं, वो असल में हमारी ज़िंदगी और हमारे काम को कितना आसान बना सकती हैं। चाहे वो पैसों को समझना हो, समय को सही से इस्तेमाल करना हो, किसी मुश्किल को सुलझाना हो, या फिर लोगों की भावनाओं को समझना—ये सब ऐसे हुनर हैं जो हमें सिर्फ़ ऑफिस में नहीं, बल्कि हर जगह काम आते हैं।

मेरे लिए तो इस पूरी बातचीत में सबसे ज़्यादा काम की चीज़ ये रही कि कैसे हम अपनी भावनात्मक समझ (इमोशनल इंटेलिजेंस) से लोगों से जुड़ सकते हैं। क्योंकि मैंने अपनी आँखों से देखा है कि चाहे कितना भी स्मार्ट इंसान क्यों न हो, अगर वो लोगों को समझ नहीं पाता, तो अक्सर अकेला पड़ जाता है। और मेरा यह भी मानना है कि तकनीक के साथ चलना और नई चीज़ें सीखते रहना (कोर्सेज) बहुत ज़रूरी है सोचो, अगर मैं अपने छोटे भाई को ये सब समझाता, तो यही कहता कि यार, बस सीखना कभी मत छोड़ना, और लोगों से कनेक्ट रहना।

ये सब बातें सिर्फ़ ‘मैनेजर’ बनने के लिए नहीं हैं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने के लिए भी हैं। जब हम इन हुनर को अपनी ज़िंदगी में लाते हैं, तो हम सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि अपने आसपास के लोगों के लिए भी एक पॉज़िटिव बदलाव लाते हैं।

अब बताओ, तुम्हारा इन सब बातों पर क्या सोचना है। क्या तुमने भी अपने काम या ज़िंदगी में कभी इनमें से किसी हुनर का इस्तेमाल किया है। नीचे कमेंट में ज़रूर बताना तुम्हारी बातें सुनकर मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

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