Introduction
अरे दोस्तों ऑनलाइन दुकान खोलना तो एक रोमांचक सफर है. है ना हमने अपनी दुकान के लिए बढ़िया प्लान बनाया अच्छे-अच्छे प्रोडक्ट चुने और यह भी तय कर लिया कि कहाँ बेचेंगे। लेकिन सोचिए अगर किसी ने आपकी दुकान से कुछ खरीदा और उसे वो सामान सही समय पर या सही तरीके से नहीं मिला तो क्या होगा।
यह बिल्कुल ऐसा है जैसे आपने कोई स्वादिष्ट खाना बनाया लेकिन उसे ग्राहक तक ठीक से पहुँचा ही नहीं पाए। इसलिए आज हम बात करेंगे ऑनलाइन बिजनेस के कुछ बहुत ही ज़रूरी हिस्सों के बारे में सामान भेजना (Shipping), वापसी और रिफंड (Returns & Refunds) और अपने काम को आसान बनाने वाले औज़ार (Tools & Automation)।
मैंने खुद कई सालों से ई-कॉमर्स की दुनिया को बहुत करीब से देखा है। अपने इस E Commerce Business Course in Hindi में मैं आपको यही बताता हूँ कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ें भी आपके ग्राहकों को खुश रख सकती हैं या नाराज़ कर सकती हैं। इन चीज़ों को सही से समझना बहुत ज़रूरी है ताकि आपका बिजनेस बिना किसी रुकावट के चलता रहे।
अगर आप अपने E Commerce Business Course in Hindi को गंभीरता से ले रहे हैं तो यह भाग आपके लिए बहुत खास है। इसमें हम जानेंगे कि सामान कैसे भेजा जाता है अगर ग्राहक सामान वापस करना चाहे तो क्या करें और कैसे कुछ खास सॉफ्टवेयर आपकी मेहनत को कम कर सकते हैं। तो चलिए अपने ऑनलाइन बिजनेस को और भी दमदार बनाते हैं।
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Shipping Strategy Basics
दोस्तों आपने अपनी ऑनलाइन दुकान तो खोल ली अब ग्राहक सामान खरीदेंगे। लेकिन यह सामान उन तक सही सलामत कैसे पहुँचेगा। यहीं पर शिपिंग स्ट्रेटेजी काम आती है। यह सिर्फ सामान भेजने का तरीका नहीं है बल्कि यह भी है कि आप ग्राहक से पैसे कैसे लेंगे और डिलीवरी का खर्चा कौन उठाएगा। यह सब आपके ग्राहकों के खरीदने के फैसले पर बहुत असर डालता है।
एक अच्छी शिपिंग स्ट्रेटेजी ग्राहकों को खुश रखती है और उन्हें बार बार आपकी दुकान पर आने के लिए प्रेरित करती है। अगर आपकी शिपिंग महंगी है या डिलीवरी का तरीका साफ नहीं है तो ग्राहक शायद अपना ऑर्डर छोड़ दें। इसलिए इस हिस्से को समझना बहुत ज़रूरी है।
कैश ऑन डिलीवरी (COD) vs ऑनलाइन पेमेंट: फायदे और नुकसान
तो दोस्तों जब आप कोई सामान ऑनलाइन बेचते हैं तो ग्राहक आपको पैसे कैसे देगा। इसके दो मुख्य तरीके हैं। कैश ऑन डिलीवरी (COD) और ऑनलाइन पेमेंट। यह तय करना कि आपके लिए क्या बेहतर है बहुत ज़रूरी है।
मैंने अपने ई-कॉमर्स के शुरुआती दिनों में इन दोनों तरीकों के साथ बहुत एक्सपेरिमेंट किया है। हर तरीके के अपने फायदे और नुकसान हैं और आपके बिजनेस के लिए सही चुनना आपके ग्राहकों और आपके प्रोडक्ट्स पर निर्भर करता है।
कैश ऑन डिलीवरी (COD)
COD का मतलब है कि ग्राहक सामान मिलने के बाद पैसे देता है।
फायदे:
ग्राहक का भरोसा: भारत में बहुत से लोग ऑनलाइन पेमेंट करने से डरते हैं। COD उन्हें यह भरोसा देता है कि जब तक सामान हाथ में नहीं आता तब तक पैसे नहीं देने पड़ेंगे। इससे नए ग्राहक आसानी से खरीदारी कर लेते हैं। खासकर छोटे शहरों में COD से बिक्री काफी बढ़ जाती है।
इंटरनेट की ज़रूरत नहीं: अगर किसी ग्राहक के पास स्मार्टफोन नहीं है या इंटरनेट धीमा है तो भी वो COD से ऑर्डर कर सकता है।
नुकसान:
ईकॉमर्स बिज़नेस में खासकर Cash on Delivery (COD) ऑर्डर्स के साथ एक आम समस्या सामने आती है — RTO यानी “Return to Origin”। यह तब होता है जब ग्राहक ऑर्डर तो कर देता है, लेकिन डिलीवरी के समय उसे लेने से मना कर देता है। इस स्थिति में न सिर्फ प्रोडक्ट वापस भेजना पड़ता है, बल्कि शिपिंग में किया गया खर्च भी बेकार चला जाता है।
मेरे खुद के शुरुआती दिनों में यह एक बड़ी परेशानी थी। कई बार ऐसा होता कि ग्राहक ने बिना किसी ठोस वजह के प्रोडक्ट लेने से मना कर दिया। इससे समय, पैसे और संसाधनों की बर्बादी होती थी। इसलिए COD ऑर्डर्स को संभालने के लिए एक ठोस रणनीति बनाना बेहद ज़रूरी है।
पैसे मिलने में देरी: कूरियर कंपनी आपके पैसे इकट्ठा करके आपको कुछ दिनों या हफ्तों बाद देती है जिससे आपके कैश फ्लो पर असर पड़ता है।
ऑनलाइन पेमेंट
ऑनलाइन पेमेंट का मतलब है कि ग्राहक सामान खरीदने से पहले ही ऑनलाइन (जैसे UPI, डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेटबैंकिंग) पैसे दे देता है।
फायदे:
पैसे तुरंत मिलते हैं: जैसे ही ग्राहक पेमेंट करता है पैसे आपके पास आ जाते हैं। इससे आपका कैश फ्लो बहुत अच्छा रहता है।
कम RTO: ऑनलाइन पेमेंट करने वाले ग्राहक आमतौर पर अपना ऑर्डर कैंसिल नहीं करते या लेते नहीं क्योंकि वे पहले ही पैसे दे चुके होते हैं।
सुविधाजनक: आज के समय में बहुत से लोग ऑनलाइन पेमेंट पसंद करते हैं क्योंकि यह तेज़ और आसान है।
नुकसान:
विश्वास की कमी: कुछ नए ग्राहक या जिन्हें ऑनलाइन पेमेंट पर भरोसा नहीं है वे इसे पसंद नहीं करते।
तकनीकी दिक्कतें: कभी-कभी पेमेंट गेटवे में दिक्कत आ जाती है जिससे ग्राहक को परेशानी हो सकती है।
E Commerce Business Course in Hindi में हम हमेशा सलाह देते हैं कि आपको दोनों विकल्प रखने चाहिए। इससे आप ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहकों तक पहुँच सकते हैं। धीरे धीरे आप देख सकते हैं कि आपके ज़्यादातर ग्राहक किस तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं और फिर उस हिसाब से अपनी रणनीति बदल सकते हैं।
शिपिंग ग्राहकों के खरीदने के फैसले पर कैसे असर डालती है
हमने देखा कि शिपिंग के अलग अलग तरीके क्या हैं। अब बात करते हैं एक बहुत ही ज़रूरी चीज़ पर आपकी शिपिंग ग्राहक के खरीदने के फैसले पर कैसे असर डालती है। आप कोई खिलौना खरीदना चाहते हैं और दुकानदार कहता है कि खिलौने के पैसे तो कम हैं लेकिन इसे घर ले जाने के लिए बहुत ज़्यादा किराया देना पड़ेगा। क्या आप खरीदेंगे। शायद नहीं। ऑनलाइन शॉपिंग में भी ये बात बिल्कुल सही है।
मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि शिपिंग एक छोटी सी चीज़ लग सकती है लेकिन यह ग्राहक के मन पर बहुत बड़ा असर डालती है। कई बार ग्राहक आपकी वेबसाइट पर आते हैं उन्हें प्रोडक्ट पसंद आता है वो उसे कार्ट में डालते हैं लेकिन जब आखिर में डिलीवरी का खर्चा देखते हैं तो ऑर्डर छोड़ देते हैं। इसे ‘कार्ट अबंडनमेंट’ कहते हैं और यह ई-कॉमर्स बिजनेस में एक बड़ी चुनौती है।
यहां कुछ तरीके बताए गए हैं जिनसे शिपिंग ग्राहक के फैसले को प्रभावित करती है।
छुपे हुए खर्चे (Hidden Costs): अगर ग्राहक को चेकआउट करते समय अचानक से ज़्यादा शिपिंग चार्ज दिखता है तो उन्हें बुरा लगता है और वे अपना ऑर्डर कैंसिल कर देते हैं। पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है।
डिलीवरी का समय (Delivery Time): आज के ज़माने में सब कुछ जल्दी चाहिए। अगर आपकी डिलीवरी में बहुत दिन लग रहे हैं, तो ग्राहक किसी और दुकान से खरीद लेगा जो जल्दी सामान भेजता हो। मेरा अनुभव है कि ग्राहक अक्सर थोड़ी ज़्यादा कीमत देने को तैयार होते हैं अगर उन्हें सामान जल्दी मिल रहा हो।
रिटर्न पॉलिसी की आसानी (Ease of Returns): जैसा कि हमने पहले भी बात की अगर सामान वापस करने की प्रक्रिया आसान नहीं है, तो ग्राहक डरते हैं और खरीदारी नहीं करते।
फ्री शिपिंग का जादू (The Magic of Free Shipping): जैसा कि हमने पिछले भाग में देखा ‘फ्री शिपिंग’ शब्द ग्राहक को बहुत आकर्षित करता है भले ही आपने शिपिंग का खर्चा प्रोडक्ट की कीमत में ही क्यों न जोड़ा हो। ग्राहक को लगता है कि उसे कुछ मुफ्त मिल रहा है।
आपकी शिपिंग पॉलिसी और उसके नियम आपके बिजनेस के लिए एक अच्छी या बुरी छवि बना सकते हैं। एक अच्छी शिपिंग स्ट्रेटेजी (जो तेज़ हो, पारदर्शी हो, और ग्राहक के लिए सुविधाजनक हो) न केवल बिक्री बढ़ाती है बल्कि ग्राहकों का भरोसा भी जीतती है जिससे वे आपके पक्के ग्राहक बन जाते हैं।
Shipping Aggregators
अपने ऑनलाइन स्टोर से सामान बेचना आसान है लेकिन उसे ग्राहक तक सही सलामत पहुँचाना भी उतना ही ज़रूरी है। आपकी शिपिंग स्ट्रेटेजी यानी सामान भेजने का तरीका यह तय करता है कि ग्राहक कितने खुश हैं और वे दोबारा आपसे खरीदारी करेंगे या नहीं। इसमें यह तय करना होता है कि आप पेमेंट कैसे लेंगे शिपिंग चार्ज कैसे रखेंगे और यह सब ग्राहकों के खरीदने के फैसले पर कैसे असर डालता है। अगले भागों में हम इन्हीं सब बातों पर विस्तार से बात करेंगे।
शिपिंग एग्रीगेटर्स का परिचय: Shiprocket, Pickrr, आदि
सोचिए आपको एक साथ बहुत सारे लोगों को चिट्ठियाँ भेजनी हैं लेकिन आप नहीं जानते कि कौन सी पोस्ट ऑफिस सबसे अच्छी है या सबसे सस्ती है। ऐसे में एक ऐसा दोस्त हो जो आपको बताए कि कहाँ से भेजना सबसे बढ़िया रहेगा तो कितना अच्छा हो। शिपिंग एग्रीगेटर्स भी ठीक ऐसा ही काम करते हैं। ये ऐसी कंपनियां हैं जो बहुत सारी कूरियर कंपनियों (जैसे Delhivery, Blue Dart, XpressBees) के साथ जुड़ी होती हैं।
जब आप Shiprocket या Pickrr जैसे किसी शिपिंग एग्रीगेटर का उपयोग करते हैं, तो आपको अलग-अलग कूरियर कंपनियों से सीधे संपर्क करने की आवश्यकता नहीं होती। आपको केवल एग्रीगेटर को यह बताना होता है कि आपको सामान कहाँ भेजना है, और वे आपको सबसे अच्छी और किफ़ायती कूरियर सेवा चुनने का विकल्प प्रदान करते हैं। यह तरीका आपके समय और पैसे दोनों की बचत करता है। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में, मैं हमेशा अपने छात्रों को इन एग्रीगेटर्स का उपयोग करने की सलाह देता हूँ, खासकर जब वे अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हों।
मेरे अनुभव में इन एग्रीगेटर्स ने मेरे शिपिंग के काम को बहुत आसान बना दिया है। मुझे याद है शुरुआती दिनों में जब मैं हर ऑर्डर के लिए अलग-अलग कूरियर वेबसाइट पर जाकर दाम और डिलीवरी का समय देखता था तब कितना समय लगता था। लेकिन इन एग्रीगेटर्स ने उस काम को चुटकियों में कर दिया।
ये एग्रीगेटर्स न केवल आपको कई कूरियर कंपनियों का विकल्प देते हैं बल्कि ये आपके ई-कॉमर्स स्टोर के साथ आसानी से जुड़ भी जाते हैं। यानी जब कोई ग्राहक ऑर्डर करता है तो सारी जानकारी अपने आप एग्रीगेटर के पास चली जाती है और आपको बस ‘शिप’ बटन दबाना होता है।
अगले भागों में हम जानेंगे कि इन एग्रीगेटर्स को अपने स्टोर के साथ कैसे जोड़ा जाता है और अपने बिजनेस के लिए सही एग्रीगेटर कैसे चुनें।
अपने स्टोर के साथ एग्रीगेटर को कैसे जोड़ें
अब जब हमने शिपिंग एग्रीगेटर्स के बारे में जान लिया है तो अगला सवाल यह है कि इन्हें अपनी ऑनलाइन दुकान से कैसे जोड़ें ताकि काम अपने आप हो जाए। यह बिल्कुल ऐसा है जैसे आप अपनी दुकान में एक ऐसा रोबोट लगा दें जो ऑर्डर आते ही खुद ही सामान पैक करने और भेजने का काम शुरू कर दे। E Commerce Business Course in Hindi में यह समझना बहुत ज़रूरी है कि अपने काम को ऑटोमेट कैसे करें।
यह जोड़ने का काम उतना मुश्किल नहीं है जितना लगता है। ज़्यादातर शिपिंग एग्रीगेटर, जैसे Shiprocket या Pickrr आपके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे Shopify, WooCommerce या Dukaan) के साथ आसानी से जुड़ जाते हैं। मैंने खुद इन इंटीग्रेशन को कई बार सेट किया है और यह काफी सीधा-सादा प्रोसेस होता है।
आम तौर पर आपको एग्रीगेटर की वेबसाइट पर जाकर अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए “प्लगइन” या “ऐप” ढूंढना होता है। जैसे ही आप इसे इंस्टॉल करते हैं और कुछ आसान सेटिंग्स करते हैं आपकी दुकान और एग्रीगेटर एक-दूसरे से बात करने लगते हैं। जब कोई नया ऑर्डर आपकी दुकान पर आता है, तो सारी जानकारी, जैसे ग्राहक का पता और उसने क्या खरीदा है अपने आप एग्रीगेटर के डैशबोर्ड में दिख जाती है। इससे आपको हर ऑर्डर के लिए जानकारी दोबारा डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
यह एक बहुत बड़ा टाइम सेवर है, खासकर जब आपके पास बहुत सारे ऑर्डर आ रहे हों। मेरा अनुभव बताता है कि यह ऑटोमेशन गलतियों को कम करने में भी मदद करता है। E Commerce Business Course in Hindi में हम यही सिखाते हैं कि कैसे स्मार्ट तरीके से काम करके आप अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं।
अपने बिजनेस के लिए सही एग्रीगेटर चुनना
अब जब आप जान गए हैं कि शिपिंग एग्रीगेटर क्या होते हैं और उन्हें अपने स्टोर से कैसे जोड़ना है तो अगला सवाल है कि ‘कौन सा चुनें?’ मार्केट में कई सारे एग्रीगेटर हैं जैसे Shiprocket, Pickrr, Vamaship और भी बहुत से। सही चुनना थोड़ा मुश्किल लग सकता है लेकिन अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो ये आसान हो जाता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी स्कूल में एडमिशन लेते समय आप देखते हैं कि आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा कौन सा है।
अपने अनुभव से मैंने सीखा है कि हर बिजनेस की ज़रूरतें अलग होती हैं। मान लीजिए अगर आप छोटे शहर में रहते हैं और वहाँ हर कूरियर कंपनी की सेवा नहीं है तो आपको ऐसा एग्रीगेटर चाहिए जो दूर-दराज के इलाकों में भी डिलीवरी करता हो। या अगर आप सिर्फ कैश ऑन डिलीवरी (COD) ऑर्डर पर ज़्यादा निर्भर हैं तो आपको ऐसा एग्रीगेटर चाहिए जिसकी COD सर्विस अच्छी हो और पैसे जल्दी वापस करता हो।
यहां कुछ चीज़ें हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:
कीमत (Pricing) देखें कि कौन सा एग्रीगेटर आपको सबसे अच्छी कीमत दे रहा है। कुछ का प्लान मासिक होता है कुछ प्रति शिपमेंट चार्ज करते हैं।
पहुँच (Reach) क्या वे उन सभी जगहों पर डिलीवरी करते हैं जहाँ आपके ग्राहक रहते हैं।
ग्राहक सेवा (Customer Support) अगर कोई समस्या आती है तो क्या वे जल्दी आपकी मदद करते हैं?
फ़ीचर्स (Features) क्या वे COD, रिटर्न, और ट्रैकिंग जैसी सभी ज़रूरी सुविधाएँ देते हैं।
इंटीग्रेशन (Integration) क्या वे आपके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे Shopify, WordPress, Dukaan) के साथ आसानी से जुड़ जाते हैं।
अपने लिए सबसे सही एग्रीगेटर चुनने के लिए आप कुछ अलग-अलग एग्रीगेटर्स के साथ डेमो ले सकते हैं या उनके फ्री ट्रायल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको पता चलेगा कि कौन सा आपके बिजनेस के लिए सबसे फिट है। मैंने E Commerce Business Course in Hindi के दौरान कई एग्रीगेटर्स के साथ काम किया है और मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हर कोई अपने ग्राहकों को अच्छी सेवा देने की कोशिश करता है।
Return & Refund Policy
ऑनलाइन खरीदारी में ग्राहक को सामान पसंद न आने या खराब निकलने पर उसे वापस करने की ज़रूरत पड़ सकती है। आपकी रिटर्न और रिफंड पॉलिसी यह बताती है कि ग्राहक ऐसी स्थिति में क्या कर सकते हैं। एक साफ़ और आसान पॉलिसी ग्राहकों का भरोसा जीतने में मदद करती है क्योंकि उन्हें पता होता है कि अगर कुछ गलत होता है तो उनके पैसे सुरक्षित हैं।
Importance of a clear and simple return policy
कभी-कभी हम कोई ऐसी चीज़ खरीद लेते हैं जो हमें पसंद नहीं आती या फिर वो खराब निकल जाती है। ऐसे में अगर दुकानदार हमें उसे वापस करने या बदलने का आसान तरीका बताता है तो हमें उस दुकानदार पर ज़्यादा भरोसा होता है। ऑनलाइन शॉपिंग में भी ये बात बिल्कुल सही है। आपकी रिटर्न और रिफंड पॉलिसी बस यही बताती है कि अगर ग्राहक को सामान पसंद न आए या कोई दिक्कत हो तो वो क्या कर सकता है। E Commerce Business Course in Hindi में हम हमेशा इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ये क्यों इतना ज़रूरी है।
मैंने कई ऑनलाइन स्टोर्स देखे हैं। कुछ ऐसे भी थे जहाँ वापसी की पॉलिसी इतनी उलझी हुई थी कि ग्राहक सामान वापस करने के बजाय उसे रख लेना बेहतर समझते थे और फिर उन्होंने दोबारा उस दुकान से कभी खरीदारी नहीं की। मेरा खुद का अनुभव कहता है कि अगर आपकी पॉलिसी साफ़ और सीधी है तो ग्राहक को लगेगा कि आप भरोसेमंद हैं और उन्हें लगेगा कि उनका पैसा सुरक्षित है। ये ग्राहकों का विश्वास बनाने का एक बहुत अच्छा तरीका है।
एक स्पष्ट पॉलिसी से ग्राहक बिना किसी झिझक के खरीदारी करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि अगर कुछ गड़बड़ हुई तो वे क्या कर सकते हैं। यह न केवल उनकी संतुष्टि बढ़ाता है बल्कि उन्हें दोबारा आपके स्टोर पर आने के लिए भी प्रेरित करता है। एक अच्छी रिटर्न पॉलिसी होने से आपके ग्राहक खुश रहते हैं और आपके बिजनेस के लिए एक अच्छी पहचान भी बनती है।
How Easy Returns build Customer Trust
अच्छा तो आपने कभी सोचा है कि जब आप कोई चीज़ ऑनलाइन खरीदते हैं और उसे वापस करना पड़े तो आपको कैसा महसूस होता है। अगर वापसी की प्रक्रिया आसान हो तो आप खुश होते हैं बस यही बात है। आसान रिटर्न पॉलिसी आपके ग्राहकों के दिल में आपके लिए भरोसा जगाती है।
मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि एक ग्राहक जिसने आसानी से सामान वापस किया है वह भविष्य में दोबारा आपकी दुकान से खरीदारी करने की ज़्यादा संभावना रखता है। उन्हें पता होता है कि अगर प्रोडक्ट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा तो उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा। यह एक तरह का सुरक्षा कवच है जो आप अपने ग्राहकों को देते हैं।
जब ग्राहक को पता होता है कि रिटर्न करना आसान है तो वे बिना किसी डर के ज़्यादा खरीदारी करते हैं। यह उन्हें आज़ादी देता है कि अगर कुछ ठीक न लगे तो वे उसे वापस कर सकते हैं। यह सिर्फ एक नियम नहीं बल्कि ग्राहकों को यह कहने का एक तरीका है कि हम आपकी परवाह करते हैं और हम चाहते हैं कि आप अपनी खरीदारी से खुश रहें। यह विश्वास धीरे-धीरे बनता है लेकिन एक बार बन जाए तो यह आपके बिजनेस के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
ऑपरेशंस के लिए टूल्स और ऑटोमेशन
ऑनलाइन बिजनेस चलाने में बहुत सारे काम होते हैं। ऑर्डर संभालना हिसाब-किताब रखना ग्राहकों से बात करना। यह सब अकेले करना मुश्किल हो सकता है। यहीं पर टूल्स और ऑटोमेशन काम आते हैं। ये ऐसे सॉफ्टवेयर या ऐप्स होते हैं जो आपके बहुत सारे कामों को अपने आप कर देते हैं जिससे आपका समय बचता है और गलतियाँ कम होती हैं। अगले भागों में हम कुछ ऐसे ही ज़रूरी टूल्स के बारे में जानेंगे जो आपके ई-कॉमर्स बिजनेस को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेंगे।
Order Management
जब आपकी ऑनलाइन दुकान पर कोई ग्राहक सामान खरीदता है तो उसे एक ऑर्डर’ कहते हैं। इन सभी ऑर्डरों को सही तरीके से संभालना यह देखना कि कौन सा सामान भेजना है कहाँ भेजना है और कब भेजना है इसी को ऑर्डर मैनेजमेंट कहते हैं। शुरुआत में आप शायद यह सब खुद कर लें लेकिन जैसे-जैसे आपके ऑर्डर बढ़ेंगे आपको कुछ खास टूल्स की ज़रूरत पड़ेगी।
EasyEcom
EasyEcom एक ऐसा टूल है जो आपके ऑनलाइन बिज़नेस के लिए एक स्मार्ट सहायक जैसा काम करता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो कई प्लेटफॉर्म पर अपने प्रोडक्ट बेचते हैं, जैसे Amazon, Flipkart, या अपनी खुद की वेबसाइट। ई-कॉमर्स बिज़नेस कोर्स इन हिंदी में, मैं हमेशा ऐसे टूल्स के बारे में बताता हूँ जो आपके काम को आसान बना सकें।
विशेषताएँ और फायदे
सेंट्रलाइज्ड इन्वेंटरी और मल्टीचैनल सिंकिंग (Centralized Inventory and Multichannel Syncing): सोचिए आपके पास 100 T-Shirt हैं। आपने उन्हें Amazon, Flipkart और अपनी वेबसाइट तीनों जगह लिस्ट किया है। अगर Amazon पर 5 टी-शर्ट बिकती हैं तो आपको हर जगह जाकर गिनती कम करनी पड़ेगी है ना इसमें गलती होने के चांस भी हैं।
EasyEcom जैसा टूल यहीं काम आता है। यह आपके सारे सामान का हिसाब एक ही जगह रखता है इसे ही सेंट्रलाइज्ड इन्वेंटरी कहते हैं। जैसे ही कहीं कोई सामान बिकता है EasyEcom अपने आप बाकी सभी जगहों पर जैसे Flipkart और आपकी वेबसाइट पर उस सामान की गिनती कम कर देता है। इसे मल्टीचैनल सिंकिंग कहते हैं।
मेरा खुद का अनुभव है कि जब मैंने कई प्लेटफॉर्म पर बेचना शुरू किया तो इन्वेंटरी मैनेज करना एक बड़ा सिरदर्द बन गया था। कभी-कभी ग्राहक वो सामान खरीद लेते थे जो स्टॉक में होता ही नहीं था। EasyEcom जैसे टूल्स ने इस परेशानी को खत्म कर दिया। इससे न केवल गलती होने से बची बल्कि मेरा बहुत सारा समय भी बच गया। आप यह यकीन कर सकते हैं कि आपकी इन्वेंटरी हमेशा सही है चाहे ग्राहक कहीं से भी खरीदारी करे।
यह आपको ओवरसेलिंग जब आपके पास स्टॉक में सामान न हो और आप उसे बेच दें से बचाता है और आपके ग्राहकों को निराश होने से रोकता है। यह आपकी ऑपरेशंस को बहुत सुचारू बनाता है।
Accounting & Invoicing
ऑनलाइन बिजनेस में सामान बेचने के साथ-साथ पैसों का हिसाब-किताब रखना भी बहुत ज़रूरी है। आपको यह देखना होगा कि कितने पैसे आए कितने खर्च हुए और सरकार को सही टैक्स दिया गया या नहीं। इसी को अकाउंटिंग और इनवॉइसिंग कहते हैं। शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल लग सकता है लेकिन कुछ खास टूल्स आपकी मदद कर सकते हैं।
Vyapar (व्यापार)
Vyapar एक ऐसा ऐप है जो छोटे और मध्यम बिजनेस के लिए बहुत ही उपयोगी है। यह आपके अकाउंटिंग और बिलिंग के सारे काम को आसान बना देता है बिल्कुल एक पर्सनल असिस्टेंट की तरह। यह खास तौर पर भारत में जीएसटी (GST) से जुड़े नियमों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो कि हमारे E Commerce Business Course in Hindi के लिए बहुत ज़रूरी है।
GST बिलिंग, रिपोर्ट्स और रिकॉन्सिलिएशन
ऑनलाइन बिक्री करते समय, आपको जीएसटी के नियमों के अनुसार बिल तैयार करने होते हैं। यह प्रक्रिया कभी-कभी थोड़ी जटिल लग सकती है, लेकिन Vyapar इस काम को बेहद सरल बना देता है।
GST बिलिंग: Vyapar से आप फटाफट प्रोफेशनल और GST-कंप्लायंट बिल बना सकते हैं। आपको बस प्रोडक्ट की जानकारी डालनी है और Vyapar अपने आप GST की गणना कर देता है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कोई गणित का टीचर आपको सही जवाब निकालने में मदद कर रहा हो।
रिपोर्ट्स: बिजनेस में कहाँ से पैसा आ रहा है और कहाँ खर्च हो रहा है, यह जानना बहुत ज़रूरी है।
Vyapar आपको कई तरह की रिपोर्ट्स देता है जैसे बिक्री रिपोर्ट, खरीद रिपोर्ट, प्रॉफिट-लॉस रिपोर्ट आदि। ये रिपोर्ट आपको यह समझने में मदद करती हैं कि आपका बिजनेस कैसा चल रहा है और आपको कहाँ ध्यान देने की ज़रूरत है। मैंने अपने शुरुआती दिनों में हाथ से हिसाब किताब रखने की कोशिश की थी। और यकीन मानिए Vyapar जैसे टूल्स ने मेरा बहुत समय बचाया और गलतियाँ भी कम कीं।
रिकॉन्सिलिएशन (Reconciliation): रिकॉन्सिलिएशन का मतलब है अपने बैंक खाते के स्टेटमेंट और अपने बिजनेस के रिकॉर्ड्स को आपस में मिलाना ताकि यह पता चल सके कि सब कुछ सही है या नहीं। Vyapar आपको यह काम भी आसानी से करने में मदद करता है जिससे आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आपके पैसों का हिसाब बिल्कुल ठीक है। यह किसी जासूस की तरह काम करता है जो आपके सारे लेन-देन की जांच करता है ताकि कोई गड़बड़ न हो।
Vyapar जैसे टूल्स का इस्तेमाल करके आप अपने अकाउंटिंग के काम को बहुत आसान बना सकते हैं और अपना कीमती समय अपने बिजनेस को बढ़ाने में लगा सकते हैं।
Customer Relationship Management (CRM)
ऑनलाइन बिजनेस में ग्राहक ही सब कुछ होते हैं। उन्हें समझना उनसे अच्छे से बात करना और उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। यहीं पर कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट (CRM) काम आता है। CRM टूल्स आपको अपने ग्राहकों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने में मदद करते हैं। ये एक तरह से आपके ग्राहकों का रिकॉर्ड रखते हैं ताकि आप उन्हें बेहतर सेवा दे सकें।
HubSpot CRM
HubSpot CRM एक जाना-माना टूल है जिसे ख़ास तौर पर छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए बनाया गया है। यह आपकी ग्राहकों से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह पर सहेजने में मदद करता है। इसे ऐसे समझें, जैसे आपके पास एक जादुई डायरी है जहाँ हर ग्राहक की पूरी कहानी लिखी है – उन्होंने कब क्या खरीदा, क्या पूछा या कोई मैसेज भेजा। HubSpot CRM ठीक यही काम करता है।
ग्राहक इंटरैक्शन को ट्रैक करना और सपोर्ट में सुधार करना
HubSpot CRM का सबसे अहम लाभ यह है कि यह आपको अपने ग्राहकों के साथ हुई हर बातचीत (जिसे ‘ग्राहक इंटरैक्शन’ कहा जाता है) पर नज़र रखने की सुविधा देता है।
ग्राहक इंटरैक्शन को ट्रैक करना: जब कोई ग्राहक आपकी वेबसाइट पर आता है कोई चीज़ खरीदता है आपको ईमेल भेजता है या आपसे चैट करता है तो HubSpot CRM इन सभी बातों को रिकॉर्ड कर लेता है। यह आपको एक ही जगह पर ग्राहक की पूरी कहानी जानने में मदद करता है। मेरे अनुभव में जब मैं ग्राहकों से बात करता था तो अक्सर उनकी पिछली बातचीत या खरीदारियों को भूल जाता था। HubSpot CRM ने इस समस्या को हल कर दिया। अब जब कोई ग्राहक मुझे कॉल करता है तो मैं तुरंत उसकी सारी हिस्ट्री देख पाता हूँ।
सपोर्ट में सुधार करना: जब आपके पास ग्राहक की पूरी जानकारी होती है तो आप उसे बेहतर सपोर्ट दे सकते हैं। अगर किसी ग्राहक को किसी प्रोडक्ट के बारे में पहले कोई समस्या हुई थी तो आप तुरंत देख सकते हैं और उसे उसी हिसाब से मदद कर सकते हैं। यह ग्राहकों को यह महसूस कराता है कि आप उनकी परवाह करते हैं और उनकी ज़रूरतों को समझते हैं। इससे ग्राहकों की खुशी बढ़ती है और वे आपके बिजनेस पर और ज़्यादा भरोसा करते हैं।
यह टूल आपके सेल्स मार्केटिंग और कस्टमर सर्विस टीम को एक साथ काम करने में भी मदद करता है, जिससे ग्राहक को एक अच्छा और सहज अनुभव मिलता है। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में हम हमेशा इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ग्राहक संबंध ही बिजनेस की जान होते हैं। HubSpot CRM जैसे टूल्स आपको उन रिश्तों को बनाने और बनाए रखने में मदद करते हैं।
Email Marketing Automation
सोचिए अगर आपकी दुकान का कोई ग्राहक आया उसने सामान देखा लेकिन खरीदा नहीं और आप उसे बाद में एक छोटा सा मैसेज भेज सकें कि अरे वो सामान अभी भी आपका इंतज़ार कर रहा है। या कोई सामान खरीदने के बाद उसे धन्यवाद कह सकें। ईमेल मार्केटिंग ऑटोमेशन ठीक ऐसा ही काम करता है। यह ग्राहकों को अपने आप ईमेल भेजने में आपकी मदद करता है सही समय पर और सही संदेश के साथ। अगली बार हम जानेंगे कि यह कैसे काम करता है और कौन से टूल्स इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
Mailchimp
Mailchimp एक बहुत ही लोकप्रिय टूल है जो आपको अपने ग्राहकों को ईमेल भेजने में मदद करता है। यह ऐसा है जैसे आपके पास एक जादू का डाकिया हो जो आपके ग्राहकों को सही समय पर सही चिट्ठियाँ भेजता रहे। इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है, और यही वजह है कि ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में मैं इसे अक्सर सुझाता हूँ, खासकर नए लोगों के लिए।
वेलकम सीरीज़, अबंडन कार्ट, और पोस्ट-परचेज ईमेल
Mailchimp की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको ईमेल भेजने के लिए ऑटोमेशन सेट करने देता है। इसका मतलब है कि एक बार आप इसे सेट कर दें तो यह अपने आप काम करता रहेगा।
वेलकम सीरीज़ (Welcome Series): जब कोई नया ग्राहक आपकी वेबसाइट पर आता है और आपकी ईमेल लिस्ट में शामिल होता है तो आप उसे अपने आप एक वेलकम ईमेल भेज सकते हैं। यह ईमेल उसे आपकी दुकान के बारे में बताता है आपके सबसे अच्छे प्रोडक्ट्स दिखाता है और शायद एक छोटा सा डिस्काउंट भी दे सकता है। मैंने देखा है कि वेलकम ईमेल से नए ग्राहकों को अपने ब्रांड से जुड़ने में मदद मिलती है।
अबंडन कार्ट (Abandoned Cart): यह एक बहुत ही काम का फीचर है! सोचिए कोई ग्राहक आपकी वेबसाइट पर आया उसने कुछ सामान अपनी शॉपिंग कार्ट में डाला लेकिन फिर खरीददारी पूरी किए बिना चला गया। Mailchimp अपने आप ऐसे ग्राहकों को एक ईमेल भेज सकता है। उन्हें याद दिलाता है कि उनका सामान अभी भी इंतज़ार कर रहा है। कभी-कभी ग्राहक बस भूल जाते हैं या उनका ध्यान भटक जाता है और यह ईमेल उन्हें वापस आने के लिए प्रेरित करता है। मेरे अपने बिजनेस में, अबंडन कार्ट ईमेल ने बहुत सारी रुकी हुई बिक्री को पूरा करने में मदद की है। यह ग्राहकों को कुछ ऐसा याद दिलाने जैसा है जो वे भूल गए थे।
पोस्ट-परचेज ईमेल (Post-Purchase Emails): जब कोई ग्राहक कुछ खरीद लेता है तो आप उसे धन्यवाद कहने या उससे प्रोडक्ट के बारे में फीडबैक लेने के लिए ईमेल भेज सकते हैं। आप उसे संबंधित प्रोडक्ट्स भी दिखा सकते हैं जो उसने खरीदा है। यह ईमेल ग्राहकों को यह महसूस कराता है कि आप उनकी परवाह करते हैं और खरीदारी के बाद भी उनके साथ जुड़े हुए हैं। यह ग्राहकों के साथ लंबे समय के रिश्ते बनाने में मदद करता है।
Mailchimp जैसे टूल्स का उपयोग करके आप अपने ग्राहकों के साथ लगातार जुड़े रह सकते हैं और उन्हें सही समय पर सही मैसेज भेज सकते हैं जिससे आपकी बिक्री और ग्राहक वफादारी दोनों बढ़ती है। यह ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में सिखाई गई मार्केटिंग रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Conclusion
तो मेरे प्यारे ई-कॉमर्स वाले दोस्तों इस पूरे सफर में हमने मिलकर अपनी ऑनलाइन दुकान को कैसे खड़ा करें उसके सारे ज़रूरी हिस्सों को छुआ। हमने मार्केटिंग से लेकर सामान भेजने तक और ग्राहकों को खुश रखने से लेकर पैसों का हिसाब-किताब रखने तक सब कुछ सीखा।
मुझे पता है कभी कभी यह सब थोड़ा भारी लग सकता है लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि अगर आप हर एक चीज़ को ध्यान से समझेंगे और उसे अपने बिजनेस में लागू करेंगे तो आपको ज़रूर सफलता मिलेगी। यह बस एक एक कदम आगे बढ़ने जैसा है। और हाँ हमेशा याद रखना अपने ग्राहकों को खुश रखना ही सबसे बड़ा मंत्र है।
यह हमारे ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी के बुनियादी बातों का आखिरी हिस्सा था। उम्मीद है आपको इससे बहुत कुछ सीखने को मिला होगा और अब आप अपनी ऑनलाइन दुकान शुरू करने के लिए तैयार हैं। लेकिन चिंता मत कीजिए यह तो बस शुरुआत है। बहुत जल्द हम इसका एडवांस कोर्स भी लाएंगे जहाँ हम और भी गहरी बातें सीखेंगे। तब तक के लिए अपने सपनों को उड़ान देते रहिए और हाँ इस जानकारी को उन दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें जिन्हें इसकी ज़रूरत है। मिलते हैं अगले एडवांस कोर्स और टॉपिक के साथ में।