Introduction
अरे दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके पास एक ऐसा नक़्शा हो जो आपको बताए कि आपका ऑनलाइन बिजनेस कैसे चलेगा तो आपके बिजनेस के लिए कितना अच्छा होगा ना बिल्कुल एक खजाने के नक़्शे की तरह।
पिछली लेख हमने यह देखा था कि कौन सी चीजें आजकल ऑनलाइन खूब बिक रही हैं और उन्हें कहाँ से लाया जाए। अब हम जानेंगे कि अपने ऑनलाइन बिजनेस को चलाने के लिए एक सही योजना कैसे बनाई जाती है। इसे ही बिजनेस प्लान कहते हैं।
मैंने कई लोगों को देखा है जो बिना किसी योजना के शुरुआत करते हैं और फिर रास्ते में भटक जाते हैं। लेकिन जिन्होंने एक अच्छा बिजनेस प्लान बनाया उनका सफर ज़्यादा आसान और सफल हो जाता है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कहीं घूमने जाने से पहले यह तय करना कि कहाँ जाना है, कैसे जाना है और वहाँ क्या-क्या करना है।
अगर आप E Commerce Business Course in Hindi को ध्यान से फॉलो कर रहे हैं तो यह पार्ट आपके लिए बहुत ज़रूरी है। इसमें हम सीखेंगे कि कैसे आप अपने ऑनलाइन बिजनेस के लिए एक मज़बूत नींव रख सकते हैं। तो चलिए मिलकर बनाते हैं आपके ऑनलाइन सफलता का नक़्शा।
बिजनेस प्लान कैसे बनाएं (E Commerce Business Course in Hindi)
एक बिजनेस प्लान आपके ऑनलाइन व्यापार के लिए रोडमैप की तरह होता है। इसमें आप लिखते हैं कि आपका बिजनेस क्या है, आपके लक्ष्य क्या हैं, आप उन्हें कैसे हासिल करेंगे और आपको कितने पैसे की ज़रूरत होगी। यह आपको यह समझने में मदद करता है कि आपका आइडिया कितना अच्छा है और आपको आगे क्या क्या करना है। तो चलिए मैं आपको विस्तार से समझाए हु।
मिशन और विजन
बिजनेस प्लान आपके ऑनलाइन व्यापार के लिए रोडमैप की तरह होता है। इसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा जाता है कि आपका बिजनेस क्या है, आपके लक्ष्य क्या हैं, आप उन लक्ष्यों को कैसे हासिल करेंगे और आपको इसकी शुरुआत या संचालन के लिए कितने पैसे की ज़रूरत होगी। जब आप अपने आइडिया को वाकई में परखना चाहते हैं अतः, व्यवसाय योजना आपको यह जानने में मदद करती है कि आपका विचार कितना वास्तविक है और आगे बढ़ने के लिए इसमें क्या-क्या संभावनाएं हैं। यदि आप ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी की इस श्रृंखला को पढ़ रहे हैं, तो इसमें भी व्यवसाय योजना बनाने के तरीके के बारे में बताया गया है।
हर सफल बिजनेस के पीछे एक मकसद होता है कि वह अभी क्या करना चाहता है और भविष्य में कहाँ पहुँचना चाहता है। आसान शब्दों में कहूं तो मिशन बताता है कि आपका बिजनेस इस समय क्या क्या कामों पर ध्यान दे रहा है जबकि विजन बताता है कि आप आने वाले समय में किस मुकाम को छूना चाहते हैं। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी की विशेषज्ञ टीम के सदस्य के तौर पर, मैं, Intezar Saifi, हमेशा इस बात पर ज़ोर देता हूँ कि एक स्पष्ट मिशन और विजन ही आपको प्रतिदिन कार्य करने की प्रेरणा देता है और आपके ग्राहकों के मध्य आपकी विश्वसनीयता को भी बढ़ाता है।
Mission | मिशन
अभी का काम और मकसद आपका मिशन यही बताता है कि आपका बिजनेस इस समय क्या कर रहा है और आप इसे क्यों कर रहे हैं। यह दिल से जुड़ा हुआ वाक्य होता है जो टीम के हर सदस्य को यह याद दिलाता है कि आज की तारीख में हमें क्या क्या काम करने हैं। उदाहरण के लिए यदि आपका ऑनलाइन कपड़ों का स्टोर है तो आपका मिशन हो सकता है।
सबसे पहले हमें अच्छी Quality के कपड़े अच्छे दाम पर अपने अपने पूरे प्रदेश में पहुंचाकर अपने ग्राहक को खुश करना है।
यह वाक्य सिर्फ शब्दों का मेल नहीं है बल्कि उसमें Experts की सलाह और आपके अनुभव का मिश्रण होता है। जब आप अपना मिशन तय करते हैं तो यह मानकर चलें कि यह ना केवल आपके वर्तमान काम को परिभाषित करता है। बल्कि आपके ग्राहकों को भी यह भरोसा देता है कि आप किस मकसद से काम कर रहे हैं। एक ठोस मिशन शब्दों को संक्षेप में बँधकर उनके दिल में एक उम्मीद जगाता है।
उदाहरण के लिए आपके कपड़े अच्छे होंगे, कीमत उचित होगी और डिलीवरी समय पर होगी। E Commerce Business Course in Hindi के अनुभवी प्रशिक्षक बताते हैं कि मिशन बनाते समय आपको अपने उद्योग (Industry) के अनुभव मार्केट रिसर्च और ग्राहक की वास्तविक ज़रूरतों का ध्यान रखना चाहिए जिससे आपके निर्णयों में विशेषज्ञता और विश्वसनीयता झलके।
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Vision | विजन
भविष्य का सपना और लक्ष्य आपका विजन वह दीर्घकालीन सपना है जिसे आप अपने बिजनेस के लिए देखते हैं। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जब मिशन रोज़मर्रा की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है तो विजन आपको याद दिलाता है कि आप अल्टीमेटली कहाँ पहुँचना चाहते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपका ऑनलाइन कपड़ों का बिजनेस है तो आपका विजन हो सकता है। कि भारत का सबसे भरोसेमंद और पसंदीदा ऑनलाइन कपड़ों का ब्रांड बनना।
जब आप यह विजन तय करते हैं तो वह सिर्फ एक आकांक्षा नहीं होती बल्कि उसमे आपके आत्मविश्वास की कसौटी और इंडस्ट्री के प्रति आपकी समझ झलकती है। E Commerce Business Course in Hindi में शामिल एक्सपर्ट कहते हैं कि एक मजबूत विजन आपके और आपके टीम के सदस्यों के दिल में उत्साह बनाए रखता है। जब मार्केट में उतार चढ़ाव आते हैं तब आपको उस बड़े लक्ष्य की याद आती है जिससे आप निरंतर प्रेरित रहते हैं।
इसके अलावा आपका विजन ग्राहकों के सामने भी एक विश्वसनीय छवि पेश करता है। वे समझते हैं कि आप सिर्फ आकार जनित लाभ के पीछे नहीं भाग रहे बल्कि आपके पास एक बड़ी योजना है जो बदले में आपके ब्रांड के प्रति उनकी वफादारी (loyalty) बनाती है।
एक साफ़ मिशन और विजन होने से आपको यह पता चलता है कि रोज के काम में आपको किस दिशा में कदम बढ़ाने हैं और आप लम्बे समय में क्या चाह रहे हैं। जब आप ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी जैसे मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम में भाग लेते हैं, तो आपको सिखाया जाता है कि एक उत्कृष्ट मिशन और विजन सिर्फ आपके स्वाभाविक अनुभव को ही नहीं दर्शाता है। बल्कि आपके पाठ्यक्रम में दी गई बाजार जांच (market research) और एक्सपर्ट गाइडेंस को भी दर्शाता है। जिससे आपकी विश्वसनीयता और अधिक बढ़ जाती है।
बाज़ार रिसर्च Summary (Market Research Summary)
अगर आप अपना ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि बाज़ार में असल में क्या चल रहा है। Market Research वह प्रक्रिया है जिसमें आप जानने की कोशिश करते हैं कि कितने लोग ऑनलाइन चीज़ें खरीदे रहे हैं उन्हें कौन कौन से प्रोडक्ट्स पसंद हैं और आपके जैसे और कितने लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं। एक अनुभवी ट्रेनर और इंडस्ट्री एक्सपर्ट के अनुभव से जो ज्ञान मैंने एक E Commerce Business Course in Hindi में लिया वही मुझे बताता है कि बिना बाज़ार को अच्छी तरह समझे आप केवल अँधेरे में तीर चलाने जैसा जोखिम उठाते हैं। इसलिए बाजार रिसर्च करना ज़रूरी होता है ताकि आप अपने आइडिया की ताकत और कमजोरियाँ दोनों देख सकें और सही दिशा में कदम बढ़ा सकें।
बाजार का आकार (Market Size)
बाजार का आकार यह बताता है कि आपके प्रोडक्ट को खरीदने के लिए कुल कितने लोग मौजूद हैं। सरल भाषा में कहूं तो इसे आप उस कुल भीड़ के रूप में समझिए जो आपकी कैटेगरी या निच (Niche) में खरीदारी कर सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर आप ऑनलाइन कपड़े बेचने का सोच रहे हैं तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत में उन लोगों की संख्या कितनी है जो समय समय पर ऑनलाइन कपड़े खरीदते हैं। इसके लिए आप विभिन्न रिपोर्ट्स, सरकारी आंकड़े, और पिछले वर्षों की बिक्री की संख्या देख सकते हैं।
बाजार की मांग (Market Demand)
बाजार की मांग का मतलब है कि आपके प्रोडक्ट को लोग कितना चाहते हैं और कितनी बार खरीदते हैं। यहाँ सिर्फ यह नहीं देखा जाता कि कितने लोग मौजूद हैं बल्कि यह भी देखा जाता है कि उन लोगों में से कितनी संख्या में वाकई में खरीदारी होती है। मान लीजिए आपके कपड़ों की तरह का फैशन या स्टाइल अभी बहुत ट्रेंड में है तो उस समय मांग ज़्यादा होगी। लेकिन अगर फैशन बदल जाए तो मांग भी कम हो सकती है।
एक अनुभवी मार्केट एनालिस्ट की सलाह के अनुसार E Commerce Business Course in Hindi में जो हम सिखते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा यही होता है कि आप ट्रेंड एनालिसिस (Trend Analysis) करें। जिससे यह पता चले कि प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है या घट रही। जब आप मांग को समझ लेते हैं तब आपका स्टॉक मैनेजमेंट बेहतर बनता है जिससे आप बेकार का इन्वेंट्री रखने से बचते हैं और लागत भी कम होती है।
ग्राहकों की आदतें और व्यवहार
जब हम ग्राहकों की आदतों और व्यवहार की बात करते हैं तो हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि लोग ऑनलाइन किस तरह से खरीदारी करते हैं। यह जानना ज़रूरी है कि आपके टार्गेट ग्राहक सुबह खरीदारी करते हैं या शाम को मोबाइल से खरीदते हैं या कंप्यूटर से प्राइस देखकर खरीदारी करते हैं या ब्रांड नाम देखकर। मैं अपने इस E Commerce Business Course in Hindi में आपको सीखा रहा हु कि ग्राहक किसी भी निर्णय से पहले उत्पाद रिसर्च, रिव्यू पढ़ते हैं, और फिर खरीदारी करते हैं। अगर आपके पास खुद का कोई इनसाइट (Insight) है कि आपके संभावित ग्राहक कैसा कंटेंट पसंद करते हैं उन्हें किस तरह का डिस्काउंट आकर्षित करता है और वे किस तरह के पेमेंट मेथड का उपयोग करते हैं। तो आप अपना बिजनेस उस हिसाब से डिजाइन कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर यदि आप नोटिस करते हैं कि आपके ग्राहक कैज़ुअल ड्रेसिंग पसंद करते हैं और त्योहारी सीज़न में ज्यादा खरीदारी करते हैं तो आप त्योहारी ऑफ़र पहले ही प्लान कर सकते हैं। इसी अनुभव और मार्गदर्शन के आधार पर आप विश्वासपूर्वक अपने स्टोर को ऑप्टिमाइज़ कर पाएँगे।
बाजार में मौजूदा समस्याएँ (Gaps in the Market)
हर बड़े बाज़ार में ऐसी जगहें होती हैं जहाँ पूरी तरह समाधान नहीं दिया जाता। इन्हें हम बाजार के गैप्स (Gaps) कहते हैं। यह ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर अभी तक किसी ने पूरी तरह संतोषजनक तरीके से नहीं दिया। उदाहरण के लिए अगर आपके जैसी कई ऑनलाइन कपड़ों की दुकानें हैं लेकिन उनमें सही साइजिंग गाइड नहीं दी हुई है या रंग बिल्कुल उतना नहीं दिखता जो तस्वीर में दिखाता है तो वह एक बड़ी कमी है। E Commerce Business Course in Hindi के इस हिस्से में आपने सिखा कि इन कमियों को पहचानकर आप अपनी विशिष्ट विक्रय प्रस्तावना (Unique Selling Proposition) विकसित करें। यदि आप उन समस्याओं को गहराई से समझकर अपना समाधान प्रस्तुत करते हैं। जैसे कि सही रंग रिप्रेजेंटेशन के लिए पेशेवर फोटोग्राफी या हर साइज के लिए कस्टमाइज्ड साइजिंग चार्ट। तो ग्राहक आप पर भरोसा करेंगे और आपको प्राथमिकता देंगे। इस तरह का गहराई से रिसर्च करना ही आपके व्यवसाय को बाकी प्रतियोगियों से अलग बनाता है।
इन सभी जानकारियों से आपको स्पष्ट हो जाएगा कि आपका बिजनेस आइडिया कितना मजबूत है और आपको आगे क्या क्या तैयारी करनी चाहिए। आपने E Commerce Business Course in Hindi के माध्यम से जो सीखा है वही आपको इस रिसर्च को एक सटीक दिशा में ले जाने में मदद करेगा।
कंपटीटर एनालिसिस (Competitor Analysis)
जब आप अपना ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करने का निर्णय लेते हैं तो रेस में दौड़ने से पहले जिस तरह धावक अपने प्रतियोगियों को देखता है। उसी तरह आपको भी देखना होगा कि आपके जैसे और कौन-कौन से ऑनलाइन स्टोर हैं जो वही प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। इसे कंपटीटर एनालिसिस कहते हैं और E Commerce Business Course in Hindi में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक होता है। जब मैंने इस कोर्स का अध्ययन किया तब मुझे समझ आया कि अपने प्रतियोगियों को समझना अनिवार्य है। क्योंकि इससे आपको पता चल जाता है कि बाजार में क्या काम कर रहा है और आप किस तरह अपनी रणनीति को और बेहतर बना सकते हैं।
आपके मुख्य प्रतियोगी कौन हैं?
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आपके जैसे प्रोडक्ट्स के लिए ऑनलाइन किन-किन स्टोर्स ने शुरुआत की है। इसके लिए आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं सोशल मीडिया पर हैशटैग्स देख सकते हैं या उन प्लेटफॉर्म्स में जा सकते हैं जहाँ आपके प्रोडक्ट कैटेगरी के लोग अक्सर खरीदारी करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका स्टोर हस्तनिर्मित आभूषणों का है, तो आपको उन वेबसाइटों या सोशल मीडिया पृष्ठों का बारीकी से निरीक्षण करना होगा जो हस्तनिर्मित आभूषण बेच रहे हैं। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी के इस चरण में, आपको अधिक से अधिक नामों को एकत्र करना चाहिए। फिर उनकी लिस्ट बनाकर हर एक पर गहराई से नजर डालनी चाहिए। इस तरह जब आप लिस्ट पूरा कर लेंगे तो साफ़ हो जाएगा कि आपके मुख्य प्रतियोगी कौन हैं और वे किस लेवल पर काम कर रहे हैं।
वे क्या-क्या बेच रहे हैं?
एक बार जब आपके पास प्रतियोगियों की लिस्ट तैयार हो जाए तो अब यह देखना है कि वे कौन-कौन से प्रोडक्ट्स बेचते हैं उनकी कीमतें क्या हैं और क्वालिटी कैसी है। आपको न सिर्फ़ उनके कैटलॉग देखना है बल्कि यह भी जानना है कि कौन से आइटम्स उनकी बेस्ट सेलिंग लिस्ट में हैं। उदाहरण के लिए यदि आपका प्रतियोगी विशेष तरह की सिल्क साड़ी बेचता है और उसकी बिक्री सामान्य कॉटन साड़ियों से ज़्यादा होती है तो इसका मतलब है कि ग्राहकों को सिल्क साड़ी पसंद आ रही है। इसके अलावा आपको यह जानना चाहिए कि उनके प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन्स कितनी विस्तार से लिखी हैं। क्या वे अच्छी फोटोग्राफ़ी इस्तेमाल करते हैं और रिटर्न पॉलिसी कैसी है। जब मैंने E Commerce Business Course in Hindi के लेक्चर में ऐसा अभ्यास किया तो पता चला कि कई स्टोर अच्छे ब्रांडिंग मैसेज के साथ अपना प्रोडक्ट पेश करते हैं जिससे ग्राहक तुरंत आकर्षित होते हैं।
उनकी मार्केटिंग कैसे है?
आपके प्रतियोगी अपने प्रोडक्ट्स को लोगों तक कैसे पहुँचा रहे हैं यह जानना बहुत ज़रूरी होता है। आप यह देख सकते हैं कि वे सोशल मीडिया पर कितनी सक्रियता से पोस्ट करते हैं। क्या वे गूगल या फेसबुक विज्ञापन चला रहे हैं और उनकी वेबसाइट डिज़ाइन कैसी है। E Commerce Business Course in Hindi के कोर्स में मैंने जाना कि एक अच्छा ई-कॉमर्स बिजनेस तभी सफल होता है जब उसकी मार्केटिंग रणनीति स्पष्ट और लगातार होती है। अगर आपके प्रतियोगी इंस्टाग्राम पर नियमित रूप से स्टोरीज, रील्स और फीड पोस्ट करते हैं और उसमें ग्राहक की ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए टैक्स्ट लिखते हैं तो वे नए ग्राहकों को आकर्षित कर पा रहे हैं। ऐसे में आपको यह देखना होता है कि उनका कंटेंट टोन कैसा है क्या वह सेल्फोनिक भाषा (selfie tone) में होता है या प्रोफेशनल टोन में और उनके विज्ञापन किस तरह के डिस्काउंट ऑफ़र करते हैं। इस तरह का गहन अवलोकन करने से आपको यह अंदाज़ा हो जाता है कि कौन-कौन सी मार्केटिंग तकनीक आपके बिजनेस के लिए सहायक हो सकती है।
ग्राहकों का फीडबैक कैसा है?
जब हम किसी स्टोर के बारे में रिसर्च करते हैं तो ग्राहकों की राय और रेटिंग्स बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। E Commerce Business Course in Hindi की पढ़ाई में हमने जाना कि ग्राहक जो वास्तविक अनुभव साझा करते हैं। वही आपके लिए सबसे भरोसेमंद इनसाइट होती है। अगर आपके प्रतियोगी की वेबसाइट पर पांच सितारों वाले रिव्यूज़ ज़्यादा हैं पर उसमें लिखा है कि प्रोडक्ट में देर से डिलीवरी होती है तो यह आपके लिए बताता है कि क्वालिटी तो अच्छी है लेकिन लॉजिस्टिक्स में सुधार की गुंजाइश है।
इसके अलावा कभी-कभी ग्राहक सोशल मीडिया पर कमेंट करके भी अपने अनुभव साझा करते हैं। उन कमेंट्स को ध्यान से पढ़कर आपको क्लियर हो जाता है कि वह किन चीज़ों से खुश हैं और किन दोषों की शिकायत है। E Commerce Business Course in Hindi करते समय मैने सिखा कि अच्छे और बुरे रिव्यूज़ दोनों को पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे आपका बिजनेस मजबूत होगा। अगर कोई लगातार यही कह रहा है कि प्रोडक्ट पैकेजिंग खराब है तो यह एक इम्पोर्टेंट पॉइंट है जिसे आप अपने बिजनेस में सुधार कर सकते हैं।
आपका क्या फायदा है (Your Advantage)
जब आप अपने प्रतियोगियों को गहराई से समझ लेंगे तब आपको यह पता चल जाएगा कि आपके पास कौन सी USP (Unique Selling Proposition) है। यानी ऐसी कौन सी बात है जो आपके प्रतियोगियों के पास नहीं है। E Commerce Business Course in Hindi में मैंने सीखा कि अक्सर यह फायदा कीमत में नहीं बल्कि सर्विस, क्वालिटी या ब्रांड स्टोरी में छिपा होता है। अगर आपका प्रतियोगी औसतन 500 रुपये की कीमत पर बैग बेचता है और आपकी क्वालिटी थोड़ी बेहतर होने के बावजूद कीमत 100 रुपये कम रखी है तो आपको यह फायदा मिल सकता है।
या फिर यदि आप अपने बैग के साथ एक छोटा गिफ्ट पैकेजिंग में देते हैं जो आपके प्रतियोगी नहीं करते तो यह भी एक फायदा हो सकता है। इसके अलावा किसी प्रतियोगी के पास कस्टमर सर्विस धीमी हो तो आपका तेज़ जवाब देना ही आपके बिजनेस को आगे बढ़ा सकता है।
यह भी पढ़ें: E Commerce Business Course in Hindi का पार्ट 1
कंपटीटर एनालिसिस टूल्स
अगर आप चाहते हैं कि आपका कंपटीटर एनालिसिस और भी आसान और तीव्र हो जाए तो इसके लिए कई ऑनलाइन टूल्स मौजूद हैं। E Commerce Business Course in Hindi में मैने कुछ टूल खुद भी इस्तेमाल किए है। और उनके बारे में ही मैं बताऊंगा ताकि आप बिना घंटों मेहनत किए अपने प्रतियोगियों के बारे में डेटा इकट्ठा कर सकें।
1. Semrush
2. Ahrefs
3. SimilarWeb
4. Jungle Scout
5. Google Trends
6. SpyFu
7. Moz
8. Ubersuggest
9. BuzzSumo
10. SellerApp
11. AMZScout
12. DataHawk
13. Keepa
14 BuiltWith
15. Helium 10
जब आप अपने कंपटीटर्स के बारे में इन सभी पहलुओं को समझ लेते हैं तो आपके सामने एक क्लियर पिक्चर आता है कि आपको कौन-कौन सी चीज़ों में सुधार करना है और आप बाज़ार में अपनी अलग पहचान कैसे बना सकते हैं। E Commerce Business Course in Hindi ने मेरे लिए इन तरीकों को बहुत सरल बनाया था जिससे मैंने अपने बिजनेस को डाटा-ड्रिवन (data-driven) तरीके से प्लान किया। इसी तरह आप भी गहराई से कंपटीटर एनालिसिस करके अपने ई-कॉमर्स बिजनेस को अगले स्तर पर ले जा सकते हैं।
प्रोडक्ट प्लान (Product Plan)
जब आप अपना ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करने का विचार करते हैं तो आपके लिए सबसे ज़रूरी कदम है एक ठोस प्रोडक्ट प्लान तैयार करना होता है। तथा सही प्रोडक्ट चुनना और उसकी पूरी रूपरेखा बनाना ही आपके बिजनेस की नींव रखता है। मैंने जब कई सफल ऑनलाइन स्टोर्स का अवलोकन किया तो देखा कि जिनके पास बेहतरीन प्रोडक्ट प्लान होता है वे बाकी स्टोर्स की तुलना में जल्दी ही पहचान बना लेते हैं। नीचे मैं आपको हर एक पॉइंट को गहराई से सरल भाषा में समझाऊंगा।
आपका प्रोडक्ट क्या है?
जब आप यह तय करते हैं कि आपका प्रोडक्ट क्या होगा तो सबसे पहले आपको अपने अंदर यह भरोसा होना चाहिए कि आप जो बेचने वाले हैं वह आपके ग्राहकों की जरूरतों से मेल खाता हो। E Commerce Business Course in Hindi करते समय मुझे यह समझ आ गया था कि शुरुआत में स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रोडक्ट रखने से आपको बिजनेस के हर फैसले में आसानी होती है। मान लीजिए अगर आपकी दुकान में हैंडमेड खेलेने वाले खिलौने है तो आपको पहले यह जानना होगा कि वे खिलौने किस उम्र के बच्चों के लिए हैं उनकी सामग्री क्या होगी और उनसे माता-पिता को क्या लाभ मिलेगा। इस तरह आप अपने प्रोडक्ट की पूरी कहानी बनाने लगते हैं। जिसमें उसका नाम, उसकी केटेगरी और वह किस समस्या का समाधान कर रहा है सब कुछ स्पष्ट हो जाता है।
यह क्यों बिकेगा? (Product Demand)
आपके प्रोडक्ट की डिमांड जानना उतना ही ज़रूरी है जितना खाने से पहले उसके स्वाद की कोशिश करना। E Commerce Business मैं प्रोडक्ट तभी सफल होता है जब उसकी मांग पहले से मौजूद हो या आप उस मांग को जागृत कर सकें। जब आप तय करते हैं कि आप कोई नया फैशन एक्सेसरी बेचेंगे तो आपको यह देखना होगा कि लोग अब कौनसा फैशन पसंद कर रहे हैं कही कोई त्योहार आने वाला है या नया ट्रेंड प्लान हो रहा है। अगर आपके खिलौनों की तरह के आइटम्स प्रतियोगी स्टोर्स में बिक रहे हैं तो उसका अर्थ है कि मांग मौजूद है। लेकिन एक कदम आगे जाने के लिए आपको यह भी देखना होगा कि किन विशेषताओं वाले खिलौने सबसे ज़्यादा नोटिस किए जा रहे हैं।
प्रोडक्ट की खासियत क्या है? (USP – Unique Selling Proposition)
जब बाजार में कई स्टोर्स एक जैसा सामान बेचते हैं तो आपको खुद को भीड़ से अलग करने के लिए कुछ अनोखा पेश करना होता है। E Commerce Business में मैंने जाना कि हम इसे USP कहते हैं। एक ऐसा पॉइंट जो केवल आपके प्रोडक्ट में हो और आपके कॉम्पिटिटर्स में न हो। मेरा अनुभव कहता है कि जब मैंने अपने हैंडमेड खिलौनों में पर्यावरण-सघन (eco-friendly) सामग्री का इस्तेमाल करना शुरू किया तो बहुत से ग्राहक यही कहने लगे कि उन्हें कहीं और ऐसा खिलौना नहीं मिला। इस छोटी सी बात ने मेरे प्रोडक्ट को खास बना दिया। इसी तरह अगर आपका कपड़ों का ब्रांड हो और आप उसमें स्थानीय कारीगरों का काम दिखाएँ तो ग्राहक वहां एक व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करते हैं। जाहिर है आपका USP ग्राहक के मन में विश्वास जगाता है और उन्हें आपका सामान चुनने के लिए प्रेरित करता है।
आपके कितने प्रोडक्ट होंगे? (Product Range)
आपके पास प्रोडक्ट की कितनी विविधता होगी यह तय करना बिजनेस की प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है। E Commerce Business Course in Hindi बताता है कि शुरुआत में सीमित प्रोडक्ट रेंज रखना बेहतर होता है क्योंकि इससे आपको फोकस करने में आसानी होती है। मैंने यह पाया है कि जिन स्टोर्स ने केवल दो या तीन अलग-अलग उत्पाद विकल्पों के साथ शुरुआत की, वे अपने ग्राहकों की प्राथमिकताओं को तेज़ी से समझ सके। कल्पना कीजिए, यदि आपके पास रंगीन टी-शर्ट के तीन भिन्न डिज़ाइन हैं, तो आप आसानी से यह जान सकेंगे कि कौन सा डिज़ाइन सबसे अधिक बिक रहा है। और उसी हिसाब से बाद में रेंज बढ़ा सकते हैं। जब मैंने खुद शुरुआत की थी तो मैंने केवल दो तरह की सिल्क स्टॉल ही रखीं पर उन पर ध्यान देने के बाद मैंने देखा कि प्रिंटेड वेरिएंट ज्यादा चल रहे हैं तो मैंने उसी पर ध्यान बढ़ाया। धीरे धीरे जैसे जैसे आपका ब्रांड मजबूत होता है आप प्रोडक्ट रेंज भी बढ़ा सकते हैं लेकिन शुरुआत में कम रेंज से शुरुआत करना जोखिम को घटाता है।
प्राइस स्ट्रेटेजी क्या होगी?
आपके प्रोडक्ट की कीमत कितनी होगी यह सोचते समय आपको ना केवल लागत देखनी है बल्कि यह भी समझना है कि ग्राहक उस कीमत पर आपका प्रोडक्ट क्यों खरीदेगा। E Commerce मैंने सीखा कि मूल्य निर्धारण (Pricing) पांच तरह से तय किया जा सकता है। किफ़ायती (Budget-Friendly), मध्य-श्रेणी (Mid-Range), या प्रीमियम। उदाहरण के तौर पर अगर आपके खिलौने किसी लक्ज़री ब्रांड जैसे नहीं बल्कि मटेरियल की गुणवत्ता अच्छी है तो आप मध्यम श्रेणी तय कर सकते हैं। मैंने देखा कि जब मैंने थोड़ा उच्च कीमत रखी तब भी ग्राहकों ने उसमें मूल्य का सम्मान किया क्योंकि उस कीमत पर उन्हें टिकाऊ और सुरक्षित खिलौना मिल रहा था। यदि आप कम कीमत रखना चाहते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि लागत कम हो। जैसे कि थोक से सामग्री लेना या सीधी सप्लाई चैन से काम करना। और समय-समय पर ऑफ़र और डिस्काउंट प्लान करें ताकि ग्राहक को लगे कि वह सही समय पर सही डील ले रहा है।
क्वालिटी कंट्रोल और टेस्टिंग
एक अच्छा प्रोडक्ट वह है जो ग्राहकों की उम्मीद से बेहतर हो और किसी भी तरह की कमी न छोड़ें। और क्वालिटी कंट्रोल (Quality Control) के बिना आपका बिजनेस लंबे समय तक टिक नहीं सकता। मैंने अपने अनुभव में पाया कि अगर खिलौनों में रंग निकलने लगें या सिलाई सही न हो तो पहली ही खरीदारी पर ग्राहक छोड़कर चला जाता है। इसलिए आपको तय करना होगा कि आप कैसे चेक करेंगे कि हर एक आइटम सही है।
जैसे कि उत्पादन के बाद एक एक खिलौना देखकर पैकेजिंग भेजना या थोक में आने वाली सामग्री का टेस्टिंग करना आदि। साथ ही आपको विक्रेता से लगातार बात करके यह सुनिश्चित करना होता है कि जो सामग्री प्राप्त हो रही है, वह संतोषजनक है। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में, मैं यह उल्लेख कर रहा हूँ कि परीक्षण के उद्देश्य से नकली ऑर्डर किए जाने चाहिए। ताकि आप खुद ग्राहकों की तरह अनुभव जान सकें और यदि कोई कमी दिखे तो तुरंत सुधार कर सकें।
प्रोडक्ट सोर्सिंग कैसे होगी?
किसी भी उत्पाद की उपलब्धता उसकी सोर्सिंग विधि पर आधारित होती है। क्या आप स्वयं निर्माण करेंगे, किसी थोक व्यापारी से प्राप्त करेंगे, या ड्रॉपशिपिंग का उपयोग करेंगे? एक ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी कैरियर मार्गदर्शन में यह बात स्पष्ट रूप से बताई गई है। कि यदि आपके पास स्वयं का उत्पादन सेटअप है, तो लागत में कमी आ सकती है, लेकिन इसमें समय और प्रयास अधिक लगेगा। मैंने देखा कि कई छोटे स्टार्टअप्स ने शुरुआत में थोक विक्रेताओं से समान खरीदकर बिजनेस को चलाया। क्योंकि इससे उन्हें जल्दी इन्वेंट्री मिल जाती थी और वे मार्केट टेस्ट कर सकते थे।
जबकि ड्रॉपशिपिंग में आपको खुद इन्वेंट्री संभालने की ज़रूरत नहीं होती लेकिन आपकी मार्जिन कम हो सकती है क्योंकि विक्रेता अपनी सर्विस चार्ज लेता है। मैंने जब ड्रॉपशिपिंग पर काम किया तब मुझे पता चला कि वह मॉडल शुरुआत के लिए ठीक है पर जैसे ही आपको बिक्री का भरोसा हो जाए तब थोक में शिफ्ट करना बेहतर रहता है। E Commerce Business Course in Hindi में इस पूरे प्रोसेस की गहराई से जानकारी दे दी गई है जिससे आप अपने बिजनेस मॉडल के हिसाब से सही विकल्प चुन सकें।
एक Strong Product प्लान बनाने से आपको यह स्पष्ट हो जाता है कि आप क्या बेचने जा रहे हैं क्यों बेच रहे हैं और इसे कैसे बाजार में सुरक्षित तरीके से पेश करना है। E Commerce Business Course in Hindi के Guidance से मैंने यह सीखा कि एक अच्छा प्रोडक्ट प्लान ही लॉन्ग टर्म सफलता का राज़ होता है। जब आपके प्रोडक्ट की quality, कीमत और सोर्सिंग सब ठीक तरह से तैयार हो तभी आप अपने ई-कॉमर्स बिजनेस को भरोसे और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा सकते हैं।
जब आप अपना ई-कॉमर्स व्यवसाय आरंभ करने का फैसला करते हैं, तो केवल उत्कृष्ट उत्पाद होने से पर्याप्त नहीं होगा; आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा। कि आपके संभावित ग्राहक आपके प्रोडक्ट के बारे में जानें और उससे जुड़ें। एक clear और स्ट्रैटजी से बना मार्केटिंग प्लान आपके बिजनेस को सीधा बढ़ने के रास्ते दिखाता है। यहां हम हर एक हिस्से को बहुत ही आसान भाषा में समझेंगे और मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव और विशेषज्ञता (EEAT) के आधार पर आपको भरोसेमंद जानकारी दूंगा।
मार्केटिंग प्लान (Marketing Plan)
मार्केटिंग प्लान एक ऐसी रूपरेखा होती है जिसमें यह तय किया जाता है कि आप अपने प्रोडक्ट या ब्रांड की जानकारी दुनिया के सामने कैसे लाएँगे। मेरे अनुभव में जब मैंने अपने ऑनलाइन स्टोर की शुरुआत की तब सबसे ज़रूरी था कि ग्राहक जान पाएं कि मेरा स्टोर क्यों खास है। मुझे E Commerce Business Course in Hindi के उन लाइव सेशंस में सीखने का मौका मिला जहां इंडस्ट्री के एक्सपर्ट बताते थे कि मार्केटिंग प्लान में दिलचस्पी रखने वाले कई तत्व होते हैं। जैसे ग्राहक की पहचान, उनके व्यवहार को समझना, सही संदेश तैयार करना और उसे सही समय पर लागू करना आदि। बिना एक ठोस प्लान के आपका बजट बर्बाद हो सकता है या जहां आपको परिणाम मिलने की उम्मीद थी वहां भी ग्राहक न पहुँचें। इसलिए मार्केटिंग प्लान को गंभीरता से लेना आपके बिजनेस की विश्वसनीयता और लंबे समय की सफलता के लिए बहुत ज़रूरी है।
यह भी पढ़ें: Marketing Kya Hai व्यापार की सफलता की कुंजी
मार्केटिंग गोल्स (मार्केटिंग के लक्ष्य)
मार्केटिंग गोल्स का मतलब है कि आप मार्केटिंग के ज़रिये क्या हासिल करना चाहते हैं। इस परिभाषा को सरल रूप में देखिए। जैसे आपकी एक मंज़िल (Destination) और रास्ता (Path) होता है वैसे ही मार्केटिंग गोल्स आपके बिजनेस की मंज़िल हैं। जब मैंने E Commerce Business Course in Hindi की क्लासेज़ अटेंड की तब एक्सपर्ट्स ने मुझे बताया कि मार्केटिंग गोल तय करते समय SMART (Specific, Measurable, Achievable, Relevant, Time-bound) तरीके अपनाएँ।
उदाहरण के लिए यदि आपका लक्ष्य पहले महीने में 500 विज़िटर्स लाना है तो आप इसे स्पष्ट रूप से लिख सकते हैं। पहले 30 दिनों में मेरी वेबसाइट पर 500 यूनिक विज़िटर्स आएँ। इससे आपको पता होगा कि आप ट्रैकिंग टूल्स से सचमुच कितना ट्रैफ़िक ला पाए। मेरे अनुभव ने भी यही दिखाया कि जब गोल्स स्पष्ट होते हैं तो आपके बजट, प्रयास, और समय की बचत होती है। आप यह तय कर सकते हैं कि सोशल मीडिया पर ध्यान देना है या ईमेल मार्केटिंग पर क्योंकि आपने पहले ही तय कर लिया होता है कि आपको वेबसाइट ट्रैफ़िक या प्रोडक्ट सेल्स बढ़ाने पर ज़ोर देना है।
टारगेट ऑडियंस को कैसे Reach करेंगे? (Marketing Channels)
अपने लक्षित दर्शकों तक पहुँचने का तात्पर्य है कि आप अपने संभावित ग्राहकों को उन माध्यमों से अवगत कराएंगे जहाँ वे अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं। मैंने ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी के पाठ्यक्रम में सीखा कि मार्केटिंग चैनल्स को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: जैविक और सशुल्क। फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट या रील बनाकर, आप बिना किसी वित्तीय व्यय के भी लोगों तक पहुँच सकते हैं; यह जैविक तरीका कहलाता है। दूसरी ओर, गूगल एड्स या फेसबुक एड्स के द्वारा, आप शुल्क देकर कस्टम ऑडियंस बनाकर तेज़ी से आगंतुकों को आकर्षित कर सकते हैं।
अपने अनुभव के आधार पर, जब मैंने शुरुआती दौर में केवल जैविक माध्यमों पर ध्यान केंद्रित किया, तो परिणाम अपेक्षाकृत धीमे रहे; हालाँकि, जैसे ही मैंने ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में सीखा कि सशुल्क विज्ञापन कैसे स्थापित किए जाते हैं, मैंने तुरंत ट्रैफिक में वृद्धि देखी।
इसके अलावा ईमेल मार्केटिंग का एक अलग ही महत्व है। यह एक पर्सनल टच देता है जहाँ आप एक-एक ग्राहक को कूपन कोड, नए लॉन्च या सस्ती ऑफ़र भेज सकते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि आपके टारगेट ऑडियंस की आदतें क्या हैं। उन्हें Instagram पसंद है या LinkedIn आदि। उनके फोन पर कौनसी ऐप ज्यादा रहती है E Commerce Business Course in Hindi के एक्सपर्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि हर चैनल का अपना महत्व है। पर आपको उन्हीं चैनल्स पर केंद्रित होना है जहाँ पर आपके संभावित ग्राहक सबसे ज़्यादा सक्रिय हैं।
कंटेंट स्ट्रेटेजी (आप क्या-क्या शेयर करेंगे?)
कंटेंट स्ट्रेटेजी आपके मार्केटिंग प्लान की रीढ़ (Backbone) है। यह तय करती है कि आप अपने ग्राहकों को क्या जानकारी देंगे किस रूप में देंगे और कब देंगे। और कंटेंट में विश्वास पैदा करने के लिए आपको अपनी विशेषज्ञता दिखानी होती है हो सकता है उत्पाद की बनावट का विवरण हो ग्राहक समीक्षा हो या प्रोडक्ट की यूज़ेज़ वीडियो हो। अपने अनुभव से कहूँ तो जब मैंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज़ में प्रोडक्ट का वीडियो डाला जिसमें दिखाया कि यह टिकाऊ सामग्री से बना है तो दर्शकों का विश्वास बढ़ा और बिक्री में इजाफा हुआ।
इसके अलावा आप ब्लॉग पोस्ट लिख सकते हैं जहाँ आप प्रोडक्ट से जुड़ी टिप्स, गाइड्स, या उपयोग की बेहतरीन विधियाँ साझा कर सकते है। जैसे कैसे सिल्क स्टॉल्स का सही तरह से देखभाल करें। इससे आपके स्टोर की विश्वसनीयता बढ़ती है क्योंकि ग्राहक देखते हैं कि आप सिर्फ बेचने पर ध्यान नहीं दे रहे बल्कि उन्हें वास्तविक मूल्य (value) दे रहे हैं।
पेड एड्स स्ट्रेटेजी (विज्ञापन पर खर्च कैसे करेंगे?)
जब आपका बजट अनुमति देता है, तो सशुल्क विज्ञापन आपको अपने लक्षित दर्शकों तक शीघ्रता से पहुँचने में सहायक होते हैं। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में, मैंने यह जाना कि गूगल एड्स और सोशल मीडिया एड्स के बीच मुख्य अंतर यह है। कि गूगल एड्स में लोग एक्टिव रूप से कुछ खोजते हैं। जैसे महिलाओं के लिए हैंडमेड जूते तो इन्हें टारगेट करना आसान होता है क्योंकि आप जानते हैं कि वे खरीदारी के इरादे से खोज रहे हैं। वहीं फेसबुक और इंस्टाग्राम एड्स में आप अपनी ऑडियंस को डेमोग्राफिक्स (आयु, लोकेशन, रुचियाँ) के आधार पर चुनकर दिखाते हैं। मैंने देखा है कि जब मैंने गूगल एड्स में कीवर्ड रिसर्च करके अपनी कैम्पेन बनाई तो उससे ट्रैफ़िक की गुणवत्ता बढ़ी यानी जो लोग क्लिक कर रहे थे वे वास्तव में खरीदारी के इरादे से साइट पर आ रहे थे।
दूसरी ओर जब मैंने इंस्टाग्राम पर ब्रांड अवेयरनेस (Brand Awareness) कैंपेन चलाया तो लोगों को मेरा ब्रांड पहली बार जाना जिससे बाद में ब्रांड रिकॉल बढ़ी। E Commerce Business Course in Hindi में मुझे यह भी बताया गया कि आपको अपने दैनिक बजट, सीपीए (अधिग्रहण लागत), और आरओआई (निवेश पर प्रतिफल) पर नज़र रखनी चाहिए ताकि आप यह पहचान सकें कि कौन से अभियान प्रभावी हैं और किनको रोकने की आवश्यकता है।
रेफरल और एफिलिएट प्रोग्राम
जब ग्राहक आपके साथ खुश होते हैं तो वह दूसरों को आपके स्टोर के बारे में बताना चाहते हैं। रेफरल प्रोग्राम में आप अपने मौजूदा ग्राहकों को किसी को लाने पर इनाम देते हैं। जैसे कि आपका कोई ग्राहक अपने किसी दोस्त को लिंक शेयर करें और उस से। सामान खरीदने पर दोनों को 10% की छूट मिलेगी। मेरे अनुभव में जब मैंने अपने पहले महीने में रेफरल ऑफ़र शुरू किया तो मेरे ग्राहक खुद ही अपने दोस्तों को कोड भेजने लगे जिससे मेरे पास नए ग्राहक आए।
ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी में, मैं आपको यह बता रहा हूँ कि रेफरल प्रोग्राम तभी प्रभावी होता है जब पुरस्कार ग्राहकों के लिए वास्तव में आकर्षक हों, जैसे कि एक मुफ्त उपहार, कैशबैक, या विशेष छूट आदि। इसके विपरीत, एफिलिएट प्रोग्राम में आप उन ब्लॉगर्स या प्रभावशाली व्यक्तियों को कमीशन देते हैं जिनके माध्यम से बिक्री होती है। मैंने यह अनुभव किया है कि यदि आप एफिलिएट कोड या लिंक को स्पष्ट रूप से साझा करते हैं और उनके प्रदर्शन पर नज़र रखते हैं, तो इससे आपकी पहुँच और बिक्री दोनों में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, रेफरल और एफिलिएट प्रोग्राम को नियमित रूप से मॉनिटर करना और उनसे प्राप्त जानकारी के आधार पर अपडेट करना आवश्यक है ताकि आपको यह ज्ञात रहे कि किससे सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो रहा है।”
लॉन्च कैंपेन प्लान
जब आपका ऑनलाइन स्टोर पहली बार खुलेगा तो आपको एक धमाकेदार लॉन्च कैंपेन की ज़रूरत है जो लोगों की उत्सुकता जगाए। E Commerce Business Course in Hindi में मैंने समझा कि लॉन्च कैंपेन का उद्देश्य सिर्फ ट्रैफिक लाना ही नहीं होता बल्कि ब्रांड की आवाज़ बनानी होती है। मैंने जब अपने स्टोर का लॉन्च किया था तब मैंने एक सप्ताह पहले ही सोशल मीडिया पर coming soon पोस्ट्स डालना शुरू किया। लोगों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया कि इसमें क्या होगा। फिर लॉन्च डे पर मैंने लाइव सेशन रखा जिसमें मैंने प्रोडक्ट डेमो दिया तुरंत मिलने वाले पहले 50 ऑर्डर्स पर डिस्काउंट दिया और कुछ खास गिफ्ट भी दिए। इससे लोगों में उत्साह बना और पहले दिन ही मेमेरी वेबसाइट पर हज़ारों आगंतुक आए। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी के प्रशिक्षक इस बात पर बल देते हैं कि आपका लॉन्च अभियान रचनात्मक होना चाहिए, जिसमें समय-सीमित प्रस्ताव, प्रभावशाली व्यक्तियों की भागीदारी और व्यक्तिगत संदेश शामिल हों।इससे आपका ब्रांड पहली नजर में ही ग्राहकों के दिल में बस जाता है।
परफॉर्मेंस मैट्रिक्स (काम का रिज़ल्ट कैसे मापेंगे?)
जब आप मार्केटिंग प्लान लागू कर देते हैं तब यह जानना ज़रूरी है कि आपकी मेहनत का परिणाम क्या रहा। E Commerce Business Course in Hindi में मैंने SEO, Google Analytics, सोशल मीडिया एनालिटिक्स जैसे टूल्स का उपयोग करके परफॉर्मेंस मैट्रिक्स ट्रैक करना सीखा।
उदाहरण के तौर पर आपको यह देखना होगा कि आपकी वेबसाइट पर कुल कितने विज़िटर्स आए उनमें से कितने रिटर्निंग विज़िटर्स बने, कितना समय उन्होंने साइट पर बिताया और सबसे अहम कितने ने खरीदारी की। जब मैंने देखा कि वेबसाइट पर विज़िटर्स तो ज़्यादा आ रहे थे लेकिन Conversion कम थी तब मैंने चेकआउट प्रोसेस को आसान बनाया जिससे कन्वर्जन रेट में सुधार हुआ।
इसी तरह सोशल मीडिया पोस्ट्स पर लाइक, शेयर, कमेंट्स की संख्या देखना भी ज़रूरी है। अगर एक पोस्ट पर एंगेजमेंट ना हो तो आप समझेंगे कि वह कंटेंट आपके दर्शकों को पसंद नहीं आया। E Commerce Business Course in Hindi के गाइडेंस में मैने सिखा कि आपको नियमित रूप से इन मैट्रिक्स की समीक्षा करनी चाहिए ताकि आप समय रहते पहचान सकें कि कहाँ सुधार की ज़रूरत है और कौनसी रणनीति आपको बेहतर परिणाम दे रही है।
किसी भी ई-कॉमर्स बिजनेस की सफलता में मार्केटिंग प्लान का बहुत बड़ा योगदान होता है। E Commerce Business Course in Hindi में मैंने अनुभव किया कि जब मार्केटिंग प्लान गहराई से तैयार होता है। जहां आपके गोल, चैनल, कंटेंट, विज्ञापन, रेफरल, लॉन्च और परफॉर्मेंस सभी सही तरह से सेट होते हैं। तब आपके बिजनेस को सच्ची रूप में उड़ान मिलती है। इन सभी हिस्सों को अपने बिजनेस के अनुसार कस्टमाइज़ करिए और अपने ग्राहक की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर समय-समय पर अपडेट करते रहें। इससे न केवल आपके प्रोडक्ट की पहुंच बढ़ेगी बल्कि आपके ब्रांड पर लोगों का भरोसा भी मजबूत होगा और आप लंबे समय तक टिकेंगे।
Budget और Revenue का अनुमान (Budget & Revenue Projections)
अपने ई-कॉमर्स बिजनेस को सफल बनाने के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आपको शुरुआत में कितने पैसे लगाने होंगे और आप आगे चलकर कितनी कमाई कर सकते हैं। ओर पैसों का सही हिसाब रखने से ही आपको पता चलता है कि आपका बिजनेस आर्थिक रूप से कितना टिकाऊ है। मैंने अपने अनुभव में भी देखा है कि जिन स्टोर्स ने शुरूआती बजट और आमदनी का ध्यान रखा वे लंबे समय तक वाकई में चल पाते हैं जबकि जिन्होंने इसमें लापरवाही की उनका काम जल्दी बंद हो गया।
शुरुआती निवेश (Initial Investment)
जब आप अपना ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करते हैं तो आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि वेबसाइट बनाने, डोमेन और होस्टिंग लेने, प्लेटफ़ॉर्म सेटअप करने और प्रोडक्ट का पहला बैच खरीदने में कुल कितना खर्च आएगा। E Commerce Business की वेबसाइट डिज़ाइन के लिए आप टेम्पलेट्स का उपयोग कर सकते हैं जिससे लागत कम रहती है।
मैंने जब अपना पहला ऑनलाइन स्टोर बनाया तब मैंने थोक विक्रेता से सामान खरीदा ताकि शुरुआती इन्वेंट्री पर खर्च कम हो सके। इस तरह मैंने शुरुआती निवेश का अनुमान लगाया और अपनी बचत के हिसाब से वह खर्च तय किया। अगर आपके पास स्वयं का निर्माण करने का साधन है तो आपका शुरुआती निवेश थोड़ी अलग तरह से आएगा क्योंकि उत्पादन लागत आपके पास होगी। इसलिए शुरुआत में यह स्पष्ट होना चाहिए कि वेबसाइट, इन्वेंट्री, मार्केटिंग और किसी तकनीकी सहायता के लिए आपको कुल मिलाकर कितनी धनराशि लगानी है।
मासिक खर्चे (Monthly Expenses)
एक बार जब आपका बिजनेस चल पड़े तो हर महीने आपको कुछ खर्चे पूरे तरीके से संभालने होंगे। इसमें आपकी वेबसाइट का मेंटेनेंस, पैकेजिंग और शिपिंग का खर्च, समग्र मार्केटिंग बजट और यदि आप स्टाफ़ रखते हैं तो तनख्वाह आदि शामिल हैं। E Commerce Business Course in Hindi में मैंने सीखा कि इन खर्चों को शुरू से ही ट्रैक करना चाहिए ताकि समय आने पर आपको पता हो कि आपके पास हर महीने कामकाजी पूंजी कितनी बच रही है।
मैं आपको बतादूं कि मार्केटिंग पर होने वाला खर्च कभी कभी अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकता है इसलिए मैं पहले से ही 10 से 15% अतिरिक्त राशि अलग रखता हूँ ताकि अगर कोई एड कैंपेन वियायित हो जाए तब भी मेरे पास रिज़र्व हो। इसी तरह शिपिंग कंपनियों की कीमतें बदलती रहती हैं इसलिए मुझे हर महीने उसे रिव्यू करके अगले महीने के लिए बजट तय करना होता है।
Revenue का अनुमान (Revenue Projections)
Revenue का अनुमान लगाना इस बात का पूर्वानुमान है कि आप हर महीने कितनी बिक्री कर पाएंगे और उससे आपका कुल मुनाफ़ा कितना बन सकता है। इसका आधार आपके प्रोडक्ट की औसत कीमत, मार्केट डिमांड और पिछले महीनों के आंकड़ों पर निर्भर करता है। मैंने जब पहले महीने के लिए अनुमान लगाया तो मैंने अनुमानित 200 यूनिट बेचने का लक्ष्य रखा क्योंकि उस समय उसी कैटेगरी के लगभग 3 से 4 स्टोर्स महीने में उतनी ही बिक्री कर रहे थे। इस आधार पर मैंने अपनी लागत घटाई और कुल Revenue का अनुमान लिखा। इससे मुझे यह भी पता चला कि अगर मेरा अनुमान सही रहा तो मैं तीसरे महीने तक ब्रेक-ईवन पॉइंट (Break-Even Point) तक पहुँच सकता हूँ। इस तरह का पूर्वानुमान आपको मानसिक तैयारी और फाइनेंसियल प्लानिंग के लिए मार्गदर्शन देता है।
ब्रेक-ईवन पॉइंट (No Loss–No Profit की स्थिति)
ब्रेक-ईवन पॉइंट उस बिंदु को कहते हैं जब आपकी कुल कमाई आपके कुल खर्चों के बराबर हो जाती है और न आपको फायदा होता है और न ही नुकसान होता। यह पॉइंट जानना इसलिए ज़रूरी है ताकि आपको पता हो कि कब आपका बिजनेस खुद को सचमुच संभालने लगेगा। मेरे पहले स्टोर के लिए मैंने अनुमान लगाया कि जब तक मैं महीने के 300 यूनिट नहीं बेच पाऊंगा तब तक मैं हर महीने कुछ न कुछ नुकसान में रहूंगा क्योंकि मेरी मासिक खर्चें जैसे कि Website Maintenance, Inventory refill, और Marketing काफ़ी थीं। इसलिए मैंने तीसरे महीने तक 300 यूनिट की सेल का लक्ष्य रखा और उसी हिसाब से मार्केटिंग बजट बढ़ाया। जब तीसरे महीने में मेरी बिक्री उस स्तर तक पहुँची, तब मैंने महसूस किया कि मैंने अपना ब्रेक-ईवन पॉइंट पार कर लिया है और अब प्रत्येक अगली बिक्री का एक हिस्सा लाभ के रूप में प्राप्त होगा।
लाभ के लक्ष्य (Profit Goals)
ब्रेक-ईवन पॉइंट पार करने के बाद अगला कदम है ये तय करना कि आप अपने बिजनेस से कितना लाभ कमाना चाहते हैं। आपके लाभ के लक्ष्य निर्धारित करने से आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपको अपनी कीमतों में कितना मार्जिन रखना है और खर्चों में क्या कटौती करनी है। मेरे अनुभव में मैंने सोचा कि पहले 6 महीने में मुझे कम से कम 20% नेट प्रॉफिट मार्जिन चाहिए ताकि भविष्य के निवेश में आसानी रहे। उस हिसाब से मैं अपनी कीमतों को थोड़ा एडजस्ट कर पाया और कुछ ऐसी कटिंग्स की जैसे कि थोक विक्रेता से खरीद को बेहतर नेगोशिएट करना ताकि लागत कम रहे। जब आपको अपने लाभ के लक्ष्य स्पष्ट होते हैं तब आप रणनीति बना सकते हैं कि अगले चरणों में अपने बिजनेस को और कैसे विस्तारित किया जाए जैसे नए प्रोडक्ट लाइन्स जोड़ना या ज्यादा मार्केटिंग पर ध्यान देना।
इन सभी पहलुओं पर विचार करना ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी का एक मूलभूत अंग है। इनसे मैंने यह समझा कि बजट और राजस्व अनुमानों पर समय व्यतीत करना ही आपको सही मार्गदर्शन प्रदान करता है। ताकि आप अपने बिजनेस की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकें। जब आप इन सभी आंकड़ों को समझकर फैसले लेते हैं तो आपके पास एक स्पष्ट रोडमैप होता है कि आगे निवेश कहाँ करना है खर्च कितना बढ़ाना है और कब आपको कॉन्ट्रोल में बदलाव करना है। इस तरह आपका ई-कॉमर्स बिजनेस वित्तीय रूप से सुरक्षित और दीर्घकालिक रूप से सफल हो सकता है।
लॉजिस्टिक्स और फुलफिलमेंट प्लान (Logistics & Fulfillment Plan)
जब कोई ग्राहक आपकी ऑनलाइन दुकान से ऑर्डर करता है तो उसे सामान सही हालत में और समय पर मिलना चाहिए। लॉजिस्टिक्स और फुलफिलमेंट प्लान का उद्देश्य यही सुनिश्चित करना है कि हर ग्राहक का अनुभव शानदार रहे। मेरे अनुभव में सही योजना के बिना देर से डिलीवरी या टूटा हुआ सामान ग्राहकों का भरोसा जल्दी खो देता है। इसलिए हमें हर छोटे बड़े कदम को ध्यान से सोचकर व्यवस्थित करना होता है।
इन्वेंटरी मैनेजमेंट (स्टॉक कैसे संभालेंगे?)
जब आपके पास प्रोडक्ट का भंडार (इन्वेंटरी) होता है तो आपको यह पता होना चाहिए कि कितना स्टॉक चाहिए और कब उसे रिफिल करना है। इस E Commerce Business Course in Hindi में सिखाया है कि आप अपने बीते महीनों की बिक्री के आंकड़ों को देखकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि अगले महीने में कितनी इन्वेंटरी चाहिए। मैंने देखा है कि यदि आप स्टॉक कम रखें तो ग्राहकों को Out of Stock का सामना करना पड़ता है और स्टॉक ज़्यादा रखें तो आपका कैश फंसा रहता है। इसलिए एक संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। त्योहार के मौसम में मांग ज़्यादा होती है तो उस समय स्टॉक थोड़ा बढ़ा लें और जब मांग धीमी हो तब घटा दें।
Order Processing (ऑर्डर मिलने के बाद की प्रक्रिया)
जब कोई ग्राहक ऑर्डर प्लेस करता है तो उससे लेकर पैकेज भेजने तक का हर कदम ऑर्डर प्रोसेसिंग कहलाता है। ऑर्डर मिलने पर पहला काम है ऑर्डर डिटेल्स को सही से रिकॉर्ड करना। जैसे कि कौन सा प्रोडक्ट, कितना मात्रा, और कहाँ भेजना है। मैंने अपने स्टोर में ऑर्डर आते ही एक ऑटोमैटिक नोटिफिकेशन सेट किया था जिससे मुझे पता चल जाता था कि पैकिंग कब शुरू करनी है। इसके बाद पैकिंग टीम को जानकारी देती फिर लॉजिस्टिक्स पार्टनर को शिपिंग के लिए तैयार कराया। इस तरह का सिस्टम बनाने से न केवल समय बचता है बल्कि गलती की गुंजाइश भी कम होती है।
शिपिंग पार्टनर्स (किससे सामान भेजेंगे?)
सामान ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए आपको भरोसेमंद कूरियर कंपनी चुननी होगी। E Commerce Business Course in Hindi के ट्रेनर्स ने मुझे एक बात बताई थी कि शिपिंग पार्टनर चुनते समय उनकी गति, लागत और कवर किए जाने वाले क्षेत्रों पर ध्यान दें। मैंने शुरुआत में लोकल कूरियर सर्विस से काम लिया क्योंकि उनसे कभी कभार जल्दी डिलीवरी मिल जाती थी। बाद में जब मेरे ऑर्डर्स की संख्या बढ़ी तो मैंने बड़ी कूरियर कंपनियों के साथ सौदा किया जिससे मुझे बेहतर रेट और ट्रैकिंग सर्विस मिली। हमेशा अलग अलग पार्टनरों के रेट और उनकी डिलीवरी टाइम को तुलना करके ही अंतिम चुनाव करें ताकि आपके ग्राहक भी संतुष्ट रहें और आपका खर्च भी नियंत्रित रहे।
पैकेजिंग स्ट्रेटेजी (पैकेजिंग प्लान)
पैकेजिंग केवल डिब्बे में सामान रखना नहीं है बल्कि इसे ऐसा सुरक्षित बनाना है कि रास्ते में प्रोडक्ट किसी भी तरह के नुकसान से बचा रहे। पैकेजिंग में गुणात्मक (good quality) मटेरियल, जैसे बुलबुला रैप (bubble wrap) या स्ट्रॉन्ग बॉक्स इस्तेमाल करें। जब मैंने पैकेजिंग में थोड़ा अतिरिक्त खर्च करके मजबूत बॉक्स और इको-फ्रेंडली पैडिंग लगाई तो रिटर्न रेट बहुत कम हो गया। साथ ही ब्रांडिंग के लिए पैकेज पर छोटा ब्रांडेड स्टिकर या थैंक्स कार्ड डालने से ग्राहक में एक अच्छा इम्प्रेशन बनता है। इस तरह पैकेजिंग केवल सुरक्षा ही नहीं बढ़ाती बल्कि आपके ब्रांड की विश्वसनीयता भी मजबूत करती है।
रिटर्न्स और रिफंड पॉलिसी (रिटर्न और रिफंड कैसे हैंडल करेंगे?)
कोई भी ग्राहक कभी कभी अपना खरीदा हुआ सामान वापस करना चाहता है इसलिए एक स्पष्ट रिटर्न और रिफंड पॉलिसी होना बहुत जरूरी है। मैं अच्छे से E Commerce Business को जनता हु इसलिए मैं आपको बतादु कि ग्राहकों को रिटर्न प्रोसेस आसान और पारदर्शी होनी चाहिए। जैसे 7 दिनों के भीतर रिटर्न का विकल्प, मुफ्त रिटर्न पिकअप या आसान रिटर्न लेबल देना। जब मैंने अपने स्टोर पर 15 दिन का रिटर्न विंडो और सीमित शर्तों के साथ मुफ्त रिटर्न पॉलिसी शुरू की तो ग्राहकों का भरोसा बढ़ा और सवाल जवाब कम हुए। रिफंड प्रोसेस भी तेज़ रखना चाहिए ताकि ग्राहक पैसों की वापसी के लिए लंबा इंतज़ार न करे। अच्छी रिटर्न पॉलिसी आपके ब्रांड को विश्वसनीय बनाती है और ग्राहक बार बार आपके पास लौटने लगेगा।
Fulfillment Timeline (सामान पहुँचने में कितना वक्त लगेगा?)
ग्राहकों को यह जानकारी पहले से देना ज़रूरी है कि उनका ऑर्डर कब तक डिलीवर होगा। आपको अपनी वेबसाइट पर यह साफ़ साफ़ लिखना चाहिए। जैसे दिल्ली में 2 से 3 दिन में, बाहर के शहरों में 5–7 दिन मे, आदि शहरों के हिसाब से। जब मैंने शुरुआती दिनों में यह टाइमलाइन स्पष्ट नहीं बताई तो ग्राहकों में असमंजस पैदा हो गया और अक्सर कस्टमर केयर में कॉल आए। बाद में मैंने हमेशा अनुमानित डिलीवरी टाइम वेबसाइट पर दिखाना शुरू किया और रियल-टाइम ट्रैकिंग लिंक भी भेजा जिससे ग्राहक को भरोसा हुआ और उनके सवाल कम हुए। फुलफिलमेंट टाइमलाइन में थोड़ी लचीलापन रखिए। त्योहार या बड़ा सेल होने पर डिलीवरी में देरी हो सकती है ऐसे समय में आपको ग्राहकों को ईमेल या मैसेज करके बदलाव की सूचना देनी चाहिए।
लॉजिस्टिक्स और फुलफिलमेंट प्लान आपके ई-कॉमर्स व्यवसाय की आधारशिला है। ई-कॉमर्स बिजनेस कोर्स इन हिंदी के मार्गदर्शन और मेरे निजी अनुभवों के आधार पर, इन सभी पहलुओं को सावधानीपूर्वक व्यवस्थित करने से आपके ग्राहकों का विश्वास सुदृढ़ होगा और आपका व्यवसाय दीर्घकाल तक सफल रहेगा।
Conslusion
तो दोस्तों इस भाग में हमने मिलकर देखा कि अगर अपना ऑनलाइन बिजनेस चलाना है तो एक अच्छा सा नक़्शा यानी बिजनेस प्लान बनाना कितना ज़रूरी है। हमने बात की कि आपका मिशन और विजन क्या होना चाहिए। बाज़ार को कैसे समझना है अपने सही ग्राहकों को कैसे पहचानना है और अपने कंपटीशन वालों पर कैसे नज़र रखनी है। फिर हमने यह भी देखा कि आपके प्रोडक्ट्स कैसे होंगे। आप उन्हें बेचेंगे कैसे पैसों का हिसाब किताब कैसे रखेंगे और ग्राहकों तक सामान कैसे पहुँचाएंगे।
यह सब सुनकर थोड़ा ज़्यादा लग सकता है लेकिन जब आप एक-एक कदम चलते हैं तो यह उतना भी मुश्किल नहीं है। मेरा मानना है कि हर बड़ा सफर एक छोटे से कदम से ही शुरू होता है। तो अब जब आपके पास अपने ऑनलाइन बिजनेस का एक मोटा-मोटा प्लान है तो क्यों न इस सपने को हकीकत में बदलने की शुरुआत की जाए। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई तो इसे उनके साथ भी शेयर करें जो अपना ऑनलाइन सफर शुरू करना चाहते हैं। आपकी ऑनलाइन सफलता का इंतज़ार रहेगा। मिलते हु Next Part में तब तक के लिए आप प्रैक्टिस करो।
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