Introduction
नमस्ते मेरे भाईयों और बहनों क्या आपने कभी सोचा है कि आप घर बैठे बैठे दुनिया भर की दुकानें देख सकते हैं और अपनी पसंद की चीजें खरीद सकते हैं? कितना दिलचस्प है ना, ठीक इसी आसान तरीके को हम ई-कॉमर्स कहते हैं!
आज के समय में बहुत सारे लोग अपना खुद का ऑनलाइन व्यापार शुरू करना चाहते हैं। क्या आप भी उनमें से एक हैं। अगर हाँ तो यह लेख आपके लिए ही है। इस लेख में हम जानेंगे कि ई कॉमर्स बिजनेस क्या है, इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई और यह आज इतना महत्वपूर्ण क्यों है।
मैंने भी कई सालों तक ई कॉमर्स बिजनेस को करीब से देखा है और समझा है। अपने अनुभव से मैं आपको बता सकता हूँ कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ विकास की अपार संभावनाएं हैं। अगर आप भी E Commerce Business Course in Hindi के बारे में जानने में रुचि रखते हैं तो यह लेख आपको ज़रूर पसंद आएगा।
इस ई-कॉमर्स बिज़नेस कोर्स इन हिंदी में मैं सिर्फ अपने अनुभव की बातें नहीं करूंगा, बल्कि उन तरीकों को भी शेयर करूंगा जो आज के समय में वाकई असरदार हैं।
तो चलिए मिलकर ई-कॉमर्स की इस रोमांचक दुनिया में कदम रखते हैं। आगे हम जानेंगे कि यह कितने प्रकार का होता है और आज के समय में इसका क्या स्कोप है। तो बने रहिए आखिर तक।
ई-कॉमर्स क्या है
कभी आपने सोचा है कि आप घर बैठे ही अपनी पसंद की कोई भी चीज़ जैसे खिलौने, कपड़े या किताबें आदि अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर से खरीद सकते हैं। बस यही ई-कॉमर्स है।
ई-कॉमर्स का मतलब है इंटरनेट के ज़रिए सामान और सेवाओं को खरीदना और बेचना। आसान भाषा में कहें तो यह Online Shopping है। जैसे आप किसी दुकान पर जाकर सामान खरीदते हैं वैसे ही इंटरनेट पर बनी दुकानों से सामान खरीदना ई-कॉमर्स कहलाता है।
मैंने कई सालों से इस बदलते हुई Digital दुनिया को देख रहा हु। मेरा अनुभव कहता है कि ई-कॉमर्स ने हमारे खरीदारी करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। अब तो ऐसे कई ई-कॉमर्स बिज़नेस चल रहे हैं जो पूरी तरह ऑनलाइन काम करते हैं। उनकी कोई फिज़िकल दुकान नहीं होती, लेकिन फिर भी वे बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
अगर आप भी अपना खुद का E Commerce Business Course in Hindi में सीखना चाहते हैं तो आपको इस कोर्स का अंत तक बने रहना होगा।
ई कॉमर्स की शुरुआत कब हुई
ई कॉमर्स की शुरुआत यानी ऑनलाइन सामान खरीदने और बेचने का तरीका बहुत पहले से नहीं था। पुराने समय में लोग बाजार या दुकानों में जाकर ही चीजें खरीदते थे। लेकिन जैसे जैसे तकनीक ने तरक्की की लोगों ने सोचा कि अगर हम टीवी और कंप्यूटर से बातें कर सकते हैं तो क्यों न इन्हीं से खरीदारी भी की जाए।
1970 और 1980 के दशक में कुछ लोगों ने इस बारे में सोचना शुरू किया। उस समय एक सिस्टम आया जिसे Videotex कहा गया। जिससे लोग घर बैठे कुछ चीजों का ऑर्डर दे सकते थे। यह तरीका आज के ऑनलाइन शॉपिंग जैसा तो नहीं था लेकिन ये शुरुआत जरूर थी।
1990 के दशक में इंटरनेट आम लोगों तक पहुंचने लगा। 1994 में पहली बार इंटरनेट से एक सीडी की ऑनलाइन खरीद हुई। इसे माना जाता है कि यहीं से असली ई-कॉमर्स की शुरुआत हुई। अब लोग ऑनलाइन पैसे भेज सकते थे और सामान भी मंगवा सकते थे।
इसी दौर में अमेज़न की शुरुआत हुई, जहाँ शुरुआत में सिर्फ किताबें बेची जाती थीं। फिर 1995 में ईबे नाम की वेबसाइट आई, जिसने लोगों को अपना पुराना सामान दूसरों को बेचने का मौका दिया। इन दोनों वेबसाइटों ने ई-कॉमर्स को बहुत आगे बढ़ाया।
धीरे धीरे लोगों को ऑनलाइन खरीदारी करने में मज़ा आने लगा। उन्हें घर बैठे कपड़े, मोबाइल, किताबें और बहुत कुछ मिलने लगा। कंपनियों ने भी समझा कि अब कारोबार का तरीका बदल रहा है। उन्होंने वेबसाइट्स को बेहतर बनाया और डिलीवरी की सुविधा भी अच्छी की।
2000 के आसपास कुछ ऑनलाइन कंपनियाँ बंद हो गईं। लेकिन जो बचीं उन्होंने खुद को और बेहतर बना लिया। Amazon और eBay जैसी कंपनियाँ बहुत बड़ी बन गईं। फिर PayPal जैसी सेवाएं आईं जिनसे ऑनलाइन पेमेंट करना और भी आसान हो गया।
आज तो ई-कॉमर्स बहुत आगे निकल चुका है। लोग मोबाइल ऐप से ही शॉपिंग कर लेते हैं। अब सोशल मीडिया से भी चीजें खरीदी जा सकती हैं और लाइव वीडियो में भी सामान बेचा जा रहा है। लेकिन यह सब कुछ एक सोच से शुरू हुआ था। जो 1990 के दशक में पहली बार किसी ने सोची थी। कि इंटरनेट सिर्फ जानकारी पढ़ने के लिए नहीं बल्कि खरीदारी करने के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है।
ई कॉमर्स क्यों महत्वपूर्ण है? | Why E Commerce is Important
कभी आपने सोचा है कि आपको जो चीज़ चाहिए वह घर बैठे ही मिल जाए तो कितना अच्छा होगा। ई-कॉमर्स बिल्कुल यही करता है। यह हमारे लिए कई तरह से बहुत महत्वपूर्ण है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि ई-कॉमर्स से हम कभी भी और कहीं से भी खरीदारी कर सकते हैं। चाहे रात के 12 बजे हों या आप किसी दूसरी शहर में हों। ऑनलाइन दुकानें हमेशा खुली रहती हैं। है ना यह सुविधाजनक।
मैंने पिछले कुछ सालों में देखा है कि छोटे छोटे व्यापारियों के लिए भी ई-कॉमर्स एक वरदान बना है। अब वे सिर्फ अपनी गली या शहर में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में अपना सामान बेच रहे हैं। इससे उनके व्यापार को बढ़ने का बहुत अच्छा मौका मिला है।
अगर आप इस E Commerce Business Course in Hindi को पढ़ लेते हैं। तो आप जानेंगे कि यह सिर्फ सामान खरीदना बेचना ही नहीं है। बल्कि यह लोगों के लिए नए नए काम के अवसर भी पैदा करता है। जैसे किसी की ऑनलाइन दुकान चलाना, सामान को सही जगह पर पहुँचाना, या वेबसाइट बनाना आदि।
तो ई-कॉमर्स क्यों ज़रूरी है? क्योंकि यह हमारे जीवन को आसान बनाता है, व्यापारियों को बढ़ने का मौका देता है और नए रोजगार लाता है। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि यह ई-कॉमर्स कितने अलग अलग तरह का होता है। है ना चलिए बताता हु।
ई कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं (There are How Many Types of E-Commerce)
ई कॉमर्स के कई प्रकार होते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि सामान या सेवा कौन किससे खरीद रहा है। सबसे आम प्रकार हैं B2C (बिज़नेस टू कस्टमर), B2B (बिज़नेस टू बिज़नेस), C2C (कस्टमर टू कस्टमर), और C2B (कस्टमर टू बिज़नेस)। हर प्रकार का अपना अलग तरीका होता है और इन्हें जानना जरूरी है अगर आप ई कॉमर्स बिजनेस शुरू करना चाहते हैं।
B2C (Business to Customer) E Commerce
B2C का मतलब होता है जब कोई कंपनी सीधे हम जैसे ग्राहकों को अपना सामान या सेवाएं बेचती है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप किसी दुकान पर जाते हैं और कुछ खरीदते हैं। लेकिन यहाँ यह सब ऑनलाइन होता है।
आपने ज़रूर Amazon और Flipkart जैसी वेबसाइटों के बारे में सुना होगा। ये कंपनियां B2C E-commerce का बहुत अच्छा उदाहरण हैं। इन वेबसाइटों पर आप कपड़े, किताबें, इलेक्ट्रॉनिक्स और अपनी ज़रूरत की लगभग हर चीज़ खरीद सकते हैं। कंपनी सीधे आपको सामान बेच रही है।
मैंने खुद भी कई बार इन वेबसाइटों से खरीदारी की है और यह बहुत ही आसान और सुविधाजनक होता है। आप घर बैठे ही अपनी पसंद की चीज़ ऑर्डर कर सकते हैं और वह आपके घर तक पहुँच जाती है।
B2B (Business to Business) E Commerce
B2B का मतलब होता है जब एक कंपनी दूसरी कंपनी को सामान या सेवाएं बेचती है। यह थोड़ा अलग है B2C से जहाँ कंपनी सीधे ग्राहकों को बेचती है। यहाँ पर दो व्यापार आपस में लेन देन करते हैं।
सोचिए एक कंपनी है जो कारों के लिए टायर बनाती है। वह टायर सीधे हम लोगों को बेचने के बजाय दूसरी बड़ी कार बनाने वाली कंपनियों को बेचती है। यह B2B का उदाहरण है।
IndiaMART, Alibaba, और TradeIndia जैसी वेबसाइटें B2B ई-कॉमर्स के बड़े प्लेटफॉर्म हैं। इन वेबसाइटों पर आप ऐसी कंपनियों को ढूंढ सकते हैं जो दूसरी कंपनियों को कच्चा माल, मशीनें या अन्य व्यावसायिक सेवाएं Wholesale Rate पर बेचती हैं।
Direct to Customer (D2C)
Direct to Customer यानी D2C का मतलब है जब कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को सीधे ग्राहकों तक पहुँचाती है, बिना किसी बीच के दुकानदार या थोक व्यापारी के। पहले के समय में कंपनियाँ सामान बनाकर पहले बड़े दुकानदारों को देती थीं, फिर वही दुकानदार उसे ग्राहकों को बेचते थे। लेकिन D2C में कंपनी सीधे हम तक पहुँचती है।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कंपनी का अपने ग्राहकों के साथ सीधा संपर्क होता है। उन्हें पता चलता है कि ग्राहक क्या पसंद करते हैं और क्या नहीं। आजकल कई नए ब्रांड इसी तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। अपनी वेबसाइट पर सामान बेचकर और सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों से जुड़कर।
मैंने कई ऐसे छोटे ब्रांड्स देखे हैं जिन्होंने D2C मॉडल अपनाकर अच्छी कामयाबी हासिल की है। इसकी वजह यह है कि वे सीधे अपने ग्राहकों से जुड़ पाते हैं और उनकी ज़रूरतों को ज्यादा अच्छे से समझकर वैसा ही सामान दे पाते हैं।
Customer to Customer (C2C)
C2C का मतलब होता है जब एक आम ग्राहक दूसरे आम ग्राहक को सामान बेचता है। इसमें कोई कंपनी शामिल नहीं होती बल्कि लोग आपस में ही चीजें खरीदते और बेचते हैं।
आपने OLX जैसी वेबसाइट के बारे में सुना होगा। यह C2C ई-कॉमर्स का एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। OLX पर लोग अपनी पुरानी इस्तेमाल की हुई चीजें जैसे कि फर्नीचर, मोबाइल फोन या कपड़े दूसरे लोगों को बेचते हैं जिन्हें उनकी ज़रूरत होती है।
यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे पहले लोग आपस में मिलकर पुरानी चीजें बेचा करते थे लेकिन अब यह सब ऑनलाइन होता है। जिससे ज़्यादा लोगों तक पहुँचना आसान हो जाता है।
Customer to Business (C2B)
C2B ई-कॉमर्स तब होता है जब एक आम ग्राहक किसी कंपनी को अपनी सेवाएं या सामान बेचता है। यह B2C मॉडल से बिल्कुल उल्टा है।
सोचिए आप एक बहुत अच्छे फोटोग्राफर हैं। आप अपनी खींची हुई तस्वीरें किसी कंपनी को बेचते हैं जो उनका इस्तेमाल अपनी वेबसाइट या विज्ञापन में करती है। यह C2B का उदाहरण है।
Upwork जैसी वेबसाइटें C2B ई-कॉमर्स का एक अच्छा उदाहरण हैं। इन प्लेटफॉर्म पर फ्रीलांसर (जैसे कि लेखक, डिज़ाइनर, प्रोग्रामर) अपनी सेवाएं कंपनियों को देते हैं और उसके बदले में पैसे कमाते हैं। ग्राहक (फ्रीलांसर) बिजनेस (कंपनी) को अपनी विशेषज्ञता बेच रहा है।
Business to Government (B2G)
B2G ई-कॉमर्स तब होता है जब कोई कंपनी सरकार या सरकारी एजेंसियों को अपने उत्पाद या सेवाएं बेचती है। यह B2B की तरह है। लेकिन यहाँ ग्राहक कोई दूसरी कंपनी नहीं बल्कि सरकार होती है।
सरकार को भी कई तरह की चीजें चाहिए होती हैं, जैसे कि सड़कें बनवाना, कंप्यूटर खरीदना, या कोई नई तकनीक लगवाना। इसके लिए सरकार अक्सर कंपनियों से संपर्क करती है। जो कंपनियां इन ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वे B2G ई-कॉमर्स का हिस्सा होती हैं।
इसके लिए सरकार अक्सर टेंडर निकालती है जिसमें अलग अलग कंपनियां अपनी पेशकश करती हैं। जिस कंपनी की पेशकश सरकार को सबसे अच्छी लगती है। उसे वह काम मिल जाता है।
Customer to Government (C2G)
C2G ई-कॉमर्स तब होता है जब एक आम नागरिक सरकार को अपनी सेवाएं या सामान बेचता है। यह ई-कॉमर्स का उतना आम प्रकार नहीं है। लेकिन इसके उदाहरण मौजूद हैं।
इसका एक उदाहरण यह हो सकता है कि जब कोई आम नागरिक सरकार को ऑनलाइन टैक्स भरता है या किसी सरकारी सेवा के लिए ऑनलाइन फीस जमा करता है। कुछ मामलों में यदि किसी नागरिक के पास कोई खास जानकारी या डेटा है जो सरकार के लिए उपयोगी हो सकता है और वह उसे सरकार को ऑनलाइन बेचता है तो वह भी C2G के अंतर्गत आ सकता है।
हालांकि B2G की तुलना में C2G उतना प्रचलित नहीं है। क्योंकि आमतौर पर सरकार व्यवसायों से ही ज़्यादा सामान और सेवाएं खरीदती है। फिर भी टेक्नोलॉजी के विकास के साथ नागरिकों और सरकार के बीच ऑनलाइन इंटरैक्शन के नए तरीके सामने आ रहे हैं।
अब हमने ई-कॉमर्स के कई प्रकारों के बारे में जान लिया है। अगला सवाल यह है कि आज के समय में ई-कॉमर्स का क्या स्कोप है। चलिए इस मुद्दे पर भी बात करते हैं।
आज के समय में Scope of E-Commerce
ई-कॉमर्स ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। अब चाहे आप शहर के किसी भी मोहल्ले में हों या गाँव के किसी दूर दराज़ कस्बे में हो। इंटरनेट के ज़रिए आपको बाजार का हर कोना दिखने लगता है। पहले लोग सिर्फ आस पास की दुकानें देखते थे। लेकिन अब घर बैठे ही कहीं के भी उत्पाद खरीद सकते हैं। इस बदलाव ने लोगों की ज़िंदगी को आसान बनाया है। क्योंकि अब सामान लेने के लिए घंटों सफर करने की ज़रूरत नहीं रहती।
पहले ई-कॉमर्स सिर्फ किताबें और इलेक्ट्रॉनिक्स तक सीमित था। लेकिन आज के समय आपको यहाँ से आपकी रसोई का रोज़मर्रा का सामान, दवाईयाँ, कपड़े, खिलौने, यहां तक कि फर्नीचर भी मंगवा सकते हैं। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि छोटे व्यवसायियों को भी अपने उत्पाद दूर दराज़ के ग्राहकों तक पहुँचाने का मौका मिलता है। अब कई छोटे कारीगर और किसान अपने हस्तनिर्मित सामान को ऑनलाइन बेचकर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स से आप न सिर्फ अपनी जरूरतों का सामान खरीद सकते हैं बल्कि इसके ज़रिए अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। अगर आप इस क्षेत्र में मेहनत करते हैं तो हर महीने आप कुछ लाख रुपए से लेकर करोड़ रुपए तक की आय कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, छोटे-छोटे विक्रेता या फ्रीलांसर डिजिटल मार्केटिंग, वेबसाइट डिज़ाइनिंग, या ऑनलाइन सेल्स में काम करके महीने का अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं। साथ ही, अपने उत्पाद ऑनलाइन बेचकर आप एक स्थिर और बढ़ती हुई आमदनी का स्रोत बना सकते हैं। बस सही योजना और मेहनत से ई-कॉमर्स आपके लिए एक सफल करियर या पार्ट-टाइम व्यवसाय बन सकता है।
डिलीवरी और भुगतान के तरीके भी पहले से बहुत बेहतर हो गए हैं। पहले लोग पैकेज आने पर डरते थे कि कहीं सामान खराब या खो तो नहीं गया। लेकिन अब कंठस्थ ट्रैकिंग सिस्टम है और पेमेंट भी एक-टिप पर हो जाता है। जब आप ऑर्डर देते हैं तो पता चलता है कि आपका पैकेज अभी कहाँ है। इसी वजह से लोग ई-कॉमर्स पर और भरोसा करने लगे है। और इस बाजार का दायरा हर रोज़ और बढ़ता जा रहा है।
Online store vs Offline store में अंतर
जब आप किसी ऑफलाइन स्टोर पर जाते हैं, तो वहां का माहौल बिल्कुल दोस्त जैसा लगता है। आप सामान को हाथ में लेकर अच्छे से देख सकते हैं, उसका रंग, आकार और क्वालिटी परख सकते हैं। दुकानदार से बात करके सुझाव लेना भी आसान होता है, और कई बार तो वह आपको खास छूट भी दे देता है। सबसे अच्छी बात यह होती है कि आप अपनी ज़रूरत की चीज़ उसी समय खरीद सकते हैं। हां, इतना जरूर है कि इसके लिए आपको दुकान तक जाने का समय और आने-जाने का खर्च भी लगाना पड़ता है।
Online Store में ऐसा नहीं होता। आप घर बैठे ही मोबाइल या कंप्यूटर पर दुकान खोल लेते हैं। वहां एक-एक प्रोडक्ट की तस्वीरें, विवरण और ग्राहक की रेटिंग्स होती हैं जो खरीदारी में मदद करती हैं। जब आप मनचाहा सामान चुन लेते हैं तो बस क्लिक करने भर की देरी होती है और वह आपके घर तक पहुंच जाता है। इस दौरान आपको ट्रैकर की मदद से पैकेज की हर जानकारी मिलती रहती है।
ऑफलाइन और ऑनलाइन का सबसे बड़ा फ़र्क समय का होता है। ऑफलाइन में दुकान खास समय पर ही खुलती है। लेकिन ऑनलाइन में पूरे दिन और रात खरीदार आ-जा सकते हैं। जब आपको अचानक कोई चीज़ चाहिए। तो ऑनलाइन ऑर्डर देना आसान रहता है। वहीं आपको ऑफलाइन में अक्सर दुकानों का टाइमिंग देखा जाना पड़ता है और भीड़ भाड़ में सामान लेने में परेशानी हो सकती है।
ऑनलाइन में उत्पादों की लिस्टिंग बहुत बड़ी होती है। आपको एक ही वेबसाइट पर हजारों अलग अलग ब्रांड, मॉडल और रंग देखने को मिलते हैं। जबकि ऑफलाइन दुकान में जगह की कमी होती है और सीमित ही सामान मिल पाता है। इससे आपको ऑनलाइन अपनी पसंद का प्रोडक्ट आराम से चुनने का पूरा मौका मिलता है। चाहे वह घरेलू सामान हो या फैशन के नए ट्रेंड।
ऑनलाइन स्टोर चलाने के लिए अलग तरीके से तैयार होना पड़ता है। आपको वेबसाइट में अच्छे फोटो, साफ़ सुथरी जानकारी और भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम रखना होता है। साथ ही पैकेजिंग और डिलीवरी पर खास ध्यान देना होता है ताकि ग्राहक को दिक्कत न हो। ऑफलाइन दुकान में इन सबकी जगह मालिक और दुकानदार मिलकर मैनेज कर लेते हैं। लेकिन ऑनलाइन में हर चीज़ टेक्नोलॉजी और प्रोफेशनल सर्विस पर निर्भर होती है।
अगले भाग में आप क्या सीखेंगे
अगले भाग में हम ई-कॉमर्स की दुनिया में आपकी अपनी पहचान बनाने की पहली सीढ़ी पर चढ़ेंगे। सबसे पहले हम यह पता लगाएंगे कि आपके लिए सही Niche और प्रोडक्ट का चुनाव कैसे किया जाए। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसी घर की नींव रखना। अगर नींव मजबूत होगी तो घर भी मज़बूत बनता है।
मैं कुछ ज़रूरी सवालों का जवाब दूंगा जैसे कि आपकी किस चीज़ में दिलचस्पी है आपको किस बारे में ज़्यादा पता है और आपके पास कितना समय और पैसा है। इसके बाद हम कुछ ऐसे लाभदायक क्षेत्रों पर नज़र डालेंगे जिनमें आजकल ई-कॉमर्स में बहुत संभावनाएं हैं।
इतना ही नहीं हम यह भी समझेंगे कि आपके बिजनेस के लिए कौन सा मॉडल सबसे अच्छा रहेगा क्या आप सीधे ग्राहकों को बेचना चाहेंगे (B2C), या दूसरी कंपनियों को (B2B), या शायद अपना खुद का ब्रांड बनाना चाहेंगे (D2C)? हम इन सभी मॉडलों के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनके फायदे भी देखेंगे।
तो क्या आप अपनी ई-कॉमर्स यात्रा का पहला कदम उठाने के लिए तैयार हैं। मेरे इस E Commerce Business Course in Hindi के अगले भाग को ज़रूर पढ़ें जहाँ मैं आपको बताऊंगा कि Niche और Product का सही चुनाव कैसे करे।
Conslusion
तो दोस्तों आपने देखा कैसे एक साधारण इंटरनेट कनेक्शन ने हमारे खरीदने बेचने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया। जब मैंने पहली बार ऑनलाइन शॉपिंग की थी। तो मुझे लगा था कि बिना छुए कोई खरीदारी कैसे हो सकती है। लेकिन आज यही तरीका हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है।
ई-कॉमर्स ने शहर गाँव की दीवारें तोड़कर हम सबको एक ही बाज़ार में लाकर खड़ा किया है। अब आप घर बैठे ताज़ी सब्ज़ियाँ मंगा सकते हैं या मॉर्डन फैशन पर छूट ढूँढ सकते हैं। यह सिर्फ खरीदना बेचना ही नहीं बल्कि आपके नए बिज़नेस आइडिया को पंख लगाने का जरिया भी है।
अब देर करने की कोई ज़रूरत नहीं। E Commerce Business Course in Hindi का दूसरा हिस्सा पढ़ें और अपने ई-कॉमर्स की दुनिया में पहला कदम उठाएं। आपकी सफलता की कहानी यहीं से शुरू हो सकती है
Sorry sir aap meri is mai help karo
Pingback: E Commerce Business Course in Hindi – Part 2 पूरा कोर्स सीखे
Pingback: E Commerce Business Course in Hindi – Part 6 पूरा कोर्स सीखे